बहू परेशान है. कहती है, ‘कितनी सेवा करूं. रोग का कोई अंत हो, तो समझ में आये. हमें पता है कि वह कभी ठीक नहीं होंगी. मैं तो सिर्फ सेवा कर सकती हूं. हमारा पूरा परिवार तिल-तिल कर मर रहा है. पता नहीं, कब किसी और को यह रोग धर ले.’ ये दो महिलाएं उदाहरण हैं. वर्ष 2006 से 2016 के बीच 36 से अधिक लोग असमय काल के गाल में समा चुके हैं. शिवपतिया तो मात्र 40 साल की उम्र में ही मर गयी थी. गांव के बच्चे भी विकलांग होने लगे हैं. समस्या इतनी गंभीर होने के बावजूद कभी जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस तरफ नहीं गया.
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झारखंड : गढ़वा के प्रतापपुर के मौनाहा टोले में फ्लोराइड बना जानलेवा, आबादी छह सौ, दूषित पानी से 36 लोग मरे
यह कहानी है गढ़वा की प्रतापपुर पंचायत स्थित प्रतापपुर गांव की. इस गांव में 600 की आबादीवाले मौनाहा टोले की हालत यह है कि यहां पानी में निर्धारित मानक से पांच गुना अधिक फ्लोराइड है. इस टोले में शायद ही कोई एेसा व्यक्ति होगा, जो फ्लोरोसिस से पीड़ित नहीं होगा. लोगों के हाथ-पैर टेढ़े हो […]
यह कहानी है गढ़वा की प्रतापपुर पंचायत स्थित प्रतापपुर गांव की. इस गांव में 600 की आबादीवाले मौनाहा टोले की हालत यह है कि यहां पानी में निर्धारित मानक से पांच गुना अधिक फ्लोराइड है. इस टोले में शायद ही कोई एेसा व्यक्ति होगा, जो फ्लोरोसिस से पीड़ित नहीं होगा. लोगों के हाथ-पैर टेढ़े हो गये हैं. बिस्तर से उठ नहीं पाते़ ग्रामीणों के अनुसार, पिछले 10 सालों में इस टोले के 36 लोगों की मौत हो गयी है.
विनोद पाठक/मिथिलेश झा
गढ़वा/रांची. गढ़वा जिला मुख्यालय से महज 12 किमी दूर प्रतापपुर पंचायत स्थित प्रतापपुर गांव के मौनाहा टोले में फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से एक दशक में 36 लोगों की मौत हो चुकी है. 50 से अधिक लोग पीड़ित हैं, जो कभी ठीक नहीं हो पायेंगे. 600 की आबादीवाली इस टाेले में 1997-98 में पहली बार लोगों को पता चला कि वे फ्लोराइडयुक्त पानी पी रहे हैं. उन्हें जो बीमारी हुई है, वह लाइलाज है. दरअसल, इस क्षेत्र के लोगों को अजीब-ओ-गरीब बीमारी हो गयी थी. हाथ-पैर मुड़ने लगे. हड्डियां गलने लगीं. दांत पीले पड़ कर झड़ने लगे. कई लोग चलने-फिरने में असमर्थ हो गये. कई की मौत हो गयी. डॉक्टर के पास गये, तो बीमारी की वजह मालूम हुई. भूमिगत जल की जांच करायी गयी. पता चला कि इसमें फ्लोराइड की मात्रा 5.92 मिलीग्राम प्रति लीटर है, जो मान्य मात्रा 1.5 मिलीग्राम से करीब चार गुना अधिक है. यह मात्रा अब 7.85 मिलीग्राम तक पहुंच गयी है. जो तय मानक से पांच गुना अधिक है.
