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शहीद के माता-पिता दर-दर की ठोकरें खाने को विवश
रांची:देश और राज्य के लिए जान की बाजी लगानेवाले जवानों के लिए कई योजनाएं हैं. शहीदों के सम्मान के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक तत्पर हैं, लेकिन इस मामले में शहीद राजू लोहरा के परिजन खुशकिस्मत नहीं हैं. बेटे के शहीद होने के गम और गर्व के बीच बुजुर्ग माता-पिता दर-दर की ठोकरें […]
रांची:देश और राज्य के लिए जान की बाजी लगानेवाले जवानों के लिए कई योजनाएं हैं. शहीदों के सम्मान के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक तत्पर हैं, लेकिन इस मामले में शहीद राजू लोहरा के परिजन खुशकिस्मत नहीं हैं.
बेटे के शहीद होने के गम और गर्व के बीच बुजुर्ग माता-पिता दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. झारखंड पुलिस के जवान राजू लोहरा 12 जून 2009 को बोकारो जिले के बेरमो थाना क्षेत्र में हुए नक्सली विस्फोट में शहीद हो गये थे. वे लोहरदगा जिले के बरानथपुर (पोस्ट हिरही) निवासी वासुदेव लोहरा के बड़े पुत्र थे. पीड़ित पिता के अनुसार घटना के बाद उन लोगों को सरकार की ओर से किसी तरह की सुविधा नहीं मिली और न ही किसी तरह की घोषणा की गयी.
शहीद के दो भाई की हो चुकी है हत्या : बेटे के गम और सरकार की उपेक्षा के बीच बासुदेव लोहरा संभल पाते, इससे पहले ही उनके दो अन्य बेटों पुत्र शिवजीत केरकेट्टा व सैमुएल लोहरा की गांव में ही विवाद में हत्या कर दी गयी. इकलौती बेटी अपने ससुराल जा चुकी है. 81 वर्षीय वासुदेव खुद पक्षाघात से पीड़ित हैं, जबकि उनकी पत्नी जिताइन भी 76 साल की हो चुकी हैं. दोनों बुजुर्गों की देखभाल के लिए इस परिवार में अब कोई सदस्य नहीं बचा है.
सात साल से लड़ रहे हैं कानूनी लड़ाई : बासुदेव लोहार पिछले सात साल (वर्ष 2010) से ही अविवाहित शहीद पुत्र के वित्तीय लाभ के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. इस बीच लोहरदगा प्रखंड के सहेदा गांव की सिलवंती बाड़ा पिता बहादुर बाड़ा ने कोर्ट में मुकदमा दायर कर दावा कर दिया कि वर्ष 2002 में चंदवा के मंदिर में राजू लोहरा ने उससे शादी की थी. शहीद की पत्नी होने के नाते तमाम वित्तीय लाभ उसे ही मिलने चाहिए. वहीं, राजू के माता-पिता का दावा है कि राजू की कभी शादी ही नहीं हुई. सिविल कोर्ट ने शहीद के माता-पिता के नाम सक्सेशन सर्टिफिकेट जारी करने का आदेश दिया.
हाइकोर्ट में वर्ष 2013 से है मामला लंबित : माता-पिता के नाम पर सिविल कोर्ट से सक्सेशन सर्टिफिकेट जारी होने के बाद भी शहीद का परिवार वित्तीय लाभ से वंचित है. पेंशन सहित अन्य लाभ के लिए शहीद के बुजुर्ग पिता बासुदेव लोहरा की अोर से दायर रिट याचिका (6307/2013) झारखंड हाइकोर्ट में वर्ष 2013 से लंबित है. अधिवक्ता विजय रंजन सिन्हा के मुताबिक इस याचिका पर अब तक सुनवाई नहीं हो पायी है. हालांकि, सुनवाई के लिए यह याचिका कई बार सूचीबद्ध हो चुकी है. वहीं, राज्य की सरकार व पुलिस प्रशासन हाइकोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं.
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