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मनरेगा कार्यक्रमों का होगा सोशल ऑडिट

जेएसएलपीएस के तहत बनेगी स्वतंत्र इकाई रांची : महात्मा गांधी नेशनल रूरल इंप्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (मनरेगा) के तहत राज्य भर में चल रहे कार्यक्रमों तथा इसके लिए हुए भुगतान की सोशल अॉडिट (सामाजिक अंकेक्षण) होगा. इसकी रिपोर्ट सीएजी (कंपट्रोलर एंड अॉटिडर जेनरल) को भी जायेगी. ग्रामीण विकास विभाग के तहत संचालित संस्था झारखंड स्टेट लाइवलीहुड […]

जेएसएलपीएस के तहत बनेगी स्वतंत्र इकाई
रांची : महात्मा गांधी नेशनल रूरल इंप्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (मनरेगा) के तहत राज्य भर में चल रहे कार्यक्रमों तथा इसके लिए हुए भुगतान की सोशल अॉडिट (सामाजिक अंकेक्षण) होगा. इसकी रिपोर्ट सीएजी (कंपट्रोलर एंड अॉटिडर जेनरल) को भी जायेगी. ग्रामीण विकास विभाग के तहत संचालित संस्था झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) सोशल अॉडिट कार्य के लिए स्वतंत्र इकाई गठित करेगी. इसके लिए इच्छुक लोगों का चयन प्रखंड सामाजिक अंकेक्षण संसाधन व्यक्ति (ब्लॉक रिसोर्स पर्सन या बीआरपी) तथा विलेज रिसोर्स पर्सन (वीआरपी) के रूप में किया जायेगा.
फील्ड लेबल पर जहां बीआरपी तथा वीआरपी की मदद से अंकेक्षण का काम होगा, वहीं राज्यस्तर पर भी इसके लिए राज्य समन्वयक (स्टेट कोअॉर्डिनेटर), तथा तीन सामाजिक अंकेक्षण विशेषज्ञ (प्रक्रिया, क्षमता विकास तथा मैनेजमेंट इंफोरमेशन सिस्टम) सहित जिलों के रिसोर्स पर्सन भी होंगे. राज्यस्तरीय अंकेक्षण पदाधिकारियों व कर्मियों की नियुक्ति अनुबंध पर तीन सालों को लिए होगी. प्रदर्शन के आधार पर हर वर्ष इनकी सेवा का नवीकरण होगा.
मनरेगा के सामाजिक अंकेक्षण कार्य संबंधी भारत सरकार के सलाहकार गुरजीत के अनुसार पहले मनरेगा के कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण कुछ गैर सरकारी संस्थाएं अपने स्तर से करती थी. सरकार का प्रतिनिधित्व इसमें कभी होता था, कभी नहीं होता था. वहीं सरकार अंकेक्षण की रिपोर्ट मानने को भी बाध्य नही थी. पर अब सामाजिक अंकेक्षण संबंधी भारत सरकार के गाइडलाइन (वर्ष 2011) के तहत राज्यों को अपने यहां अंकेक्षण के लिए स्वतंत्र इकाई का गठन करना है. झारखंड ने भी इसी के तहत यह कार्य शुरू किया है.
कैसे किया जाता है सामाजिक अंकेक्षण
सामाजिक अंकेक्षण के दौरान इसकी टीम किसी गांव या पंचायत में घर-घर जाकर लोगों से कुछ सवालों का जवाब पूछती है. यह देखा जाता है कि संबंधित गांव-पंचायत में लोगों को मनरेगा के तहत मजदूरी का पूरा व समय से भुगतान हुआ या नहीं. लोगों को कितने दिन का रोजगार मिला है. इसके अलावा मनरेगा के तहत हुए कार्यों का भी जन सुनवाई की शैली में तथा स्थल का निरीक्षण कर आकलन किया जाता है. बाद में इसकी रिपोर्ट तैयार होती है.

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