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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग: पाठ्यक्रम में शामिल हो मानवाधिकार
मानवाधिकार को पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए. स्कूल से विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में मानवाधिकार की पढ़ाई होनी चाहिए. यह बात राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायधीश एचएल दत्तु ने कहीं. वे ज्यूडिशियल एकेडमी में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की खुली सुनवाई के पूर्व उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहे […]
मानवाधिकार को पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए. स्कूल से विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में मानवाधिकार की पढ़ाई होनी चाहिए. यह बात राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायधीश एचएल दत्तु ने कहीं. वे ज्यूडिशियल एकेडमी में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की खुली सुनवाई के पूर्व उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. खुली सुनवाई में 84 मामलों की सुनवाई हुई.
रांची: न्यायमूर्ति एचएल दत्तु ने कहा कि मानवाधिकार के प्रति जन जागरूकता मौजूदा वक्त की मांग है, इसलिए मानवाधिकार के सिद्धांतों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए. आयोग ने इस आशय का प्रस्ताव भी दिया है और उम्मीद है कि जल्द ही इसे शामिल किया जायेगा.
न्यायमूर्ति श्री दत्तू ने कहा कि उन्हें खुशी है कि प्राकृतिक संपदा के धनी इस सुंदर राज्य में ऐसा आयोजन हो रहा है. उन्होंने मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री रघुवर दास को ऐसे आयोजन के लिए बधाई दी है. श्री दत्तु ने कहा कि एसटी-एससी और कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा करना राज्य सरकारों का दायित्व है. एसटी-एससी के अधिकारों पर केबी सक्सेना की रिपोर्ट है, जिसमें मानवाधिकार में शामिल करने की बात कही गयी है. मानवाधिकार आयोग केबी सक्सेना की अनुशंसा पर एसटी-एससी और कमजोर तबकों के अधिकारों की सुनवाई करता है. उन्होंने कहा कि मानवाधिकार आयोग देश और समाज के कमजोर तबके को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए काम कर रहा है. यह प्रयास पूरी तरह सफल हो सके इसके लिए लोगों को भी मानवाधिकार सिद्धांतों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है.
साल में कम से कम एक बार ऐसा आयोजन जरूरी
न्यायमूर्ति ने कहा कि एसटी-एससी और अन्य कमजोर वर्गों के लिए आयोग विशेष तौर पर कार्य कर रहा है. बच्चों, वृद्धों व महिलाओं के अधिकारों की रक्षा को लेकर भी आयोग सक्रिय है. इस तरह की खुली सुनवाई साल में कम से कम एक बार जरूर हो, इसे सुनिश्चित करने का प्रयास है. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारी अपनी जवाबदेही तय करेंगे. यह कार्यक्रम अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए महत्वपूर्ण होगा. उम्मीद है कि इस अवसर पर मानवाधिकार आयोग सभी के सहयोग से अपने लक्ष्य को पूरा करेगा.
एनएचआरसी अध्यक्ष ने झारक्राफ्ट में खरीदारी की
एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायाधीश एचएल दत्तु बुधवार को झारक्राफ्ट के मेन रोड स्थित शोरूम गये. उनके साथ एडीजी मुख्यालय अजय भटनागर भी थे. श्री दत्तु ने झारक्राफ्ट के पूरे शोरूम को देखा. उन्होंने यहां उपलब्ध उत्पादों की बहुत तारीफ की. यहां उन्होंने सिल्क के कई उत्पादों की खरीदारी भी की.
अच्छा संदेश जायेगा : राजबाला वर्मा
मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने कहा कि हमें इस बात का गर्व है कि रांची में मानवाधिकार आयोग द्वारा इस प्रकार के बड़े कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. भारतीय समाज हमेशा से मानवाधिकार को प्रतिष्ठा देता रहा है और इसी तथ्य को प्रमाणित करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी मानवाधिकार की रक्षा के लिए दक्षिण अफ्रीका गये थे. उन्होंने कहा कि मानवाधिकार संविधान में प्रदत्त अन्य अधिकारों की तरह ही महत्व रखता है. उन्होंने विश्वास जताया कि यह कार्यक्रम लोगों को मानवाधिकार के प्रति जागरूक करेगा और एक अच्छा संदेश देगा.
अभी भी बहुत कुछ बाकी : चतुर्वेदी
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए एनएचआरसी के रजिस्ट्रार सीके चतुर्वेदी ने कहा कि लोक प्रशासन और लोक सेवक का सीधा संबंध दलित और पिछड़े वर्ग के अधिकारों से हैं. आयोग में आयी शिकायतों से ऐसा लगता है कि अभी भी इनके लिए बहुत कुछ करना बाकी है. उन्होंने कहा कि वह जब खुद न्यायाधीश थे तब भी ऐसे मामले आते रहते थे. स्वागत भाषण गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव एनएन पांडेय ने दिया. कार्यक्रम में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य जस्टिस एससी सिन्हा, जस्टिस सी जोसेफ, जस्टिस डी मुरूगेशन, पुलिस महानिदेशक डीके पांडेय, विभन्न विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, जिलों के डीसी और एसपी भी उपस्थित समेत बड़ी संख्या में शिकायतकर्ता भी उपस्थित थे.
बोले न्यायमूर्ति
देश तरक्की कर रहा है, पर आर्थिक-सामाजिक उत्थान में बड़ी असमानता है, जिसे दूर करने के प्रयास हो रहे हैं
सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन बेहतर और पारदर्शी ढंग से होना चाहिए, आम आदमी को मिले उनका लाभ
कोल माइंस इलाकों में बाल श्रम और बंधुवा मजदूरी चिंता का विषय, इसके लिए किये जा रहे प्रयास संतोषजनक
मजदूरी से मुक्त कराये गये लोगों का पुनर्वास भी बेहद जरूरी है, राज्य सरकार ध्यान दे आैर इसकी समीक्षा करे
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उत्पीड़न के मामले मानवाधिकार आयोग के समक्ष चुनौती है.
किसी भी राज्य की सरकार और समाज के लिए मानवाधिकार की रक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए
आयोग हर जगह ऐसी शिविर बैठकों और खुली सुनवाइयों का आयोजन चाहता है, आम आदमी को रखा जा रहा केंद्र में
मानवाधिकार संरक्षण सिर्फ इससे जुड़े प्रावधानों को लागू करने से नहीं होगा, बल्कि उसकी मॉनिटरिंग भी जरूरी है
सेवानिवृत आइएएस अधिकारी से तैयार करायी है एससी-एसटी मामलों की रिपाेर्ट, आयोग की वेबसाइट पर है उपलब्ध
गुड गवर्नेंस वही होता है, जहां सरकार ने जो कार्यक्रम तय किये हैं, यह सुनिश्चित करें कि लोगों को उसका लाभ भी मिले
अस्पतालों में डॉक्टर, पारा मेडिकल स्टाफ व दवाएं रहें. सिल्कोसिस जैसी बीमारी गंभीर चुनौती है.
मानवाधिकार की रक्षा के लिए आयोग, सरकार, मीडिया और समाज मिलकर काम करें
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