रांची: निगरानी ने जांच में हजारीबाग में संयुक्त कृषि निदेशक के पद पर पूर्व में पदस्थापित रहे इंद्रजीत राम पर लगे सरकारी राशि के गबन का आरोप सही पाया है. निगरानी के अधिकारियों ने इंद्रजीत राम द्वारा उनके कार्यकाल के दौरान की गयी कथित अनियमितता और सरकारी राशि गबन से संबंधित एक रिपोर्ट तैयार की है.
वर्ष 2009 में हजारीबाग में संयुक्त कृषि निदेशक के रूप में पदस्थापित रहे इंद्रजीत राम वर्ष 2002- 2003 के बीच चान्हो में प्रखंड कृषि पदाधिकारी थे. इस दौरान उन्हें बीज की बिक्री से 3600 रुपये प्राप्त हुए. आरोप है कि उन्होंने बीज की बिक्री से प्राप्त सरकारी राशि को सरकारी खाते में जमा नहीं कर कर अपने पास रख लिया.
चान्हो से इंद्रजीत राम को प्रभारी अनुमंडल सह जिला कृषि पदाधिकारी बना कर जुलाई 2003 में चास भेजा गया. वहां वह मार्च 2004 तक रहे. चास अनुमंडल पदाधिकारी के रूप में जब विजय कुजूर का पदस्थापना हुआ, तब उन्होंने विजय कुजूर को प्रभार तक नहीं दिया. सभी अभिलेख अपने पास रखे. आरोप के अनुसार, श्री राम ने सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब कर 43, 48, 034 रुपये का गबन कर लिया. इसके बाद इंद्रजीत राम इंद्रजीत की पोस्टिंग चास से अनुमंडल सह जिला कृषि पदाधिकारी के रूप में खूंटी में हुई.
वह खूंटी में तीन मई 2004 से लेकर पांच जुलाई 2008 तक रहे. इस दौरान उन्होंने जैविक खाद रेवा, जिसे सरकार द्वारा अवैध घोषित किया गया था, उसे बिना किसी निर्धारित दर के फर्टिलाइजर्स कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड, आदित्यपुर से मंगवाया. कंपनी को 96 हजार रुपये का भुगतान भी कर दिया.
मजदूरों से कराया काम, भुगतान कंपनी को
इंद्रजीत राम ने वर्ष 2004- 05 के बीच विभिन्न योजनाओं के तहत मजदूरों से काम कराया. लेकिन, मजदूरों को भुगतान नहीं कर एक निजी कंपनी को कर दिया. वर्ष 2007 में इंद्रजीत राम को सरकारी खाते में जमा करने के लिए तीन बार में 117774 रुपये मिले थे, लेकिन उन्होंने राशि को अपने निजी खाते में जमा किया. इसके बाद खूंटी से इंद्रजीत राम की पोस्टिंग संयुक्त कृषि निदेशक के रूप में हजारीबाग में की गयी थी.