टूट चुकी हैं हड्डियां, महीनों से बिस्तर पर हैं
करीब 5000 की आबादीवाली प्रतापपुर पंचायत में सबसे बुरा हाल मौनाहा टोला का ही है. यहां की रमपतिया देवी (55) कई साल से मौत का इंतजार कर रही है. उसके हाथ इस कदर लंबे और टेढ़े हो गये हैं, मानो इनसान के हाथ नहीं, किसी फूल के पेड़ की साख हों. पैर ऐसे मुड़ गये हैं, मानो कमान हो. उसकी स्थिति इतनी बुरी हो गयी है कि वह नित्य कर्म के लिए भी दूसरों पर निर्भर है. खड़ी तक नहीं हो सकती. अपने हाथ से न खाना खा सकती है, न पानी पी सकती है. इसी टोले की जीवबसिया दिन-रात बिस्तर पर पड़ी रहती है. हालांकि, उसकी स्थिति रमपतिया जैसी नहीं हुई है, लेकिन जिंदा लाश बन कर रह गयी है. उसके पैरों की हड्डियां टूट चुकी हैं. महीनों से बिस्तर पर है. बेडसोल हो गया है.
देश के 219 राज्यों में है असर
ज्ञात हो कि समस्या सिर्फ गढ़वा में नहीं है. झारखंड, बिहार, असम और उत्तर प्रदेश के गांवों की 78 लाख से अधिक आबादी फ्लोराइडयुक्त पानी पी रही है. झारखंड में गढ़वा और पलामू दो जिले ऐसे हैं, जहां फ्लोरोसिस की समस्या सबसे अधिक है. वर्ष 2002 में देश के 17 राज्य फ्लोरोसिस से बुरी तरह प्रभावित थे. अभी 19 राज्यों के 219 जिलों के करीब 1,50,000 गांवों में डेंटल फ्लोराइड का असर है. इन राज्यों में 6.6 करोड़ लोग फ्लोरोसिस से प्रभावित हैं. इसमें 14 साल या इससे कम उम्र के 60 लाख बच्चे हैं, जो डेंटल फ्लोरोसिस से पीड़ित हैं..
गंभीर रूप से प्रभावित
1. रमपतिया देवी (55): गनौरी राम की पत्नी रमपतिया के हाथ और पैर मुड़ चुके हैं. खुद उठने में भी असमर्थ है
2. लखपतिया देवी (55) : दोनों किडनी फेल हो चुकी है. डॉक्टर कहते हैं कि लगातार पेनकिलर खाने से ऐसी नौबत आयी है फ्लोराइडजनित बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए पेनकिलर ही एकमात्र सहारा है, जिसे खाने के बाद वह सो पाती है
3. कमला देवी (55) : कमर झुक गया. पैर में ताकत नहीं रही. बिना लाठी के चल नहीं सकती
4. मानव देवी (50) : किडनी खराब हो चुकी है. वजह लगातार पेनकिलर खाना
5. जीवबसिया देवी (52) : कमर की हड्डी क्रैक हो गयी है. लाठी के सहारे चलने की कोशिश की, तो दोनों पैर टूट गये. अब खड़ी भी नहीं हो पाती
6. पवन कुमार (08) : जन्म से ही दोनों पैर मुड़े हैं. रांची में डॉक्टरों को दिखाया, तो कहा कि फ्लोराइडयुक्त पानी की वजह से ऐसा हुआ है. इसका कोई इलाज नहीं है
7. जनेश्वर राम (45) : शरीर की नसें सिकुड़ गयी हैं. रक्त की कमी हो गयी है. डॉक्टर ने नियमित रक्त चढ़ाने की सलाह दी है
8. अरविंद कुमार (19) : जनेश्वर के बेटे की नसें सिकुड़ने लगी हैं. उसे यक्ष्मा भी हो गया है
9. सरयू राम (53) : खड़े होने में होती है परेशानी. लाठी के सहारे किसी तरह चलता-फिरता है
10. तुलसी राम (52) : रीढ़ की हड्डी में दर्द से परेशान
11. प्रमिला देवी (45) : कमर टेढ़ी हो गयी है. लाठी के सहारे खड़ी होती है और किसी तरह चलती है
12.मुनिया देवी (42) : कमर हो गयी टेढ़ी, लाठी का सहारा न हो, तो चलना-फिरना है मुश्किल
13. अमेरिका राम (50) : गैस की बीमारी हुई. ऑपरेशन कराया. इसके बाद अल्सर हो गया. डॉक्टरों ने कहा कि दूषित पानी के सेवन से ऐसा हुआ
14. पुनिया देवी : कमर दर्द से परेशान रहती है. चलने में भी कठिनाई हो रही है.
