सरकार कहती है कि धारा 21 में संशोधन से मालिकाना हक नहीं बदलेगा बल्कि सिर्फ कृषि भूमि का नेचर बदल जायेगा. सीएनटी एक्ट की धारा छह में रैयत को परिभाषित किया गया है. इसमें कहा गया है कि रैयत वह है जिसके पास कृषि भूमि है अौर जो उस पर कृषि करता है. जमीन का नेचर बदलने से कृषि भूमि गैर कृषि भूमि हो जायेगी अौर इस तरह वह खुद सीएनटी एक्ट की धारा से बाहर हो जायेगी. यह आदिवासी समुदाय को जमीन से बेदखल करने की साजिश है.
देव कुमार धान ने कहा कि अब आदिवासी समुदाय के पास करो या मरो की स्थिति है. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में बैठक कर समस्या के समाधान पर विचार किया जायेगा. इसके तहत 15 नवंबर को खूंटी अौर लोहरदगा में, 20 नवंबर को जमशेदपुर में बैठक होगी. बैठक में पेरो उरांव, गंदरू उरांव, कोमल उरांव, खुदिया उरांव, सोमा उरांव, महतो भगत, बुधवा उरांव, नागेश्वर उरांव, परमेश्वर भगत, विनोद उरांव आदि मौजूद थे.