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आदिवासी आक्रोश रैली : प्रशासन ने रैली में शामिल होने आ रही कई गाड़ियों को रोका, धरने पर बैठे लोग

रांची : झारखंड आदिवासी संघर्ष मोरचा के तत्वावधान में आदिवासी आक्रोश महारैली का आज मोरहाबादी मैदान में आयोजन किया गया. रैली में हजारों की संख्या में लोग उपस्थित हुए. मोहराबादी में आयोजित इस रैली में 40 आदिवासी संगठनों ने हिस्सा लिया. रैली में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी भीशामिल हुए. हमारे संवाददाता के अनुसार रैली में […]

रांची : झारखंड आदिवासी संघर्ष मोरचा के तत्वावधान में आदिवासी आक्रोश महारैली का आज मोरहाबादी मैदान में आयोजन किया गया. रैली में हजारों की संख्या में लोग उपस्थित हुए. मोहराबादी में आयोजित इस रैली में 40 आदिवासी संगठनों ने हिस्सा लिया. रैली में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी भीशामिल हुए. हमारे संवाददाता के अनुसार रैली में शामिल होने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों से आने वाली कई गाड़ियों को प्रशासन ने रोक दिया है.
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आदिवासी आक्रोश रैली : प्रशासन ने रैली में शामिल होने आ रही कई गाड़ियों को रोका, धरने पर बैठे लोग 3
लोधमा में पुलिस द्वारा रोके जाने पर 1,000 लोग धरना पर बैठ गये हैं. वहीं खूंटी से करीब 150 गाड़ियां, रामपुर से 40 गाड़ियां, ओरमांझी से रैली में शामिल होने आ रही 70 गाडियां, गेतलसूद से 30 गाड़ियां, चंदवा से 40 गाड़ियां को पुलिस ने रोक दिया. लोहरदगा से भी भारी संख्या में लोग रैली में शामिल होने रांची आ रहे थे लेकिन पुलिस ने रोक दिया है. खूंटी में पुलिस से प्रदर्शनकारियों ने मारपीट की है. इस मारपीट में एक सिपाही का सिर फट गया है. वहीं बिरसा चौक में बैरिकेट तोड़ा गया है. वाहनों को रोके जाने के मामले में प्रशासन ने बताया कि सिर्फ बड़े वाहनों को शहर के बाहर रोका गया है. पैदल आने वाले को प्रदर्शन के लिए रोका नहीं जा रहा है.
आक्रोशित लोगों को जहां रोका जा रहा है वो वहीं धरने पर बैठ जा रहे हैं. रैली कीशुरुआतहो गयी है लेकिन भीड़ काफी कम है. मंच से भी लोगों ने भीड़ ना होने पर निराशा जतायी. मंच से स्थानीय भाषा में लोगों को संबोधित किया जा रहा है. रैली की सफलता अौर व्यवस्था बनाने के लिए 500 वोलेंटियर तैनात किये गये. रैली के दौरान आठ बिंदुओं पर आधारित मांगपत्र प्रस्तुत किया गया.
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मांगपत्र में सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन अध्यादेश 2016 को वापस लेने, सरकार द्वारा जारी स्थानीय नीति में संशोधन करने, जमाबंदी रद्द करने का आदेश वापस लेने, दखल-दिहानी से संबंधित न्यायालय के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने, वन अधिकार के लिए दावेदारों द्वारा किये दावे के अनुसार पट्टा निर्गत करने, पेसा कानून 1996 को अक्षरश: लागू करने, सरना धर्म कोड लागू करने और अनुसूचित जाति एवं जनजाति आवासीय विद्यालयों को गैर सरकारी संस्थाओं को देने का फैसला वापस लेने की मांग शामिल है.

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