सचिव के इस निर्णय पर सवाल उठाते हुए एसीबी के अधिकारियों ने सरकार काे बताया है कि जब अयोग्य होने के कारण एक बार डॉ अमूल रंजन को हटाया गया, ताे दोबारा उन्हें किस तर्क के आधार पर प्रभारी निदेशक बनाया गया. इसमें आइएएस बीके त्रिपाठी की भूमिका संदेहास्पद लगती है.
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एसीबी ने सौंपी अंतरिम जांच रिपोर्ट, आइएएस बीके त्रिपाठी के खिलाफ मिले साक्ष्य
रांची: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) काे रिनपास में डॉ अमूल रंजन को प्रभारी निदेशक के पद पर नियुक्ति के मामले में आइएएस और तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव बीके त्रिपाठी के खिलाफ साक्ष्य मिले हैं. एसीबी के चीफ एडीजी पीआरके नायडू ने श्री त्रिपाठी की संलिप्तता से संबंधित अंतरिम जांच रिपोर्ट सरकार काे भेजा दी है. रिपाेर्ट […]
रांची: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) काे रिनपास में डॉ अमूल रंजन को प्रभारी निदेशक के पद पर नियुक्ति के मामले में आइएएस और तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव बीके त्रिपाठी के खिलाफ साक्ष्य मिले हैं. एसीबी के चीफ एडीजी पीआरके नायडू ने श्री त्रिपाठी की संलिप्तता से संबंधित अंतरिम जांच रिपोर्ट सरकार काे भेजा दी है. रिपाेर्ट के अनुसार, डॉ अमूल रंजन की नियुक्ति को लेकर पूर्व में एडवोकेट जनरल ने आपत्ति की थी.
इसके बाद तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव बीके त्रिपाठी ने डॉ अमूल रंजन को निदेशक पद से हटा दिया था. साथ ही एसीबी से मामले की जांच की अनुशंसा की थी. पर बाद में डॉ अमूल रंजन को प्रभारी निदेशक के रूप में नियुक्त करने के लिए बीके त्रिपाठी ने ही अनुशंसा तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह के पास की थी. सचिव की अनुशंसा के बाद ही डॉ अमूल रंजन को निदेशक बनाया गया था.
त्रिपाठी से पूछताछ कर चुके हैं एसीबी के अफसर
बीके त्रिपाठी वर्तमान में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. एसीबी के अधिकारी उनसे पूछताछ कर चुके हैं. उन्हाेंने खुद को निर्दोष बताया था. कहा था कि डॉ अमूल रंजन की नियुक्ति एक प्रशानिक निर्णय था. इसके पीछे कोई गलत मंशा नहीं थी. डॉ अमूल रंजन जैसा योग्य व्यक्ति तब रिनपास में कोई नहीं था. वहीं एसीबी के अधिकारियों को जानकारी मिली है कि जब डॉ अमूल रंजन को प्रभारी निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया था, तब दो एमबीबीएस डॉक्टर रिनपास में थे. लेकिन उनकी नियुक्ति प्रभारी निदेशक के पद पर नहीं की गयी थी.
इंस्पेक्टर को नहीं मिले थे साक्ष्य
एसीबी के अधिकारियों के अनुसार, पहले जांच की जिम्मेवारी इंस्पेक्टर इंदुशेखर झा के पास थी. पर जांच में त्रिपाठी की संलिप्तता के संबंध में कोई साक्ष्य नहीं मिले थे. इसके बाद जांच का प्रभारी डीएसपी रैंक के अफसर को बनाया गया. समीक्षा कर रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेवारी एसीबी के एक एसपी को सौंपी गयी. एसपी को मामले में बीके त्रिपाठी की संलिप्तता से संबंधित तथ्य मिले.
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