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मशीन का डोभा हाथ से बन रहे डोभा से महंगा
रांची: राज्य भर में इन दिनों डोभा बन रहा है. ग्रामीण विकास विभाग के तहत मनरेगा तथा कृषि विभाग के तहत भूमि संरक्षण निदेशालय से यह काम हो रहा है. दोनों विभागों ने बरसात से पहले डोभा निर्माण का अलग-अलग लक्ष्य तय किया है. राज्य भर में मनरेगा के तहत करीब डेढ़ लाख तथा भूमि […]
रांची: राज्य भर में इन दिनों डोभा बन रहा है. ग्रामीण विकास विभाग के तहत मनरेगा तथा कृषि विभाग के तहत भूमि संरक्षण निदेशालय से यह काम हो रहा है. दोनों विभागों ने बरसात से पहले डोभा निर्माण का अलग-अलग लक्ष्य तय किया है. राज्य भर में मनरेगा के तहत करीब डेढ़ लाख तथा भूमि संरक्षण निदेशालय के तहत एक लाख डोभा बनाये जाने हैं. भूमि संरक्षण का डोभा जेसीबी मशीन से तथा मनरेगा का हाथ (मजदूरों) से बन रहा है. पर मशीन से बन रहे डोभा की लागत हाथ से बन रहे डोभा से अधिक है. वहीं भूमि संरक्षण निदेशालय के जरिये मशीन से डोभा निर्माण में अनियमितता की शिकायत है.
वैसे तो डोभा कई अाकार के बन रहे हैं. पर 30 गुना 30 गुना 10 फीट का डोभा ज्यादा बन रहा है. इस आकार का डोभा जहां मनरेगा के तहत 20267 रुपये में बनाया जा रहा है. वहीं मशीन से इसे बनाने में 21916 रुपये खर्च हो रहा है. भूमि संरक्षण निदेशालय के अनुसार डोभा की लागत का आकलन झारखंड इंजीनियरिंग मैनुअल के आधार पर खुदाई से निकलनेवाली मिट्टी के हिसाब से तय किया गया है. पर लोगों को यह गणित समझ में नहीं आ रहा. जेसीबी मशीन से एक घंटे की खुदाई का खर्च 750-800 रुपये है. पर अभी मौके का लाभ उठानेवाले प्रति घंटे एक हजार से दो हजार तक चार्ज कर रहे हैं.
इधर जानकारों का मानना है कि 30 गुना 30 गुना 10 फीट के आकार का डोभा मशीन से अधिकतम सात घंटे में बन जाता है. इस हिसाब से इसकी लागत बढ़ी दर से भी सात हजार रुपये होगी, जबकि इसके लिए 21 हजार रुपये किसान या लाभुक को दिये जा रहे हैं. दरअसल इस पैसे की लूट हो रही है. नामकुम प्रखंड के आरा पंचायत के आरा नवाटोली की एक लाभुक विभा नीलिमा मिंज के खेत में बने डोभा का निर्माण मशीन से 14 घंटे में किया गया है. कभी डीजल न होने, कभी किसी अौर बहाने रुक-रुक कर डेढ़ दिन तक काम हुआ. मशीन चलानेवाले दो लोगों को दोपहर का भोजन भी वहीं मिला. यही नहीं दोनों रात में भी श्रीमती मिंज के घर में ही रुके. रात का खाना व सुबह का नाश्ता भी वहीं किया. दूसरे दिन जोड़ कर बताया गया कि आपके यहां 14 घंटे काम हुआ है. रेट एक हजार है. यानी 14 हजार रुपये जेसीबी मशीन वाले को मिलेगा. जबकि नीलिमा के अनुसार छह से सात घंटे ही काम हुआ है.
अच्छी मेजबान होकर भी नीलिमा को कोई लाभ नहीं हुआ. वह नाराज है. घर वाले कह रहे हैं कि डोभा के लोभ में खेत भी बरबाद हो गया. खेत में गड्ढा कर निकाली गयी मिट्टी बेतरतीब तरीके से वहां फेंकी गयी है. इसे ठीक करने के लिए कहने पर जवाब मिला कि यह आपको करना पड़ेगा. डोभा बन गया पर नीलिमा के खाते में सरकार की अोर से एक रुपये भी नहीं अाया है. इसी गांव के एक लाभुक रोशन बिहां के खेत में भी जैसे-तैसे 22 हजार का डोभा बना है. उधर, अनगड़ा प्रखंड के बेरवाड़ी झटनीटुंगरी (लाभुक जगेश्वर महतो) सहित अन्य जगहों पर बने निदेशालय के डोभा का भी यही हाल है. लाभुक इस डोभा को खतरनाक भी बता रहे हैं. कहने को तो यह तीन लेयर में बन रहा है, पर इसमें कोई आदमी-जानवर गिरे तो निकलना मुश्किल होगा. दूसरी अोर मनरेगा का डोभा सीढ़ीनुमा बन रहा है.
जेसीबी से लूट : भूमि संरक्षण निदेशालय के अनुसार लाभुक को यह छूट है कि वह डोभा निर्माण के लिए जेसीबी मशीन की जुगाड़ खुद करे. यदि किसी को परेशानी होती है, तो वह सरकार की मदद ले सकता है. पर इस बात की जानकारी ज्यादातर लाभुकों को नहीं है. इधर, हो यह रहा है कि वीएलडबल्यू (विलेज लेबल वर्कर) व अन्य लाभुकों के घर जेसीबी मशीन ही लेकर पहुंच जाते हैं. उधार में भी काम हो रहा है. यानी जब खाते में पैसा आयेगा, तो ले लेंगे.
रेट हमारा नहीं
भूमि संरक्षण निदेशक फनींद्र नाथ त्रिपाठी के अनुसार डोभा की दर झारखंड इंजीनियरिंग मैनुअल के अाधार पर तय की गयी है. विभिन्न अाकार के डोभा की लागत से कुछ अौर काम भी करने हैं. जैसे डोभा निर्माण से निकली मिट्टी को वहां खेत में फैला देना है. पास की किसी निचली जगह पर भी इसे भरा जा सकता है. पर यह हो नहीं रहा है. निदेशालय के अनुसार एक लाख के लक्ष्य के विरुद्ध राज्य भर में 37 हजार डोभा बना लिया गया है.
लाभुक को एडवांस
निदेशक के अनुसार सरकार से देय डोभा की लागत का 40 फीसदी लाभुक को एडवांस मिलना है. वहीं शेष रकम निर्माण कार्य पूर्ण होने तथा किसान के साथ पूर्ण डोभा की तसवीर के अलावा बीएलअो, वीएलडबल्यू व बीडीअो के कार्य पूर्णत: संबंधी प्रमाण पत्र देने तथा जीपीएस रीडिंग के बाद मिलनी है. डोभा की फिनिशिंग का काम, इसके किनारे का सुदृढ़ीकरण तथा इसकी देखरेख का काम किसान को अपनी लागत से करना है.
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