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तेनुघाट में विश्वविद्यालय व अस्पताल खोले जायेंगे

रांची: तेनुघाट में सिंचाई विभाग की बेकार पड़ी जमीन व कब्जा हुए आवासों के इस्तेमाल की तैयारी शुरू हो गयी है. तेनुघाट बांध प्रमंडल ने 25 नवंबर को जारी अपने नोटिस (पत्रांक 894-तेनुघाट) में 149 आवासों को 31 दिसंबर तक खाली करने को कहा है. इस आशय की सूचना स्थानीय अखबारों में भी विज्ञापन के […]

रांची: तेनुघाट में सिंचाई विभाग की बेकार पड़ी जमीन व कब्जा हुए आवासों के इस्तेमाल की तैयारी शुरू हो गयी है. तेनुघाट बांध प्रमंडल ने 25 नवंबर को जारी अपने नोटिस (पत्रांक 894-तेनुघाट) में 149 आवासों को 31 दिसंबर तक खाली करने को कहा है. इस आशय की सूचना स्थानीय अखबारों में भी विज्ञापन के माध्यम से दी गयी है. इसके अलावा कब्जा हुए अन्य 600 आवासों को भी खाली कराने की सरकारी प्रक्रिया शुरू हो गयी है. क्षेत्र में सिंचाई विभाग के लिए जरूरी जमीन छोड़ कर शेष पर विश्वविद्यालय, अस्पताल या अन्य कोई विकास योजना शुरू करने की प्रक्रिया आरंभ की जायेगी. तेनुघाट डैम को पर्यटन क्षेत्र के रूप में भी विकसित करने की योजना है.
इस संबंध में झारखंड के जल संसाधन मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने बताया कि सिंचाई विभाग ने पहले भी पलामू में विश्वविद्यालय व इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए अपनी जमीन दी है, तेनुघाट की भी जमीन का उपयोग किया जायेगा. उन्होंने बताया कि राज्य में विश्वविद्यालय और अस्पताल के लिए जमीन की मांग करनेवाले बाहर के निवेशकों के प्रस्ताव पर इस जमीन को लेकर विचार किया जायेगा. किसी को भी अवैध कब्जे की छूट नहीं दी जा सकती है.
खाली कराने की शर्त पर आवंटित किये गये थे आवास
तेनुघाट के कार्यपालक अभियंता एके झा ने बताया कि जिनको आवास आवंटित भी किया गया था, उनको इस शर्त पर दिया गया था कि जरूरत के अनुसार एक माह के नोटिस पर खाली कराया जा सकता है. श्री झा ने बताया कि इलाके को विकसित करने के लिए घर खाली कराया जा रहा है. अन्य कब्जा के संबंध में मुख्यालय से निर्णय के बाद कार्रवाई की जायेगी.
बदहाल है इलाका, सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं
वर्तमान स्थिति यह है कि यहां सिंचाई विभाग के मात्र 60 कर्मी हैं, पर अन्य लोग इसके संसाधनों का मुफ्त इस्तेमाल कर रहे हैं. विभाग की एकमात्र वर्षों पुराना स्कूल ‘नदी घाटी योजना उच्च विद्यालय’ बंद है. सिंचाई विभाग का नौलखा (1965 में नौ लाख में बना था) गेस्ट हाउस, वर्कशॉप, पेयजलापूर्ति व्यवस्था सबकुछ खराब स्थिति में हैं. आज पूरा इलाका एक तरह से तेनुघाट कोर्ट पर निर्भर करता है. कोर्ट बंद तो तेनुघाट में जनजीवन ठप हो जाता है. इलाके में शैक्षणिक संस्थान या अस्पताल या अन्य कोई विकास का काम होने से क्षेत्र का भी विकास होगा. तेनुघाट के आसपास के लोगों का भी जीवनस्तर ऊंचा उठेगा, साथ ही तेनुघाट डैम के विस्थापितों को भी नौकरी मिलेगी.
प्रभात खबर ने उठाया मुद्दा, विभाग ने लिया संज्ञान
तेनुघाट की सरकारी जमीन व 906 आवासों में से 600 पर कब्जा की खबर ‘प्रभात खबर’ में छपने के बाद विभाग ने इस पर संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है. उस दौरान भी मंत्री ने कहा था कि कब्जा हटाया जायेगा और जरूरत के अनुसार विकास कार्य में जमीन दी जायेगी. ज्ञात हो कि तेनुघाट की 17634 एकड़ सरकारी जमीन का एक बड़ा भाग बेकार पड़ा हुआ है. इस जमीन के अधिकांश भाग पर कब्जा है. सरकारी घर व जमीन की खरीद-बिक्री की भी सूचना आती है. यहां पर सरकारी बिजली का भी अवैध इस्तेमाल होता रहा है.
लीज पर जमीन या आवास देने की मांग कर रहे लोग
दूसरी ओर, वर्षों से उन आवासों में रहनेवाले लोगों ने सरकार से लीज पर जमीन या आवास देने की मांग की है, ताकि वो वहां पर रह सकें. लोगों का कहना है कि सरकार इलाके को विकसित करे इससे क्षेत्र का भला होगा, पर स्थानीय कोर्ट या अन्य कार्यालयों में काम करनेवाले लोगों के लिए भी सरकार को सोचना होगा, ताकि उन्हें असुविधा न हो.

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