इस संबंध में पूछे जाने पर मिशन की महानिदेशक मृदुला सिन्हा ने कुछ भी बोलने से इनकार किया. इसके बजाय उन्होंने अपनी उपलब्धि बतायी कि हम अपने संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करते हुए कार्य कर रहे हैं. अब तक 28 हजार अति कुपोषित बच्चों का आंकड़ा हमने तैयार कर लिया है. राज्य पोषण मिशन की साइट डेवलप की गयी है. इन बच्चों को राज्य के कुल 87 कुपोषण उपचार केंद्र (एमटीसी) में इलाज कराया जा रहा है. हम अपने कार्य में उपायुक्तों की मदद ले रहे हैं. रांची, पू सिंहभूम, लोहरदगा, बोकारो व हजारीबाग के उपायुक्तों ने मिशन को अच्छा सहयोग किया है. वहीं यूनिसेफ के अलावा विभिन्न संस्थाअों जैसे डिजिटल ग्रीन, चाइल्ड विजन, रिलायंस फाउंडेशन, गेन तथा गेट्स फाउंडेशन जैसी संस्थाअों से हम सहयोग के लिए विमर्श कर रहे हैं.
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सरकार के पोषण मिशन में न कर्मचारी अौर न ही पैसा
रांची: कुपोषण से लड़ने के लिए झारखंड सरकार ने पोषण मिशन की शुरुआत की है. यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से यह मिशन 13 नवंबर 2015 में शुरू किया गया. इसके तहत अगले 10 वर्षों में (2025 तक) बच्चों के कुपोषण को इसके वर्तमान स्तर से 30 फीसदी तक कम कर देना है. पर वित्तीय वर्ष […]
रांची: कुपोषण से लड़ने के लिए झारखंड सरकार ने पोषण मिशन की शुरुआत की है. यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से यह मिशन 13 नवंबर 2015 में शुरू किया गया. इसके तहत अगले 10 वर्षों में (2025 तक) बच्चों के कुपोषण को इसके वर्तमान स्तर से 30 फीसदी तक कम कर देना है. पर वित्तीय वर्ष 2016-17 में मिशन को इसके कुल बजट 10.15 करोड़ के विरुद्ध एक रुपये भी नहीं मिला है.
वहीं, दूसरी अोर मिशन के लिए सृजित लगभग सभी पद रिक्त हैं. इनमें अवर सचिव (1), सहायक (1), सांख्यिकी सहायक (1), लिपिक ((1), लेखापाल (1) तथा कंप्यूटर अॉपरेटर (1) के पद शामिल हैं. यही नहीं राज्य पोषण मिशन के महानिदेशक का पद भी अब तक स्वीकृत नहीं हुआ है. वर्तमान में आइएएस मृदुला सिन्हा मिशन की महानिदेशक हैं. इधर पैसा तथा कर्मचारियों के अभाव में मिशन का काम अपेक्षित गति से नहीं हो रहा है. वहीं प्रशिक्षण व प्रचार-प्रसार सहित मिशन के लिए जरूरी चिकित्सीय जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है.
राज्य में छह वर्ष तक के 58 फीसदी बच्चे कुपोषित
झारखंड में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. राज्य में छह वर्ष तक उम्र वाले करीब 58 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं. वहीं, बालिकाअों व महिलाअों में कुपोषण का स्तर इससे भी अधिक है. मुख्यमंत्री ने भी इसे गंभीर मानते हुए राज्य पोषण मिशन को मंजूरी दी थी. पर उनका ड्रीम प्रोजेक्ट सरकारी सिस्टम में उलझ गया लगता है.
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