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हूल के नायक सिदो के परपोता बने इंजीनियर

इसी साल पूरा किया इंजीनियरिंग का डिप्लोमा, एक अदद नौकरी की तलाश रांची : 22 वर्षीय मंडल मुरमू भोगनाडीह (संथाल परगना) के निवासी है. वही भोगनाडीह, जो संथाल हूल की गौरवगाथा को अपने अंदर समेटे है. मंडल संथाल क्रांति (1855) के महानायक सिदो-कान्हू के परिवार से हैं. ये सिदो मुरमू के परपोते हैं. मंडल के […]

इसी साल पूरा किया इंजीनियरिंग का डिप्लोमा, एक अदद नौकरी की तलाश
रांची : 22 वर्षीय मंडल मुरमू भोगनाडीह (संथाल परगना) के निवासी है. वही भोगनाडीह, जो संथाल हूल की गौरवगाथा को अपने अंदर समेटे है. मंडल संथाल क्रांति (1855) के महानायक सिदो-कान्हू के परिवार से हैं. ये सिदो मुरमू के परपोते हैं. मंडल के पिता बेटाधन मुरमू की वर्ष 2002 में मौत हो गयी, जिसके बाद उसके परिवार की स्थिति अत्यंत खराब हो गयी.
वर्ष 2006 में तत्कालीन मंत्री सुदेश महतो भोगनाडीह गये. वे शहीदों के परिजनों से मिले अौर उनकी दयनीय स्थिति की जानकारी ली. सुदेश महतो ने मदद का प्रस्ताव रखा तो मंडल मुरमू ने पढ़ने की इच्छा जाहिर की. उस वक्त मंडल छठी कक्षा के छात्र थे. उसके बाद मंडल मुरमू का एडमिशन कैंब्रिज स्कूल टाटीसिलवे में कराया गया. वहीं से मंडल ने 2011 में मैट्रिक की पढ़ाई की. 2013 में बारहवीं की परीक्षा की. इसके बाद मंडल का एडमिशन सिल्ली पॉलीटेक्निक कॉलेज में कराया गया. इसी वर्ष मंडल ने डिप्लोमा पूरा
किया है.
पूर्व मंत्री सुदेश महतो ने की पढ़ाई में मदद, छठी कक्षा में ही लिया था गोद
झारखंड सरकार मुझ पर ध्यान दे, तो मिल सकती है नौकरी
मंडल मुरमू ने कहा कि पिता के गुजर जाने के बाद बदहाली की स्थिति थी. मां, दो बड़ी बहनें सहित चार लोगों का बड़ी मुश्किल से गुजारा हो रहा था. पूर्व मंत्री सुदेश महतो ने काफी मदद की. उसी का परिणाम है कि इंजीनियरिंग कर सका. उन्होंने मुझे स्कूल में दाखिल दिलवाया. हर जगह मेरी मदद के लिए खड़े रहे़. उनकी मदद के दम पर ही मैं पढ़-लिख सका़. उनका योगदान मैं कभी भूल नहीं सकता. पर अब मुझे नौकरी की जरूरत है.
मंडल मुरमू ने कहा कि काश नौ अगस्त को आदिवासी दिवस के दिन सरकार को मेरी याद आये. मंडल ने कहा कि मेरे पिता की कैंसर से मौत हो गयी थी. वे अब इस दुनिया में नहीं है. अब पूरे परिवार की जिम्मेदारी मेरे ऊपर है़ मुझे अब बस नौकरी की तलाश है. सरकार का ध्यान अगर मुझ पर जाये, तो मुझे नौकरी मिल सकती है.

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