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अच्छे जज को अच्छा इंसान बनना जरूरी : चीफ जस्टिस
रांची : झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह ने कहा कि अच्छा जज बनने के लिए अच्छा इंसान बनना जरूरी है. जजों की भूमिका ब्यूरोक्रेट से अलग होती है. जजों से समाज की काफी अपेक्षाएं रहती हैं. कोई भी ऐसा काम नहीं करें, जिससे न्यायपालिका या आपकी छवि धूमिल हो. चीफ जस्टिस रविवार को […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह ने कहा कि अच्छा जज बनने के लिए अच्छा इंसान बनना जरूरी है. जजों की भूमिका ब्यूरोक्रेट से अलग होती है. जजों से समाज की काफी अपेक्षाएं रहती हैं. कोई भी ऐसा काम नहीं करें, जिससे न्यायपालिका या आपकी छवि धूमिल हो.
चीफ जस्टिस रविवार को ज्यूडिशियल एकेडमी में सिविल जज जूनियर डिवीजन के जजों के शपथ ग्रहण समारोह को संबोधित कर रहे थे. चीफ जस्टिस ने नये जजों को अपने अनुभव बताये. उन्होंने कहा कि वर्ष 1981 में वे भी सिविल जज की परीक्षा में बैठे, लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके बाद ईमानदारी से वकालत करना शुरू किया.
हाइकोर्ट जज बना. अब चीफ जस्टिस हूं, इसलिए जीवन में हमेशा सकारात्मक सोच रखें. जब एक जज कोर्ट में मामले की सुनवाई करता है, तो उस पर सभी की नजरें होती हैं. जज सुनवाई के दौरान धैर्य नहीं खोयें. इसके बावजूद अगर आपने धैर्य खो दिया है, तो मामले की सुनवाई तुरंत स्थगित कर दें. अगली तिथि पर धैर्य से मामले की सुनवाई करें. न्यायपालिका की गरिमा को बरकरार रखें.
एक साल तक चला प्रशिक्षण : सिविल जज जूनियर डिवीजन के जजों ने शपथ लेने से पहले एक साल तक प्रशिक्षण लिया. इन्हें ज्यूडिशियल एकेडमी में प्रशिक्षण दिया गया. 16 अगस्त 2015 को सिविल जज जूनियर डिवीजन के 105 जजों का प्रशिक्षण शुरू हुआ था. इसमें से 84 जजों ने प्रशिक्षण पूरा किया. इन्हें रविवार को चीफ जस्टिस की उपस्थिति में शपथ दिलायी गयी. 21 जजों का प्रशिक्षण पूरा नहीं हो पाया है, इसलिए वे शपथ नहीं ले पाये. शपथ ग्रहण समारोह में सिविल जज जूनियर डिवीजन के परिजन भी मौजूद थे.
गरीबों को त्वरित, सस्ता व सुलभ न्याय दिलायें
जस्टिस अपरेश सिंह ने कहा कि जज इस बात का ध्यान रखें कि गरीबों को त्वरित व सस्ता व सुलभ न्याय मिल सके. लीगल कल्चर में दो पक्षों में जीत की होड़ लगी रहती है.
मुकदमा जीतने को लेकर दोनों पक्ष प्रयास करते हैं. तथ्य प्रस्तुत करते हैं. अपनी दावेदारी पेश करते हैं. ऐसे में जजों की भूमिका अहम हो जाती है. जज धैर्य रख कर उनकी बातों को सुनें और निष्पक्ष फैसला सुनायें. जस्टिस रत्नाकर भेंगरा ने कहा कि जज संविधान के दायरे में रख कर कार्य करें. उनके आचार व्यवहार में इसकी झलक दिखनी चाहिए. इससे पहले हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने सिविल जजों का स्वागत किया. धन्यवाद ज्ञापन ज्यूडिशियल एकेडमी के निदेशक ने किया.
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