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इंटर पंजीयन: जमा करने की तिथि के दिन ही सील हो जाता है फाॅर्म, बैक डेट का खेल हुआ खत्म

रांची: झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने शैक्षणिक सत्र 2015-17 से पंजीयन की प्रक्रिया में बदलाव कर दिया है. पंजीयन की प्रक्रिया में बदलाव से इंटर में बैक डेट से पंजीयन कराने के शिक्षा माफिया के खेल पर रोक लग गयी है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने पंजीयन फॉर्म जमा करने की जिलावार तिथि घोषित की. संबंधित जिला […]

रांची: झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने शैक्षणिक सत्र 2015-17 से पंजीयन की प्रक्रिया में बदलाव कर दिया है. पंजीयन की प्रक्रिया में बदलाव से इंटर में बैक डेट से पंजीयन कराने के शिक्षा माफिया के खेल पर रोक लग गयी है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने पंजीयन फॉर्म जमा करने की जिलावार तिथि घोषित की. संबंधित जिला के स्कूल-कॉलेज तय तिथि को ही फॉर्म जमा कर सकते हैं.

बिना विलंब शुल्क व विलंब शुल्क के साथ फॉर्म जमा करने के लिए अलग-अलग दिन तिथि निर्धारित की गयी है. निर्धारित तिथि के बाद किसी भी हाल में पंजीयन फॉर्म जमा नहीं लिया जा रहा है. जिलावार आवेदन जमा करने के कारण जैक में फॉर्म जमा करने में पहले की तरह परेशानी नहीं हो रही है. उल्लेखनीय है कि राज्य में इंटर तीनों संकाय मिला कर प्रति वर्ष लगभग तीन लाख परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल होते हैं. इसमें काफी संख्या में प्राइवेट परीक्षार्थी भी परीक्षा में शामिल होते हैं. स्कूल-कॉलेज प्राइवेट परीक्षार्थियों को परीक्षा में शामिल कराने के लिए मोटी रकम लेते हैं.

पंजीयन में ऐसे हाेता था
पंजीयन के लिए स्कूल-कॉलेजों को पहले ओएमआर शीट के लिए बैंक ड्राफ्ट जमा करना होता है. कुछ कॉलेज विद्यार्थी की संख्या से अधिक ओएमआर शीट के लिए बैंक ड्राफ्ट जमा करते थे. नामांकित विद्यार्थी से अधिक ओएमआर शीट लेते थे. बाद में जब पंजीयन की तिथि समाप्त हो जाने पर पूर्व में लिए गये ओएमआर शीट को पिछली तिथि से जमा करवाते थे. बाद में पंजीयन के लिए एक विद्यार्थी से 10 से 20 हजार रुपये तक वसूलते थे. इसमें जैक के कर्मचारी की भी मिलीभगत होती थी. कर्मचारी बाद में फार्म लेकर उसे संबंधित कॉलेज के फॉर्म के साथ जमा कर देते थे.
ऐसे लगी गड़बड़ी पर रोक
झारखंड एकेडमिक काउंसिल अध्यक्ष ने पंजीयन फाॅर्म जमा करने की प्रक्रिया में बदलाव कर दिया. अब अध्यक्ष फॉर्म जमा होने की तिथि को ही आवेदन सील करवा देते हैं. पहले आवेदन जमा होने की तिथि समाप्त होने के बाद भी फॉर्म संबंधित क्लर्क के पास रहता था. क्लर्क बाद में भी फॉर्म जमा ले लेता था. अब किसी कॉलेज के लिए पंजीयन तिथि समाप्त होने के बाद फॉर्म जमा करना संभव नहीं हो पायेगा. इसके अलावा पंजीयन के लिए डाटा सेंटर को भेजे जाने वाले जिलावार फार्म में भी अधिकारी के हस्ताक्षर को अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि बाद में जैक का कोई कर्मी अपने स्तर से डाटा सेंटर को पंजीयन के लिए फाॅर्म नहीं भेज सके.
सालाना 25 करोड़ की वसूली
पंजीयन की तिथि समाप्त होने के बाद प्रति वर्ष लगभग 25 हजार फाॅर्म बैक डेट से जमा होता था. इसमें लगभग 25 करोड़ रुपये का खेल होता था. एक विद्यार्थी से कम-से-कम पंजीयन के लिए 10 हजार रुपये लिये जाते थे. ऐसे विद्यार्थी कोचिंग संस्थान के माध्यम से परीक्षा में शामिल होते थे. वे कभी कॉलेज नहीं जाते थे. विद्यार्थी को परीक्षा में शामिल करवाना कोचिंग संचालक की जिम्मेदारी हाेती थी. ऐसे विद्यार्थी कॉलेज में नामांकन लिए बिना सीधे परीक्षा में शामिल होते थे.
इंटर पंजीयन की प्रक्रिया में बदलाव किया गया है. पंजीयन की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया गया है. सभी जिलाें के लिए तिथि निर्धारित की गयी है. पंजीयन जमा होने के साथ उसी दिन आवेदन को सील कर दिया जाता है, ताकि आवेदन जमा करने में बाद में कोई गड़बड़ी न हो.
डॉ अरविंद प्रसाद सिंह, जैक अध्यक्ष

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