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आर्मर वाहनों ने बचायी 757 लोगों की जिंदगी
रांची: आर्मर वाहन सेवा ने विगत एक साल मेें राजधानी के 757 लोगाें की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है़ आर्मर के आंकड़े की मानें, तो इस वाहन ने दुर्घटना स्थल पर पहुंच कर घायलों का पहले प्राथमिक इलाज किया. इसके बाद उसे नजदीक के अस्पताल में पहुंचाया़. गोल्डन आॅवर में अस्पताल पहुंचने से […]
रांची: आर्मर वाहन सेवा ने विगत एक साल मेें राजधानी के 757 लोगाें की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है़ आर्मर के आंकड़े की मानें, तो इस वाहन ने दुर्घटना स्थल पर पहुंच कर घायलों का पहले प्राथमिक इलाज किया. इसके बाद उसे नजदीक के अस्पताल में पहुंचाया़.
गोल्डन आॅवर में अस्पताल पहुंचने से घायलों को सही समय पर इलाज संभव हो पाया और उनकी जान बच पायी़ इस सेवा के लिए मेडिका अस्पताल द्वारा इमरजेंसी मेडिकल स्टाॅफ दिया गया है, जिससे मरीज की वर्तमान स्थिति के हिसाब से प्राथमिक इलाज मुहैया कराया जाता है और अस्तपाल तक सही ट्रांसपोर्टेशन होता है़ आर्मर एंबुलेंस में पुलिस का ड्राइवर, अस्ताल का ट्रेंड स्टॉफ व एक पुलिसकर्मी अपनी सेवा देता है़.
अधिकांश को पहुंचा गया रिम्स : आर्मर वाहन सेवा ने दुर्घटना में घायल ज्यादातर लोगों को रिम्स पहुंचाया. रिम्स में उनको बेहतर इलाज मिला, जिससे उनकी जान बचायी जा सकी़ रिम्स के इमरजेंसी वार्ड में मरीज का इलाज किया गया़ जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा ऑपरेशन भी किया गया़.
आठ थाना में लगायी गयी है आठ एंबुलेंस : आर्मर वाहन सेवा में राजधानी में अाठ एंबुलेंस को लगाया गया है़ आठ थानों को एक-एक एंबुलेंस दी गयी है़ आठ थानों में जगन्नाथपुर थाना, बीआइटी मेसरा थाना, डोरंडा थाना, महिला थाना, गाेंदा थाना, नामकुम थाना, नामकुम हाइवे थाना एवं पंडरा थाना शामिल है़ आर्मर सेवा के लिए राजधानी में दो जगह कंट्रोल रूम बनाया गया है़ एक कंट्रोल रूम मेडिका अस्पताल में भी बनाया गया है़.
स्पॉट पर पहुंचने पर नहीं मिले 490 मरीज : आर्मर सेवा के लिए जितने लोगों ने फोन किया, उनमें से 490 स्पाॅट पर मरीज नहीं मिले़ आर्मर सेवा वाहन जब वहां पहुंचा, तो घायल नहीं थे़ घायल या तो स्वयं चले गये या किसी ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया़ कई बार लोगों ने फरजी फोन भी किया़.
आर्मर सेवा का उद्देश्य
आर्मर सेवा का उद्देश्य है सड़क दुर्घटना में घायल किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हो़ गोल्डन ऑवर में मरीज को प्राथमिक उपचार कर अस्पताल पहुंचाना है़ 20 मई 2015 को यह सेवा रांची में शुरू हुई थी. आर्मर सेवा के आंकड़े की मानें, तो 20 मई 2015 से 30 अप्रैल 2016 तक 1314 लाेगों ने फोन किया़ इनमें 757 को प्राथमिक इलाज कर अस्पताल पहुंचा दिया गया़ प्राथमिक इलाज कर अस्पताल ले जाने पर 67 मरीज को अस्पताल में परामर्श दे कर छुट्टी दे दी गयी़.
हमारे लिए एक साल का समय चुनौतीपूर्ण था़ हर रोज एक नयी शुरुआत थी, लेकिन हमने 757 लोगों की जान बचाने में मदद की है़ सरकार अगर राज्य के अन्य जिलों मेें भी हमारी मदद लेना चाहती है, तो हम इसके लिए तैयार है़ं.
मंजुला सिंह, मेडिका
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