रांची: ओड़िशा पुलिस पर हमला करनेवाले उग्रवादियों को सीआइडी तलाश नहीं सकी. जिन उग्रवादियों की तलाश नहीं हो पायी, उनमें अरविंद सिंह, विनोद मुंडा, जयकार गोप उर्फ लंबू, सुधीर सिंह और हीरा सिंह शामिल हैं. बाद में उग्रवादियों को फरार दिखाते हुए न्यायालय में चाजर्शीट दाखिल कर दिया.
उल्लेखनीय है कि राउरकेला स्थित बिसरा थाना के दारोगा पंचानन नायक आठ जुलाई 2012 को सिमडेगा पहुंचे. उन्हें सूचना मिली थी कुछ उग्रवादी सिमडेगा जिला के ओड़गा ओपी स्थित पाहन टोली गांव में छिपे हुए हैं. पंचानन नायक ओड़गा ओपी के पुलिस पदाधिकारी के साथ पाहनटोली गांव पहुंचे. पुलिस को देखते ही पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी.
पुलिस की ओर से जवाबी फायरिंग की गयी, जिसमें एक उग्रवादी की मौत हो गयी थी, जबकि पुलिस ने घायल अवस्था में भागते हुए चार उग्रवादियों को गिरफ्तार किया था. घायल उग्रवादियों ने पीएलएफआइ के इन सभी उग्रवादियों का नाम बताया था, जिनमें अरविंद सिंह, विनोद मुंडा, जयकार गोप उर्फ लंबू, सुधीर सिंह और हीरा सिंह शामिल थे. बाद में ओड़गा ओपी में मामला दर्ज किया गया था. एनकाउंटर केस होने की वजह से यह मामला अनुसंधान और घटना में शामिल अन्य उग्रवादियों की गिरफ्तारी के लिए सीआइडी को सौंपा दिया गया था. अनुसंधान की जिम्मेवारी सिमडेगा सीआइडी टीम प्रभारी राम हांसदा को सौंपी गयी थी. लेकिन उन्होंने अनुसंधान के दौरान सिर्फ एक-दो बार ही छापेमारी की. जब उन्हें कोई उग्रवादी नहीं मिला. तब उन्होंने चार उग्रवादी के खिलाफ कुर्की जब्ती की कार्रवाई की. इसके बाद सभी को फरार घोषित कर दिया.