नियमानुसार राज्य सरकार के सभी बोर्ड व निगमों को पहले सूचीबद्ध चार्टेड एकाउंटेंट से अॉडिट कराना है और इस रिपोर्ट को महालेखाकार कार्यालय में जमा करना है. इसकी स्क्रूटनी के बाद प्रधान महालेखाकार द्वारा संबंधित बोर्ड व निगमों का अॉडिट किया जाता है. अब सरकार भी सभी बोर्ड निगमों का अॉडिट कराने का मन बना चुकी है.
प्रधान महालेखाकार की ओर से मुख्य सचिव से ऐसी कंपनियों को एकाउंट जमा करने का निर्देश देने का आग्रह किया जा चुका है. एजी ने लिखा था राज्य सरकार के अधीन चलने वाली कंपनियों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने आय-व्यय का अॉडिट करा कर इसकी प्रति महालेखाकार कार्यालय को जांच के लिए भेजे. राज्य की अधिकांश कंपनियों ने अपना वार्षिक लेखा-जोखा महालेखाकार को नहीं भेजा है.