रांची: झारखंड राज्य बिजली बोर्ड में अधिकारी के रूप में पदस्थापित रहे उमेश कुमार, पीके सिन्हा, निरंजन राय, एसएन चौधरी और जीएनएस मुंडा के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी होगा. इससे संबंधित कार्रवाई करने के लिए वरीय अधिकारियों ने केस के अनुसंधानक को निर्देश दे दिया है.
गिरफ्तारी से पूर्व आरोपी अफसरों की तलाश में छापेमारी का भी निर्देश दिया गया है. निगरानी सूत्रों की मानें, तो निगरानी थाने में करोड़ों की वित्तीय गड़बड़ी के संबंध में दर्ज दो मामलों में अधिकारियों ने इस तर्क पर अपना वारंट क्वैश करवा लिया, क्योंकि वारंट जारी करने से पूर्व उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी नहीं हुई थी.
इस बार निगरानी के अधिकारी पहले गिरफ्तारी के लिए छापेमारी करेंगे, फिर छापेमारी से संबंधित बातों को स्टेशन डायरी में इंट्री कर कोर्ट में आवेदन देंगे. उल्लेखनीय है कि एपीडीआरपी योजना अंतर्गत रांची, खूंटी, रामगढ़, जामताड़ा और पाकुड़ के शहरी क्षेत्रों में 132 किलो वोल्ट ट्रांसमिशन लाइन सुदृढ़ीकरण का कार्य कराया गया था. इसमें बिजली बोर्ड के अधिकारियों ने निविदा के नियमों का उल्लंघन कर पहले कंपनी से काम करवाया. बाद में दर का पुन: निर्धारण कर अतिरिक्त भुगतान कर दिया था. इससे सरकार को करीब 107 करोड़ का वित्तीय नुकसान हुआ था. इस मामले में उक्त पांच अधिकारी मुख्य अभियुक्त बनाये गये हैं.