रांची : हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने टीपीसी के 12 उग्रवादियों पर मनी लाउंड्रिंग के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है. राज्य में किसी उग्रवादी संगठन के खिलाफ इडी की यह पहली कार्रवाई है. इससे पहले मंत्रियों व उद्योगपतियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है.
इडी ने प्राथमिकी में कोहरामजी, आक्रमणजी सहित टीपीसी के 12 उग्रवादियों को नामजद अभियुक्त बनाया है. इन पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट 2002 के तहत काली कमाई को जायज करार देने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने का आरोप लगाया है.
प्राथमिकी में कहा गया है कि टीपीसी ने अाम्रपाली प्रोजेक्ट में ट्रांसपोर्टरों से अवैध वसूली करने के उद्देश्य से अाम्रपाली मगध कोल एरिया नामक संगठन बनाया है. विनोद गंझू इसमें अध्यक्ष की भूमिका में है. वह अन्य सहयोगियों के साथ मिल कर प्रोजेक्ट में कार्यरत ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों और कोयला व्यापारियों से लेवी वसूलता है. इस काम में मुनेश गंझू, कोहराम जी, दीपू सिंह सहित अन्य भी मदद करते हैं.
ये लोग लेवी नहीं देने या विरोध करनेवालों को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकियां देते हैं. लेवी वसूलने के बाद विनोद गंझू के माध्यम से उसे आक्रमणजी उर्फ ब्रजेश गंझू के हवाले कर दिया जाता है. इसके बाद राशि टीपीसी संगठन तक पहुंचती है. प्राथमिकी में कहा गया है कि पुलिस ने विनोद गंझू के घर पर छापा मार कर 91.75 लाख रुपये जब्त किये थे. साथ ही प्रदीप राम के घर से 57.57 लाख रुपये, पिस्तौल और एक देसी कट्टा जब्त किये थे.
ऐसे पहुंचा मामला : गिरफ्तारी के बाद विनोद गंझू ने हाइकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान उसके पास से जब्त 91.75 लाख रुपये के सिलसिले में कहा गया कि उसे बेदांता इंटरप्राइजेज ने 51 लाख रुपये दिये थे. शेष रकम लैंड लूजर को देने के लिए मिला था. न्यायाधीश न्यायमूर्ति आनंद सेन की अदालत नेे इस तर्क को संदेहास्पद मानते हुए कहा कि इतनी पड़ी रकम का नकद लेन-देन नियम विरुद्ध है. यह मामला मनी लाउंड्रिंग का प्रतीत होता है. इसलिए प्रवर्तन निदेशालय इस मामले की जांच कर अदालत को अपनी रिपोर्ट दे.