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JARKHAND : बैंकों के 250 करोड़ रुपये फंसे, नहीं लौटा रहे कर्जधारक

रांची : स्टेट लेबल बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2015 तक झारखंड के विभिन्न बैंकों के करीब 4250.39 करोड़ रुपये एनपीए (नन परफॉर्मिंग एसेट) में बदल गये हैं. यानी यह रकम कर्जधारकों के पास फंस गयी है, जो बैंकों को लौटायी नहीं जा रही. सितंबर 2014 के मुकाबले एनपीए की इस रकम […]

रांची : स्टेट लेबल बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2015 तक झारखंड के विभिन्न बैंकों के करीब 4250.39 करोड़ रुपये एनपीए (नन परफॉर्मिंग एसेट) में बदल गये हैं. यानी यह रकम कर्जधारकों के पास फंस गयी है, जो बैंकों को लौटायी नहीं जा रही.
सितंबर 2014 के मुकाबले एनपीए की इस रकम में करीब 562 करोड़ की वृद्धि हुई है. गैर प्राथमिकता वाले क्षेत्र (कृषि व अन्य को छोड़) का इसमें सबसे बड़ा योगदान है. इस सेक्टर के एनपीए में सितंबर 2014 की तुलना में 30.67 फीसदी का इजाफा हुआ है. प्राथमिकता वाले कृषि क्षेत्र में यह वृद्धि 19.50 फीसदी है. वहीं, अन्य प्राथमिकता क्षेत्र वाले आवासीय, एजुकेशन लोन व गरीब तबके को लोन सहित कृषि उद्योग के क्षेत्र में 11.21 फीसदी व सूक्ष्म व लघु उद्योग के क्षेत्र में एनपीए की रकम में 5.45% की वृद्धि हुई है.
बैंकों का सबसे अधिक पैसा रांची में डूबा
बैंकों का सबसे अधिक पैसा रांची में डूबा है. अकेले रांची में 1170.60 करोड़ रुपये एनपीए में बदल गये हैं. इसके बाद पूर्वी सिहंभूम (जमशेदपुर) में 600.83 करोड़ तथा धनबाद में 380.40 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं. राज्य में सबसे कम एनपीए की रकम (39.02 करोड़) लातेहार जिले में है. यानी कुल एनपीए के 50 फीसदी रकम अकेले पहले तीन शहरों में ही है. नोटबंदी के बाद एनपीए की भी रिकवरी हो जाये, तो बैंकों की अर्थव्यवस्था बदल सकती है. वर्ष 2014 की तुलना में 2015 में कृषि तथा सरकारी योजनाअों के तहत मिले लाभ वाले क्षेत्र की रकम को छोड़ प्राथमिकता वाले सभी सेक्टर में रिकवरी बढ़ी है.
एनपीए बढ़ने से बैंकों और राज्यों को हो रहा है नुकसान
दरअसल एनपीए का बढ़ना बैंकों सहित किसी भी देश या राज्य की आर्थिक सेहत के लिए खराब है. झारखंड के कुल बकाये का 41 फीसदी हिस्सा सूक्ष्म व लघु उद्योग क्षेत्र का है. वहीं, गैर प्रथमिकता क्षेत्र (कृषि व अन्य को छोड़) का हिस्सा 28.3 फीसदी तथा कृषि क्षेत्र का एनपीए में हिस्सा करीब 20 फीसदी है. यानी कुल एनपीए में से करीब 1742 करोड़ सूक्ष्म व लघु उद्योगपतियों के पास, करीब 1190 करोड़ रुपये व्यवसायियों व सर्विस सेक्टर के पास तथा करीब 850 करोड़ रुपये किसानों के पास हैं.
देश भर का एनपीए दो लाख 78 हजार करोड़ रुपये
वर्ष 2013 तक देश भर के बैंकों का एनपीए 63591 करोड़ रुपये था. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2015 तक यह एनपीए बढ़ कर करीब दो लाख 78 हजार करोड़ रुपये हो गया है. बैंक के बकायेदारों की सूची लंबी है. गौरतलब है कि बैंक इंप्लॉयज फेडरेशन अॉफ इंडिया (बेफी) ने चार जुलाई 2014 को देश भर के 1129 कर्जधारकों की सूची सार्वजनिक की थी.
प्राथमिक क्षेत्र की रिकवरी (फीसदी में)
क्षेत्र/सेक्टर 2014 2015
सूक्ष्म व लघु उद्योग 56.98 60.73
अन्य प्राथमिकता 58.17 60.28
कृषि 60.35 48.17
सरकारी योजनाएं 35.84 34.52
किस जिले में कितना एनपीए
जिला एनपीए की रकम
रांची 1061.86 करोड़
पू. सिहंभूम 600.83 करोड़
धनबाद 380.40 करोड़
बोकारो 240.00 करोड़
देवघर 185.85 करोड़
हजारीबाग 161.73 करोड़
गिरिडीह 154.98 करोड़
पलामू 151.11 करोड़
रामगढ़ 114.12 करोड़
प.सिंहभूम 89.58 करोड़
दुमका 87.00 करोड़
गुमला 86.58 करोड़
गोड्डा 86.00 करोड़
सरायकेला 78.01 करोड़
लोहरदगा 77.00 करोड़
जामताड़ा 69.02 करोड़
साहेबगंज 65.02 करोड़
गढ़वा 64.36 करोड़
खूंटी 57.01 करोड़
सिमडेगा 51.00 करोड़
चतरा 46.74 करोड़
कोडरमा 46.71 करोड़
पाकुड़ 40.01 करोड़
लातेहार 39.02 करोड़
(रांची, पू. सिंहभूम व धनबाद को छोड़ शेष जिलों की रकम में फेरबदल संभव है)

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