08 जून 2015. पलामू के सतबरवा में पुलिस ने नक्सली बता 12 लोगों को मार गिराया था.
ठीक एक साल पहले यानी आठ जून 2015 काे पलामू के सतबरवा में पुलिस ने मुठभेड़ के नाम पर नक्सली कहते हुए 12 लाेगाें काे मार गिराया था. सीआइडी इस मामले की जांच कर रहा है. एक साल हाे गये, सीआइडी इस बात काे अभी तक स्पष्ट नहीं कर पाया है कि मुठभेड़ असली थी या फर्जी, मारे गये लाेग नक्सली थे या काेई आैर. इस बीच कुछ तसवीरें प्रभात खबर काे मिली हैं, जाे मुठभेड़ पर सवाल खड़ा करती हैं.
सुरजीत सिंह,रांची
आठ जून 2015 की रात की घटना है. सतबरवा में पुलिस ने 12 कथित नक्सलियों को मार गिराया था. यह मामला सदर (सतबरवा) थाना में कांड संख्या-349/2015 दर्ज है. इस घटना के बाद अनेक संगठनाें ने जांच की मांग की थी. सीआइडी काे जांच का जिम्मा दिया गया था. सीआइडी जांच भी कर रहा है, लेकिन जांच पूरी नहीं हुई है. सीआइडी एक साल बीत जाने के बावजूद किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा है. इस बीच प्रभात खबर काे मुठभेड़ की घटना से जुड़ी कुछ तसवीरें मिली हैं, जिससे मुठभेड़ पर सवाल उठ खड़ा हाेता है.
घटना के तुरंत बाद ही कई संगठनों ने मुठभेड़ पर सवाल उठाया था. घटना में जो लोग मारे गये, उनमें एक थे डॉ आरके उर्फ अनुराग. उसके नक्सली होने का रिकाॅर्ड पुलिस के पास था. अन्य जाे लाेग मारे गये थे, वे थे-अमलेश यादव (35), अनुराग का बेटा संतोष यादव (25), अनुराग का भतीजा योगेश यादव (25), स्कॉरपियो चालक मो एजाज अहमद, पारा टीचर उदय यादव (35 ), नीरज यादव (25), महेंद्र (करीब 15 साल) और सत्येंद्र (करीब 17-18 साल).
इन लाेगाें में से उस दाैरान पुलिस के पास किसी के नक्सली हाेने का रिकार्ड नहीं था. सीआइडी जांच भी इसलिए हाे रही है, ताकि पता चल सके कि इसमें कितने नक्सली थे, कितने नहीं, मुठभेड़ हुई थी या नहीं. पुलिस ने कथित मुठभेड़ के बाद जब्ती सूची बनायी थी. प्रारंभिक ताैर पर देखने में इस सूची में आैर हाल में मिली कुछ तसवीराें में बुनियादी फर्क दिखता है. आइये देखें, क्या-क्या है फर्क. प्रभात खबर उन तसवीराें काे आैर उनसे उठते कुछ सवालाें काे सिर्फ इसलिए उठा रहा है ताकि जांच के दाैरान सीआइडी इन साक्ष्याें पर भी गाैर करे. शायद इससे जांच काे आगे बढ़ाने आैर सच्चाई जानने में सहायता मिले.
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पुलिस की जब्ती सूची
जब्ती सूची के अनुसार उदय यादव के शव के पास एक 30.06 बोर की राइफल मिली थी. इसे खोलने पर चैंबर में लोड एक गोली मिली थी. पहना हुआ बिंडोलिया में पांच चार्जर के साथ 45 चक्र जिंदा गोली भी थी. राइफल के बैरल से बारूद का गंध आ रहा था. शव के बगल में कुछ दूरी पर चार खाली खोखा मिला.
क्या कहती है तसवीर
उदय यादव की तसवीर के निकट एक राइफल व एक लाल रंग की चप्पल पड़ी है. इस राइफल में न तो मैगजीन है और न ही बोल्ट है.
सवाल : जब मैगजीन -बाेल्ट नहीं है, ताे पुलिस को इस राइफल के बैरल से बारूद का गंध आता हुआ कैसे मिला?
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पुलिस की जब्ती सूची
जब्ती सूची के अनुसार आठ राइफल और गोलियां बरामद की गयीं. सभी राइफल में मैगजीन-गोली थी. बैरल से बारूद का गंध भी आता मिला था.
क्या कहती है तसवीर
एक राइफल में न तो मैगजीन है और न ही बोल्ट, जबकि एक राइफल में बोल्ट और ट्रिगर तो दिख रहा है, पर मैगजीन नहीं दिख रही.
सवाल : इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि राइफल की मरम्मती करा कर उसे जब्ती सूची में िदखाया गया.
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पुलिस की जब्ती सूची
जब्ती सूची के अनुसार मृतक एजाज अहमद का शव स्कॉरपियो (डब्ल्यूबी-60ई-2011) में ड्राइवर की सीट पर पाया गया. ऊपरी हिस्से में खून लगा ब्लू-नारंगी रंग का तौलिया जब्त हुआ था. एजाज की पॉकेट से एक ड्राइविंग लाइसेंस मिला था, जिसमें ग्वालियर का पता अंकित था.
क्या कहती है तसवीर
स्कॉरपियो के आगे की ड्राइविंग सीट पर कमर के नीचे के हिस्से में एक तकिया पड़ा है. कमर के ऊपर के हिस्से के तौलिया में खून नहीं लगा है. डैश बोर्ड, स्टीयरिंग, आगे का दाहिना दरवाजा या अन्य कहीं भी पर खून का एक धब्बा भी नहीं दिख रहा है.
सवाल : विशेषज्ञ मानते हैं कि गोली लगने पर खून जहां-तहां लगा होना चाहिए था. पर तसवीर में खून कहीं दिख नहीं रहा है.
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पुलिस की जब्ती सूची : जब्ती सूची में पुलिस ने लिखा है कि घटनास्थल से नक्सलियों के पास से नोकिया का एक पुराना मोबाइल और एक स्पाईस कंपनी का मोबाइल बरामद किया गया. स्पाईश कंपनी की मोबाइल में गोली लगने का छेद है.
क्या कहती है तसवीर
एक मृतक (जिसने ब्लू रंग की गंजी पहनी थी) के हाथ के पास एक मोबाइल पड़ा है. इसके स्क्रीन पर खून लगा है, पर स्क्रीन सही सलामत है.