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13 हजार गांवों में बाल संरक्षण समिति गठित

रांची:राज्य के करीब 13 हजार गांवों में ग्राम बाल संरक्षण समिति का गठन किया गया है. समाज कल्याण विभाग से संबद्ध झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्थान के सूत्रों के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष में सभी 32615 राजस्व ग्राम में इसका गठन करने का लक्ष्य है. किशोर न्याय (बालकों की देखरेख व संरक्षण) अधिनियम-2007 के अनुसार […]

रांची:राज्य के करीब 13 हजार गांवों में ग्राम बाल संरक्षण समिति का गठन किया गया है. समाज कल्याण विभाग से संबद्ध झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्थान के सूत्रों के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष में सभी 32615 राजस्व ग्राम में इसका गठन करने का लक्ष्य है. किशोर न्याय (बालकों की देखरेख व संरक्षण) अधिनियम-2007 के अनुसार जिला, प्रखंड व गांव स्तर पर बाल संरक्षण समितियों का गठन किया जाना है.

अधिनियम के तहत समेकित बाल संरक्षण योजना के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु के बालक व बालिकाअों के सर्वांगीण विकास के लिए समुदाय स्तर पर एक सुरक्षा कवच निर्मित करने, बाल संरक्षण के लिए उचित परिवेश का निर्माण करने, बच्चों को हिंसा व दुर्व्यवहार से बचाने तथा उनके उचित पालन व देखरेख को सुनिश्चित करने के लिए इस समिति का गठन अनिवार्य है. शहरी क्षेत्रों में भी वार्ड स्तर पर बाल संरक्षण समिति गठित होगी.

कौन होंगे समिति में : समिति में कुल नौ सदस्य होंगे. इनमें अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम प्रधान या इनके द्वारा मनोनीत जन प्रतिनिधि तथा गैर अनुसूचित क्षेत्र में गांव का कोई जन प्रतिनिधि (अध्यक्ष), आंगनबाड़ी सेविका, ग्राम स्वच्छता व पोषण समिति की एक सदस्य या सहिया, महिला बचत समूह या एसएचजी की प्रतिनिधि, बाल संसद/बाल समूह से एक बालक व एक बालिका, विद्यालय प्रबंधन समिति के दो सदस्य एक महिला व एक पुरुष तथा ग्राम सभा से चयनित एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं. गांवों में बनने वाली बाल संरक्षण समिति प्रति एक हजार की आबादी पर गठित होगी. जहां आबादी एक हजार से अधिक होगी, वहां दो समिति का गठन किया जायेगा.

समिति का कार्य : इस समिति का काम बच्चों के अधिकार व संरक्षण से संबंधित मुद्दों के अनुश्रवण (मॉनिटरिंग) तथा बाल अधिकारों के हनन की रोकथाम में सहयोग प्रदान करना है. ग्राम समिति कठिन परिस्थिति में रहने वाले बच्चों, उनके परिवारों, नये आगंतुक बच्चों तथा गांव से बाहर गये बच्चों की सूची तैयार कर इनका ध्यान रखेगी. सूचि हर माह अद्यतन (अप-टू-डेट) की जायेगी तथा इसकी एक कॉपी प्रखंड व जिला स्तरीय समिति को भेजी जायेगी. समिति का काम बाल श्रम, बाल यौन शोषण, पलायन, मानव व्यापार (ट्रैफिकिंग) व बाल विवाह जैसी कुप्रथाअों को रोकना है. वहीं इसका काम संबंधित परिवार को किसी बच्चे के प्रमाण पत्र व जन्म निबंधन प्राप्ति सुनिश्चित कराने सहित बच्चों को उनके लिए संचालित योजनाअों का लाभ दिलाना भी होगा.

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