शुक्रवार तक पारा शिक्षकों को काम पर लौटने को कहा गया था. रांची जिले के भी 89 पारा शिक्षकों को काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया गया था. सभी पारा शिक्षक काम पर लौट आये हैं. कुछ जिलों में शनिवार तक पारा शिक्षकों को काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया गया है. इधर, दूसरी ओर झारखंड प्रदेश पारा शिक्षक संघ के संरक्षक विक्रांत ज्योति ने बताया कि पारा शिक्षक सरकार की धमकी से डरने वाले नहीं है. पारा शिक्षकों की हड़ताल जारी है. जब तक मांग पूरी नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा. छठ के बाद आंदोलन को और तेज किया जायेगा. हड़ताली पारा शिक्षक रांची में ही छठ मनायेंगे.
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काम पर लौट रहे हैं पारा शिक्षक
रांची: राज्य के हड़ताली पारा शिक्षक बर्खास्तगी के नोटिस के बाद काम पर लौटने लगे है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार को रांची, जमशेदपुर, बोकारो, लोहरदगा, गिरिडीह समेत राज्य के अन्य जिलों में लगभग पांच हजार पारा शिक्षक काम पर लौट आये. झारखंड शिक्षा परियोजना ने हड़ताली पारा शिक्षकों को […]
रांची: राज्य के हड़ताली पारा शिक्षक बर्खास्तगी के नोटिस के बाद काम पर लौटने लगे है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार को रांची, जमशेदपुर, बोकारो, लोहरदगा, गिरिडीह समेत राज्य के अन्य जिलों में लगभग पांच हजार पारा शिक्षक काम पर लौट आये. झारखंड शिक्षा परियोजना ने हड़ताली पारा शिक्षकों को 25 अक्तूबर तक काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया था. इसके बाद भी सभी पारा शिक्षक काम पर नहीं लौटे थे. काम पर नहीं लौटने वाले पारा शिक्षकों को एक और मौका दिया गया था.
पारा शिक्षकों के समर्थन में निकाला प्रतिवाद मार्च
रांची. आंदोलनरत पारा शिक्षकों की बरखास्तगी के विरोध, समान वेतन बहाल करने, सीएनटी–एसपीटी एक्ट में टीएसी की बैठक में पारित संशोधन को वापस लेने की मांग को लेकर एक्टू ने प्रतिवाद मार्च निकाला. प्रतिवाद मार्च महेंद्र सिंह भवन से शुरू होकर अलबर्ट एक्का चौक तक गया. मार्च का नेतृत्व ऐक्टू प्रदेश महासचिव शुभेंदू सेन, प्रदेश सचिव भुवनेश्वर केवट व सुदामा खलखो कर रहे थे. सभा को संबोधित करते हुए एक्टू प्रदेश प्रदेश महासचिव शुभेंदू सेन और सचिव भुवनेश्वर केवट ने कहा पारा शिक्षकों से वार्ता के बजाय बरखास्तगी का फैसला तानाशाही आचरण है. हड़ताल से ग्रामीण शैक्षणिक व्यवस्था चौपट हो गयी है. बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसी भी सरकार को नहीं है. एक्टू नेता अजबलाल सिंह ने कहा रघुवर सरकार को न तो राज्य की चिंता है और न ही जनता की. प्रतिवाद मार्च में विश्वनाथ गुप्ता, सुदामा खलाखो, एनामुल हक, मो सुल्तान, शशि कुमार सांगा, संध्या मुर्मू, सिनगी खलखो, मो खालिद, अभय सिंह आदि शामिल थे.
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