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बोर्ड व निगमों का अॉडिट कराना चाहती है सरकार

रांची : राज्य खादी बोर्ड में विवाद पैदा होने के बाद सरकार सभी बोर्ड व निगमों का विशेष अॉडिट कराना चाहती है. फिलहाल सरकार के स्तर से सिर्फ खादी बोर्ड के लिए विशेष अॉडिट कराने का अनुरोध प्रधान महालेखाकार से किया गया है. गौरतलब है कि कई बोर्ड-निगमों का अॉडिट आठ-आठ वर्षों से लंबित है. […]

रांची : राज्य खादी बोर्ड में विवाद पैदा होने के बाद सरकार सभी बोर्ड व निगमों का विशेष अॉडिट कराना चाहती है. फिलहाल सरकार के स्तर से सिर्फ खादी बोर्ड के लिए विशेष अॉडिट कराने का अनुरोध प्रधान महालेखाकार से किया गया है. गौरतलब है कि कई बोर्ड-निगमों का अॉडिट आठ-आठ वर्षों से लंबित है.

नियमानुसार राज्य सरकार के सभी बोर्ड व निगमों को पहले सूचीबद्ध चार्टेड एकाउंटेंट से अॉडिट कराना है और इस रिपोर्ट को महालेखाकार कार्यालय में जमा करना है. इसकी स्क्रूटनी के बाद प्रधान महालेखाकार द्वारा संबंधित बोर्ड व निगमों का अॉडिट किया जाता है. अब सरकार भी सभी बोर्ड निगमों का अॉडिट कराने का मन बना चुकी है.

आठ-आठ साल से लंबित है अॉडिट : राज्य सरकार के कई बोर्ड व निगम आठ-आठ साल से अपना हिसाब नहीं दे रहे हैं. इसके चलते इनका अॉडिट नहीं हो पा रही है. जनवरी 2016 में प्रधान महालेखाकार कार्यालय की ओर से तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव गौबा को पत्र लिख कर इन बोर्ड-निगमों के हिसाब न देने पर एतराज किया जा चुका है. ऐसी कंपनियों में झारखंड स्टेट टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन(जेटीडीसी), टीवीएनएल व कर्णुपरा एनर्जी लिमिटेड शामिल हैं.

प्रधान महालेखाकार की ओर से मुख्य सचिव से ऐसी कंपनियों को एकाउंट जमा करने का निर्देश देने का आग्रह किया जा चुका है. एजी ने लिखा था राज्य सरकार के अधीन चलने वाली कंपनियों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने आय-व्यय का अॉडिट करा कर इसकी प्रति महालेखाकार कार्यालय को जांच के लिए भेजे. राज्य की अधिकांश कंपनियों ने अपना वार्षिक लेखा-जोखा महालेखाकार को नहीं भेजा है.

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