प्रतिवादी की ओर से स्पीकर के न्यायाधिकरण में सभी छह विधायक के अलग-अलग अधिवक्ता तथ्य रखने के लिए पहुंचे थे. प्रतिवादी की ओर गवाहों से झाविमो के पिछले महाधिवेशन से लेकर लोकसभा और विधानसभा से जुड़े प्रश्न किये गये. क्रॉस एग्जामिन में पार्टी में अध्यक्ष के चयन प्रक्रिया से लेकर विलय को लेकर प्रश्न पूछ गये.
गवाहों का कहना था कि भाजपा में पार्टी के विलय का कोई प्रस्ताव संगठन की बैठक में नहीं आया था. इधर, वादी पक्ष के अधिवक्ता आरएन सहाय का कहना था कि 10-7-2016 को हाइकोर्ट का आदेश आया है कि 13 तक मामले की समीक्षा कर कोर्ट को अवगत करना है. हाइकोर्ट ने दोनों ही पक्ष को मिल बैठक कर सुनवाई की प्रक्रिया जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया है. वादी पक्ष से बहस करते हुए विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि इस मामले की आयु महज 5 वर्ष है. पांच वर्ष के बाद इन विधायकों की सदस्यता ऐसे भी खत्म हो जायेगी. मामले की सुनवाई में 20 महीने बीत गये हैं. इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई होनी चाहिए. मामले में समय पर रहते हुए फैसला होना चाहिए. संविधान की आत्मा की हत्या नहीं होनी चाहिए़