रांची:झारखंड हाइकोर्ट ने 42 दिन पहले पत्नी प्रियंका सरखेल व पति बबन सरखेल को मिलवाया था. अब उक्त दंपती दूसरे के पारिवारिक सहित अन्य मतभेदों को सुलझाने का काम करेंगे. शुक्रवार को अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने झालसा को प्रियंका सरखेल व बबन सरखेल को पारा लीगल वोलेंटियर/मेडियेटर के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया. वे झालसा की अोर से धनबाद में काम करेंगे.
झालसा के सदस्य सचिव को यह भी निर्देश दिया गया कि दंपती को मोमेंटो व गिफ्ट में घरेलू उपयोग का समान प्रदान करने की व्यवस्था करें. साथ ही कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस डीएन पटेल से दंपती को सम्मानित करने का आग्रह किया गया. शुक्रवार को सुनवाई के दाैरान प्रियंका व बबन कोर्ट में सशरीर उपस्थित थे.
उन्होंने कहा कि वे अब खुशी-खुशी रह रहे हैं. उनमें कोई मतभेद नहीं रहा. जो मतभेद था, वह शांतिपूर्वक सुलझा लिये गये हैं. खंडपीठ ने दंपती की बातों को सुनने के बाद उन्हें प्रोत्साहित किया. यह भी कहा कि खुशीपूर्वक जीवन बितायें, जिसमें कभी भी मतभेद पैदा होने की नाैबत ही नहीं आ पाये. उल्लेखनीय है कि छह मई 2016 को पत्नी प्रियंका सरखेल को कोर्ट ने सुनवाई के दाैरान ही ससुराल भेज दिया था. कोर्ट की मध्यस्थता व समझाने के बाद प्रियंका ससुराल जाने को तैयार हुई थी.
ससुराल नहीं जाना चाहती थी, पति ने की थी फरियाद
घरबार बलियापुर थाना धनबाद निवासी पारा शिक्षक बबन सरखेल की शादी 27 अप्रैल 2008 को हुई थी. पढ़ाई को लेकर पति-पत्नी में मतभेद हुआ. बाद में पत्नी ने ससुराल जाने से इनकार कर दिया. उसका कहना था कि वह पढ़ना चाहती है, उसे ससुराल नहीं जाना है. काफी प्रयास के बाद पत्नी मायके से नहीं लाैटी, तो पति बबन ने धनबाद के फैमिली कोर्ट में मामला दायर कर पत्नी दिलाने की गुहार लगायी. फैमिली कोर्ट ने पति के पक्ष में फैसला देते हुए पत्नी को ससुराल जाने का आदेश दिया. पत्नी ने कोर्ट के फैसले को हाइकोर्ट में अपील दायर कर चुनाैती दी है. इस दंपती का एक छह साल का बच्चा भी है.