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बाल श्रम से निबटने के लिए प्रस्ताव पारित
रांची: बचपन बचाअो आंदोलन, झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग तथा भारतीय किसान संघ के संयुक्त तत्वावधान में बाल व्यापार व बाल श्रम के खिलाफ आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला मंगलवार को संपन्न हुई. कार्यशाला में बाल व्यापार व बाल श्रम से निबटने के लिए कई प्रस्ताव पारित किये गये. इनमें कहा गया है कि एक […]
रांची: बचपन बचाअो आंदोलन, झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग तथा भारतीय किसान संघ के संयुक्त तत्वावधान में बाल व्यापार व बाल श्रम के खिलाफ आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला मंगलवार को संपन्न हुई. कार्यशाला में बाल व्यापार व बाल श्रम से निबटने के लिए कई प्रस्ताव पारित किये गये. इनमें कहा गया है कि एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया जाये, जिसमें बाल श्रम या ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों की फोटो अपलोड की जा सके. उसके बारे में कोई भी सूचना मिलने पर उसका मिलान किया जा सके. गुमशुदा बच्चों की खोज को अौर गंभीरता से लेने की आवश्यकता है.
एक अन्य प्रस्ताव में कहा गया कि द झारखंड प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसी डोमेस्टिक वर्कर्स रेगुलेशन बिल अगर विधानसभा से पास हो जाता है, तो इन पर अंकुश लगेगा. एक अन्य प्रस्ताव में हाइस्कूलों की संख्या बढ़ाने की बात कही गयी है, ताकि ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या में कमी आये अौर वे ट्रैफिकिंग या बाल श्रम से बच सके. इससे पूर्व कार्यशाला में ज्वाइंट लेबर कमिश्नर एसएस पाठक ने कहा कि ज्यादातर प्लेसमेंट एजेंसियों का रांची या झारखंड में ऑफिस नहीं होता था, जिससे उन्हें खोजना मुश्किल होता है. अब प्लेसमेंट एजेंसी बिल के पास होने के बाद किसी भी एजेंसी को अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा अौर उन्हें रांची या झारखंड में अपना कार्यालय खोलना होगा. इस बिल में ऐसे प्रावधान हैं, जिससे बाहर जानेवाले सुरक्षित रहेंगे. इन कानूनों के उल्लंघन करने पर एक साल की सजा अौर 25 हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान है.
डीएसपी सदर विकास चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि पहले बच्चों की गुमशुदगी मामले में सनहा दर्ज किया जाता था. अब एफआइआर करने का प्रावधान है. तकनीक के इस्तेमाल से मिसिंग बच्चों की खोज अौर बेहतर तरीके से की जा सकती है. अब धीरे-धीरे पुलिस की छवि बदल रही है. हमलोग सोशल पुलिसिंग के जरिये जनता का विश्वास जीत रहे हैं. विभिन्न विभागों में समन्वय होना भी जरूरी है. बच्चों को भी उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए. कार्यशाला में बचपन बचाअो आंदोलन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर राकेश सेंगर अौर एटसेक झारखंड चैप्टर के संजय मिश्रा ने भी विचार रखे.
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