सरकार ने अब तक क्या किया
2007-08 में तत्कालीन स्थानीय विधायक गिरिनाथ सिंह ने विधानसभा में मामले को उठाया था. सरकार ने 1.85 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी थी. कोयल नदी के पानी को फिल्टर कर पाइपलाइन के जरिये प्रतापपुर के सभी टोलों को उपलब्ध कराना था. योजना पर काम हुआ और कुछ दिनों तक लोगों को पाइपलाइन के जरिये पानी मिला. लेकिन बाद में लोगों को पानी मिलना बंद हो गया.
इसके बाद चापानल में फिल्टर किट लगाये गये. कुछ दिनों बाद फिल्टर किट ने भी काम करना बंद कर दिया. आज एकमात्र चापानल में लगा किट काम कर रहा है.
2011 में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के निर्देश पर 27 सितंबर को केंद्रीय फ्लोरोसिस नियंत्रण टीम ने प्रतापपुर गांव का दौरा किया. टीम ने पाया कि छह वर्ष से गांव में स्वच्छ पानी देने की योजना पर अमल नहीं हुआ. सरकार ने एक करोड़ रुपये की वाटर फिल्टरेशन मशीन दी थी, उसका भी उपयोग नहीं हुआ.
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए की जा रही है पहल : उपायुक्त
प्रतापपुर गांव में ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए चापानल में 10 किट लगाने के निर्देश दिये गये हैं. सबसे अधिक फ्लोराइड प्रभावित मौनाहा टोला में फिलहाल पाइप के माध्यम से घर तक पानी की आपूर्ति की जा रही है़ जहां-जहां पाईप फटा था, उसकी मरम्मत के लिए पेयजल आपूर्ति विभाग को निर्देश दिये गये हैं. प्रतापपुर में स्थायी रूप से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाना है़ इसके लिए भूमि का क्लियरेंस कर राज्य सरकार को भेज दिया गया है़ ट्रीटमेंट प्लांट लगने के बाद पेयजल की समस्या दूर हो जायेगी़ तना ही नहीं, डॉक्टरों को नियमित रूप से ग्रामीणों का इलाज करने के निर्देश दिये गये हैं.
नेहा अरोड़ा ,उपायुक्त, गढ़वा
इनकी हो चुकी है मौत : मुनिया देवी, रजपतिया देवी, लखपतिया देवी, कुंती देवी, दुर्गावती देवी, आरती कुमारी, रामचंद्र राम, मटुकन राम, सोमरिया देवी, एतबरिया देवी, जसमतिया देवी, अंतु राम, रूपदेव राम, दुखनी देवी, नरेश राम, शिव राम, शिवपतिया देवी, प्रतिमा देवी आदि.
कहां कितना फ्लोराइड
जिला जगह मात्रा
गढ़वा प्रतापपुर 7.85
रांची ओरमांझी 2.60
रामगढ़ चुटुपालू 2.60
बोकारो चास 2.50
पलामू विश्रामपुर 2.46
रांची सिल्ली 2.20
पलामू चैनपुर 2.18
गोड्डा बारीजोर 1.81
गोड्डा ललमटिया 1.81
(मात्रा मिग्रा/ली में) (स्रोत : पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, झारखंड, 2000)
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