रिपोर्ट में कहा गया है निगम के पूर्व अध्यक्ष ने चार दिसंबर 2013 को अपने लिए टोयोटा फारचूनर खरीदने की उच्छा जतायी. इसके बाद गाड़ी खरीदने की प्रक्रिया शुरू की गयी और उसी दिन शाम को गाड़ी खरीद ली गयी. निदेशक मंडल द्वारा स्वीकृत सामग्रियों की खरीद का अधिकार एमडी को है. हालांकि उन्हें निदेशक मंडल के फैसले को बदल कर दूसरी चीज खरीदने का अधिकार नहीं है. निदेशक मंडल की 27वीं बैठक में चार गाड़ी( दो बोलेरो और दो एमबेसेडर) खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया था. इसके तहत अध्यक्ष के लिए एमबेसेडर की खरीद की जानी थी. निदेशक मंडल के फैसले को बदलने के लिए यह तर्क पेश किया गया कि निगम की परियोजनाएं उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में हैं.
अध्यक्ष को निरीक्षण के लिए वहां जाना पड़ता है. एेसी स्थिति में सुरक्षा के मद्देनजर एमबेसेडर के बदले टोयोटा फारचूनर खरीदने के बाद निदेशक मंडल की सहमति ले ली जाये. इसी फैसले के अनुरूप निदेशक मंडल की 37वीं बैठक में टोयोटा फारचूनर खरीदने का प्रस्ताव पेश कर पारित करा लिया गया. हालांकि निदेशक मंडल की 38वीं बैठक में 37वीं बैठक में पारित प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया. इसके लिए यह तर्क पेश किया गया कि 37वीं बैठक में विभागीय सचिव और वित्त विभाग के प्रतिनिधि उपस्थित नहीं थे. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निगम के अधिकारियों ने गाड़ी खरीदने के बाद आपूर्तिकर्ता को एक पत्र लिख कर ‘डीजीएस एंड डी’ की दर पर भुगतान लेने का अनुरोध किया, जिसे आपूर्तिकर्ता ने ठुकरा दिया.