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पद से हटना चाहते हैं निदेशक पर अधिकारी चाहते हैं रखना

रांची : राज्य के गव्य निदेशक डॉ आलोक कुमार पांडेय अपने पद से हटना चाहते हैं. उनका कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है. उन्होंने विभागीय सचिव को पत्र लिखकर एक जुलाई से विरमित कर देने का आग्रह किया है. विभाग के मंत्री रणधीर कुमार सिंह इससे पूर्व ही इन्हें हटाना चाहते थे. आठ […]

रांची : राज्य के गव्य निदेशक डॉ आलोक कुमार पांडेय अपने पद से हटना चाहते हैं. उनका कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है. उन्होंने विभागीय सचिव को पत्र लिखकर एक जुलाई से विरमित कर देने का आग्रह किया है.
विभाग के मंत्री रणधीर कुमार सिंह इससे पूर्व ही इन्हें हटाना चाहते थे. आठ मार्च 2016 को उन्होंने विभाग को लिखा था कि डॉ पांडेय को उनके पैतृक विभाग में वापस कर दिया जाये. चारा खरीद में हुई गड़बड़ी की जांच कराने के बाद ऐसा निर्देश दिया था. जांच कमेटी द्वारा गड़बड़ी में शामिल पाये गये एक अधिकारी पर प्रपत्र क (विभागीय कार्रवाई) गठित करने का निर्देश दिया गया था. मंत्री के आदेश के दो महीने बाद भी डॉ पांडेय को नहीं हटाया गया.
अब तैयार हो रही विस्तार देने की संचिका : अब जब डॉ पांडेय ने खुद को निदेशक गव्य के पद से विरमित करने के लिए पत्र लिख दिया है, तो उनको छह माह का विस्तार देने संबंधी संचिका तैयार की गयी है. संचिका पर विभागीय मंत्री और सचिव का अनुमोदन प्राप्त करना है. विभाग में तैयार संचिका पर संयुक्त सचिव दिगेश्वर तिवारी और उप सचिव बसंतु का अनुमोदन ले लिया गया है. संचिका में लिखा गया है कि डॉ पांडेय को नयी नियुक्ति होने तक या छह माह की अवधि तक विस्तार दिया जा सकता है. इस पर विभागीय मंत्री से अनुमोदन प्राप्त कर बीएयू से लियेन अवधि बढ़ाने के लिए आग्रह किया जा सकता है.
चार साल से निदेशक गव्य हैं डॉ पांडेय
डॉ आलोक कुमार पांडेय मूल रूप से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय प्राध्यापक हैं. जेपीएससी द्वारा आयोजित इंटरव्यू में छह जून 2012 को निदेशक गव्य के लिए चयन हुआ था. दो जुलाई को इन्होंने राज्य सरकार में तीन साल के लिए योगदान दिया था. विश्वविद्यालय ने इन्हें तीन साल का लियेन दिया था. 30 जून 2015 में इनका समाप्त हो रहा था. इसके बाद विशेष आग्रह के बाद एक साल के लिए लियेन की अवधि ( एक जुलाई 2016 तक) बढ़ा दी गयी थी. लियेन अवधि बढ़ाने वाले पत्र में विश्वविद्यालय ने जिक्र किया था कि किसी भी परिस्थिति में इसका विस्तार नहीं होगा.

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