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कृषि विज्ञान केंद्रों का क्या है लाभ

निर्देश. मुख्य सचिव ने की बिरसा कृषि विवि के कार्यों की समीक्षा, पूछा रांची : मुख्यमंत्री राजबाला वर्मा ने गुरुवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कार्यों की समीक्षा की. इस क्रम में उन्होंने विश्वविद्यालय अंतर्गत चल रहे कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के कार्यों का आउट पुट मांगा. उन्होंने अफसरों से कहा कि यहां के पूरे […]

निर्देश. मुख्य सचिव ने की बिरसा कृषि विवि के कार्यों की समीक्षा, पूछा
रांची : मुख्यमंत्री राजबाला वर्मा ने गुरुवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कार्यों की समीक्षा की. इस क्रम में उन्होंने विश्वविद्यालय अंतर्गत चल रहे कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के कार्यों का आउट पुट मांगा. उन्होंने अफसरों से कहा कि यहां के पूरे कार्यों का प्रतिवेदन तैयार कर सुपुर्द करें.
आर्या और केवीके सदस्यों को भी नये कोर्स कराने के लिए कार्य योजना तैयार करें. वहीं 10 केवीके के निर्माण की योजना तैयार करें. बैठक में कुलपति सह सचिव कृषि सचिव नीतिन मदन कुलकर्णी, डीन डॉ जेडए हैदर, डॉ आरपी सिंह, डॉ आरपी सिंह रतन, डॉ डीके द्रोण, डॉ एसके रॉय, डॉ एसके पॉल, प्रशासनिक निदेशक सरिता दास सहित कई अफसर मौजूद थे.
विकास के लिए बनायें कार्य योजना : मुख्य सचिव ने कहा कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के विकास तथा उसके संवर्द्धन के लिए कार्य योजना तैयार की जायेगी. इसके लिये बीएयू के विभिन्न संकायों में रिक्तियों को भरने के लिये प्रस्ताव तैयार किया जायेगा, ताकि उच्च स्तर पर झारखंड में कृषि आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने पर फैसला हो सके.
बीएयू ने दी जानकारी : बीएयू के पदाधिकारियों ने बताया कि 15000 क्विंटल फाउंडेशन सीड की जरूरत है, जबकि इस साल पांच से छह हजार सीड तैयार की गयी है. आवश्यकता पूरा करने के लिए 880 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है. फिलहाल 270 हेक्टेयर भूमि पर ही सीड उत्पादन किया जा रहा है. मुख्य सचिव ने सीड उत्पादन की दिशा में कार्रवाई करने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि गोरिया करमा में सीड डेवलपमेंट प्लांट बनाने को कहा गया.
शिक्षा का स्तर बेहतर हो
श्रीमती वर्मा ने कहा कि राज्य में मछली पालन, हॉर्टिकल्चर, पशुपालन, मुर्गी पालन, बीज उत्पादन व वनोत्पाद को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न संकायों में शैक्षणिक स्तर को बढ़ावा दिया जाये.
इसके लिए बीएयू को प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है. पशु चिकित्सा संकाय, वानिकी संकाय, स्नातकोत्तर संकाय तथा जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में ज्यादा से ज्यादा छात्रों को डिप्लोमा, पीजी तथा सर्टिफिकेट कोर्स कराया जाये. यह भी आकलन करें कि किन क्षेत्रों में नये कोर्स शुरू किये जा सकते हैं. रिक्तियों के भरने के लिये जेपीएससी के साथ समन्वय स्थापित करें. उन्होंने सहजन की नर्सरी को बढ़ावा देने की भी बात कही.

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