रांची : मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने अफसरों की विदेश यात्रा पर सभी विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है. इसके लिए मापदंड भी तय किये हैं. उन्होंने विभागों को स्पष्ट किया है कि जरूरी होने पर ही विदेश यात्रा करें. विदेश यात्रा की क्या उपयोगिता है, यह देख लें. उसकी समीक्षा करने के बाद प्रस्ताव तैयार करें, फिर यात्रा पर जायें.
मुख्य सचिव ने सरकारी अफसरों के विदेश यात्रा को कारगर बनाने के उद्देश्य से दिशा-निर्देश दिया है. यह निर्देश दिया गया है कि विदेश यात्रावाले प्रतिनिधिमंडल का आकार छोटा हो. यानी कम से कम सदस्य विदेश जायें. विदेश यात्रा अधिकतम पांच कार्य दिवस का हो. इससे अधिक दिनों के लिए न जायें. वहीं एक अफसर एक साल में चार बार से ज्यादा सरकारी विदेश यात्रा में न जायें. विदेश यात्रा में विभाग के सचिव/प्रधान सचिव तभी जायें, जब उनका जाना अति आवश्यक हो.
यानी उनके जाने का अलावा कोई और विकल्प न हो. अगर दूसरे अफसर जायें, तो विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि विदेश यात्रा पर सही व योग्य अफसर ही जायें. मुख्य सचिव ने कहा कि किसी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, मेला व कार्यशाला में आवश्यक न हो, तो अफसर इसमें जाने से परहेज करें. अगर वीडियो कांफ्रेंसिंग या अन्य किसी माध्यम से काम चल जाता है, तो न जायें.
विधानसभा सत्र के दौरान विदेश यात्रा न हो, यह सुनिश्चित करें. अगर विदेश जाने का प्रस्ताव किसी खास क्षेत्र में विशेषज्ञता को लेकर किसी खास को आता है, तो भाग लेनेवाले अफसर का यात्रा निजी माना जायेगा. इसमें उसे छुट्टी लेकर जाना होगा. सरकार यात्रा खर्च नहीं देगी. यात्रा से वापस आकर अफसरों को अपने विभागीय मंत्री के साथ ही मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को भी उसकी उपयोगिता से अवगत कराना होगा.