10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रणनीति पर सहानुभूति भारी, बेटों ने बचायी विरासत

गोड्डा, पांकी उपचुनाव. संताल में महागंठबंधन का नहीं चला जादू, पांकी में सत्ता पक्ष की हुई हार गोड्डा में राजद छोड़ सबकी जमानत जब्त गोड्डा व पांकी उपचुनाव में चार पूर्व विधायकों के पुत्र भाग्य अाजमा रहे थे. गोड्डा से भाजपा के दिवंगत विधायक रघुनंदन मंडल के बेटे अमित मंडल चुनाव में उतरे और जीते […]

गोड्डा, पांकी उपचुनाव. संताल में महागंठबंधन का नहीं चला जादू, पांकी में सत्ता पक्ष की हुई हार
गोड्डा में राजद छोड़ सबकी जमानत जब्त
गोड्डा व पांकी उपचुनाव में चार पूर्व विधायकों के पुत्र भाग्य अाजमा रहे थे. गोड्डा से भाजपा के दिवंगत विधायक रघुनंदन मंडल के बेटे अमित मंडल चुनाव में उतरे और जीते भी. वहीं पांकी से दिवंगत विधायक विदेश सिंह के पुत्र देवेंद्र सिंह ने भी चुनाव जीत कर पिता की विरासत बचायी. पूर्व विधायक मणिलाल यादव के पुत्र संजीव मारिक झामुमो से चुनाव लड़े. वहीं पांकी में पूर्व विधायक मधु सिंह के बेटे लाल सूरज भाजपा से चुनाव लड़े.
संजीत मंडल
देवघर : हार की तर्ज पर महागंठबंधन का जादू गोड्डा उपचुनाव में नहीं चला. गोड्डा में भाजपा प्रत्याशी अमित मंडल को जहां एक ओर सहानुभूति की लहर का फायदा मिला, वहीं युवा चेहरा होने का भी उनको फायदा मिला. इस कारण गोड्डा में एक बार फिर कमल खिला. इस जीत से जहां रघुवर सरकार को राहत मिली है. वहीं संताल परगना में भाजपा और मजबूत होकर उभरी है. क्योंकि जीत का अंतर और वोट प्रतिशत यह दर्शाता है कि वोटरों का विश्वास भाजपा पर बढ़ा है.
पिता से अधिक वोट मिला बेटे को : उपचुनाव में 2014 के चुनाव में भाजपा के रघुनंदन मंडल को मिले वोट का रिकार्ड उनके बेटे ने तोड़ा है. 2014 के चुनाव में भाजपा को 48.71% वोट मिला था जबकि इस बार पार्टी को 51.62% वोट मिले हैं. 2016 के चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत तकरीबन 3 फीसदी बढ़ा है.
महागंठबंधन के गढ़ में सेंध : इस बार महागंठबंधन का जादू बसंतराय के अल्पसंख्यकों पर नहीं चल पाया. राजद व कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है. लेकिन भाजपा प्रत्याशी अमित की मेहनत और पिता की लोकप्रियता के कारण महागंठबंधन के गढ़ में भाजपा ने सेंधमारी की. जो वोटों के आंकड़े हैं, उसके अनुसार बसंतराय में भाजपा को 13107, राजद को 12381, झामुमो को 4456 व निर्दलीय हसीना अंसारी को 1981 वोट मिला. बसंतराय में भाजपा को 726 वोट की बढ़त मिली.
राजद छोड़ सबकी जमानत जब्त : गोड्डा में राजद छोड़ अन्य सभी की जमानत जब्त हो गयी है. कुल 15 प्रत्याशी में से झामुमो को 18337 वोट ही हासिल हुआ. शेष प्रत्याशी में से दो को छोड़ किसी ने एक हजार वोट का अांकड़ा तक पार नहीं किया है. भाकपा माले प्रत्याशी को महज 615 वोट ही मिले हैं.
इस चुनाव में राजद प्रत्याशी संजय प्रसाद यादव के पक्ष में महागंठबंधन के सभी नेताओं ने मेहनत की , लेकिन प्रत्याशी को जीत नहीं दिला सके.
अंतिम चक्र तक बिट्टू ने बढ़त बनाये रखी
उड़े गुलाल, जश्न में डूबे पार्टी के नेता, कार्यकर्ता
एक-दूसरे को दी बधाई
बांटी गयी िमठाइयां
मेदिनीनगर. पांकी विधानसभा उपचुनाव को लेकर 14 टेबुल बनाये गये थे. 21 चक्र में मतों की गिनती हुई. पहले चक्र से ही कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू सिंह ने अपनी बढ़त बनायी. जो कि अंतिम चक्र बरकरार रहा. यद्यपि इस दौरान कई ऐसे मौके आये, जिससे यह लगा कि प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी कुशवाहा शशिभूषण मेहता बढ़त बना सकते हैं, लेकिन अंतत: ऐसा नहीं हो सका. बिट्टू ने पहले चक्र से जो बढ़त बनायी, वह 21 वें और अंतिम चक्र तक बरकरार रहा.
मतों की गिनती मनातू से शुरू हुई थी. उसके बाद तरहसी, ये दोनों प्रखंड परंपरागत तौर पर दिवंगत विधायक विदेश सिंह के जमाने से उनके गढ़ के रूप में देखा जाता है. इन दो प्रखंड के वोटरों ने उसी तरह बिट्टू में आस्था जतायी. जैसा दिवंगत विधायक विदेश सिंह के प्रति जताते थे. वैसे चुनाव के पूर्व या फिर मतदान के बाद जैसा अनुमान लगाया जा रहा था कि लेस्लीगंज में कुशवाहा शशिभूषण मेहता की स्थिति मजबूत रहेगी. पिछले चुनाव की तुलना में यदि देखा जाये तो मेहता ने अपने प्रदर्शन को बरकरार रखा, लेकिन इस बार पूर्व की तुलना में यहां कांग्रेस प्रत्याशी को अच्छे मत मिले.
पांकी में भी कांग्रेस प्रत्याशी ने अपेक्षा के अनुरूप मत मिले. कुल मिला कर देखा जाये तो पांकी विधानसभा क्षेत्र की जनता ने एक बार फिर विदेश के विकास पर मुहर लगायी है. 2014 के चुनाव की बात की जाये, तो दिवंगत विधायक विदेश सिंह विपरीत परिस्थिति में थे.
राजनीतिक तौर पर उन्हें विरोधियों ने घेरने की हरसंभव कोशिश की थी. लेकिन उनका विकास के प्रति समर्पण और जनता के प्रति प्रतिबद्धता थी कि तमाम राजनीतिक घेराबंदियों को तोड़ते हुए चुनाव जीत गये थे. इस बार जब उनके निधन के बाद जब चुनाव हो रहा था तो यह कहा जा रहा था कि मुश्किल हो सकती है. क्योंकि उपचुनाव है, बिट्टू राजनीति में नये हैं, विदेश राजनीति के मंजे के खिलाड़ी थे. लेकिन कम उम्र में ही बिट्टू सिंह ने भी राजनीतिक परिपक्वता का उदाहरण दिया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें