रांची : भारतीय खाद्य निगम के कर्मचारी सुभाष चंद्र सामद की मौत के बाद गुरुवार को साढ़े तीन घंटे तक समाहरणालय के बाद हंगामा होता रहा. ढाई घंटे तक कचहरी रोड जाम रहा. जाम से अफरा-तफरी मच गयी. आंदोलन कर रहे बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी व एफसीआइ कर्मी उनकी मौत के दोषियों को गिरफ्तार करने व पीड़ित परिवार को नौकरी सहित अन्य सुविधाएं देने की मांग कर रहे थे. वे लोग सामद का पार्थिव शरीर लेकर यहां पहुंचे थे.
इन लोगों के साथ परिजन भी थे. वे लोग पोस्टमार्टम के बाद शव लेकर दिन के 11 बजे सीधे रांची समाहरणालय स्थित एफसीआइ कार्यालय जीएम व अन्य अफसरों को घेरने के लिए पहुंचे थे, लेकिन कार्यालय बंद था. कोई अधिकारी व कर्मचारी नहीं थे. इसके बाद वे लोग समाहरणालय के मुख्यद्वार को घेर कर बैठ गये.
बाद में आंदोलनरत पांच लोगों के साथ उपायुक्त की वार्ता हुई. उपायुक्त ने उनकी मांगों को पूरा करने व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया. इसके बाद भी लोग सड़क पर बैठे रहे. उनका कहना था कि उपायुक्त वहां आकर ठोस आश्वासन दें, तभी वे लोग हटेंगे. प्रतिनिधिमंडल को डीसी मनोज कुमार ने आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि प्रक्रिया पूरी करने में 15 से 20 दिन लग जायेंगे. उन्होंने कहा कि एसएसपी से भी बात हुई है. सुभाष ने आत्महत्या किस वजह से की इसकी जांच होगी. उन्होंने फोन पर घटना से पूर्व किन-किन लोगों से बात की थी. इसकी भी जांच होगी.
12 बजे कचहरी रोड किया जाम : डीसी से मिलने के बाद यूनियन के नेता अभय लकड़ा ने धरना पर बैठे लोगों को सभी बातें बतायी. पर वे लोग मानने केा तैयार नहीं थे. करीब 12 बजे लोग कचहरी रोड को जाम कर दिया. छात्र-छात्राएं जीएम तथा अन्य अफसरों के खिलाफ जम कर नारेबाजी करने लगे. वे लोग मामले की सीबीआइ जांच कराने की मांग कर रहे थे. दोषियों को तत्काल जेल भेजने की भी मांग कर रहे थे. जाम की वजह से परिचालन पूरी तरह ठप हो गया.
मेरा बेटा तो नहीं रहा, दोषियों को सजा मिले
रांची. मेरा बेटा तो अब नहीं रहा, पर उसके दोषियों को सजा जरूर मिले. तभी मेरे बेटे की आत्मा को शांति मिलेगी. यह कहना था सुभाष के वृद्ध पिता दिनेश चंद्र सामद का. वे समाहरणालय के गेट पर अपने बेटे के शव के साथ घंटों बैठे रहे.
उनका कहना था कि 20 अप्रैल को सुभाष से अंतिम बार बात हुई थी. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि वो कुछ दिनों से काफी परेशान था. 19 अप्रैल को उसके दोस्त की शादी में सभी परिवार शामिल हुए थे. उसी रात गांव भी लौट आये. वो भी 19 को ही बसिया चला गया. हमने कहा कि मां की दवा खत्म हो गयी है. तभी बेटे ने कहा कि आज तो नहीं भेज पाऊंगा लेकिन, कल जरूर भेज दूंगा.
प्राथमिकी दर्ज करें
धरना खत्म होने के बाद कुछ लोग समाहरणालय भवन में गये. तभी एसडीओ भी वहां पहुंचे. वहां उन लोगों से एसडीओ की बहस भी हुई. इसके बाद एसडीओ आदित्य कुमार आनंद ने धरना पर बैठे कुछ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया . कहा कि वीडियो फुटेज की जांच कर और लोगों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की जायेगी.
काफी मनाने पर माने
यहां आंदोलनरत विद्यार्थी काफी मनाने के बाद माने. सबसे पहले कार्यपालक दंडाधिकारी राजेश कुमार पहुंचे. काफी समझाने के बाद धरना पर बैठे लोग नहीं माने, तब इसके बाद एडीएम गिरिजाशंकर प्रसाद पहुंचे. उनके द्वारा समझाने व लिखित आश्वासन के बाद ढाई बजे सभी सड़क पर से हटे. धरना पर कर्मचारियों व सुभाष के परिजनों ने एडीएम को लिखित पत्र दिया कि जीएम पी मुथुमारन व एरिया मैनेजर ब्रजेश के खिलाफ जो प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है, उसमे एसटी-एससी एक्ट का क्लॉज भी जोड़ा जाये. इसके बाद परिचालन सामान्य हुआ. उन्हें आश्वासन दिया गया कि मामले में न्यायसंगत कार्रवाई की जायेगी.
गोदामों में नहीं हुआ काम
इधर गुरुवार को राज्य में स्थित एफसीआइ के सारे गोदामों व कार्यालय में कामकाज नहीं हुआ. एफसीआइ कर्मियों ने कहा कि काम के दबाव से पूरा विभाग परेशान है. ऐसे में उनके सहयोगी की मौत हुई है. उन्होंने आत्महत्या नहीं किया, बल्कि उन्हें इसके लिए प्रेरित किया गया था. कर्मियों का कहना है कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ, तो वे आंदोलन करते रहेंगे.