रांची : लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आज यहां युवाओं का आह्वान किया कि वह अपने ज्ञान का उपयोग समाज के विकास में करें और कहा कि हिन्दुस्तान में आने वाला समय युवाओं का है तथा देश के विकास में उनकी महती भूमिका है.
रांची विश्वविद्यालय के तीसवें दीक्षांत समारोह की मुख्य अतिथि केरूप में संबोधित करते हुए महाजन ने आज यहां कहा, ‘‘आने वाला हिन्दुस्तान युवाओं का हिन्दुस्तान होगा, देश के विकास में आपकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी.’ उन्होंने जोर देकर कहा कि दीक्षांत में एक उपाधि हासिल कर लेने से काम नहीं चलेगा, समाज के लिए योगदान करना होगा. युवा जो ज्ञान अपनी शिक्षा में अर्जित करते हैं उसका उपयोग समाज के हित में उसके विकास में करना होगा. महाजन ने कहा कि शिक्षा का उपयोग मात्र पैकेज प्राप्त करना नहीं है बल्कि ज्ञान प्राप्त करना है. उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षा महज साक्षरता से नहीं अपितु ज्ञान से पूर्ण होती है. अक्षर का आशय होता है अक्षर अर्थात जिसका क्षरण न हो. महाजन ने बच्चों की शिक्षा में कल्पनाशीलता पर बल दिया और कहा कि आन लाइन उपलब्ध सुविधाओं जैसे गूगल सर्च इंजन से किसी की भी तस्वीर उतार कर दिखा देने से आज के बच्चों में कल्पनाशीलता का अभाव होता जा रहा है. लिहाजा बच्चोें को स्वयं मेधा और कल्पनाओं का संसार विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
उन्होंने इस सिलसिले में प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन को उद्धृत किया और कहा आइंस्टीन ने कहा था, ‘‘इमैजिनेशन इज मोर इंपार्टेंट दैन नाॅलेज’, अर्थात कल्पनाशीलता ज्ञान से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है.
केंद्र सरकार की ‘स्टार्ट अप इंडिया’, स्किल इंडिया आदि योजनाओं का उल्लेख करते हुए सुमित्रा महाजन ने छात्रों से इन योजनाओं का अधिकाधिक लाभ उठाकर समाज में कुछ नया करने को कहा. उदाहरण के तौर पर उन्होंने सुझाव दिया कि समाज और पर्यावरण को प्लास्टिक की समस्या से बचाने के लिए नये उद्यमी एक ऐसी मशीन विकसित करें जो प्लास्टिक के सामानों और पालीबैग कोकूड़े से अलग करके चुन सके.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘वास्तव में ज्ञान मन के अंधेरे को दूर करने के लिए होता है और इसीलिए कहा गया है, ‘अज्ञान तिमिरान्धस्य, ज्ञानांजनशलाकया, चक्षुरुन्मीलितं येन, तस्मै श्रीगुरवे नम:।’ जिसका आशय है कि अज्ञान के अंधेरे से ग्रस्त मनुष्य को ज्ञान रूपी शलाका से जो जगाता है और हमारीबंद आंखों को खोलता है उस गुरु को नमन.’ महाजन ने कहा कि आज के युवाओं को देश का सक्षम नागरिक बनना है. अब आप को निर्णय करना है और आप को आगे बढना है. इसके लिए उन्होंने छात्रों से ‘पैश्शनेट्ली क्यूरियस’ अर्थात जबरदस्त ढंग से जानने को उत्सुक या जिज्ञासु बनने को कहा. उन्होंने पूरी दुनिया को सहभागिता के साथ आगे ले जाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कहती कि आप उच्च शिक्षा लेकर गांव में जबरन जायें लेकिन आपका इतना दायित्व तो बनता ही है कि अपनी क्षमता का लाभ अपने क्षेत्र अथवा गांव के लोगों को भी अवश्य दें.’ उन्होंने कहा, ‘‘हम यह अवश्य सोचें कि अपने गांव के लिए हम क्या कर सकते हैं? इसके लिए उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को उद्धृत किया और कहा, हमें ‘पीयूआरए’ अर्थात प्रवाइडिंग अर्बन एमेनिटीज, इन रुरल एरियाज, का प्रयास करना चाहिए जिससे गांव में भी जीवन दुष्कर न रहे.’
लोकसभा अध्यक्ष ने आग्रह किया कि सभी लोग राष्ट्र की उन्नति को अपना मुख्य लक्ष्य बनायें तो समाज का कल्याण सुनिश्चित है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति अथवा राष्ट्र की उन्नति में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है. अत: शिक्षा का स्तर बनाये रखने के लिए इसकी विषयवस्तु एवं गुणवत्ता का श्रेष्ठ होना आवश्यक है. दीक्षांत समारोह में राज्यपाल सह कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू ने छात्रों का राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देने के लिए आह्वान किया. उन्होंने कहा कि देश के गांवों में अपनी प्रतिभा दिखाने और काम करने के असीम अवसर हैं जिसका युवा शक्ति को उपयोग करना चाहिए.
झारखंड की शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक परिवर्तन हुए हैं. नवीनता के अनेक द्वार खुले हैं जिनसे संबंध बनाये रखना समय की मांग है. उन्होंने कहा कि राज्य के सभी युवा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें, इसके लिए उनकी सरकार प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि राज्य से प्रतिभा पलायन रोकना उनकी सरकार की जिम्मेदारी है.
दीक्षांत समारोह को राज्य के विधानसभाध्यक्ष दिनेश उरांव और कुलपति प्रो रमेश पांडेय ने भी संबोधित किया और कहा कि कठिन परिश्रम का कोई भी विकल्प नहीं है, अत: छात्रों को परिश्रम से पीछे नहीं हटना चाहिए.
दीक्षांत समारोह में उपाधि वितरण के साथ विभिन्न विभागों के प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक से भी सम्मानित किया गया.