रांची : झारखंड राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकार के गठन का प्रस्ताव 26 अप्रैल को ही कैबिनेट के लिए भेजा गया था. कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव सिर्फ इसलिए नहीं आ सका कि विभाग को अधिकारियों को इस प्राधिकार के बाबत जानकारी नहीं थी. प्रस्ताव को वापस भेज दिया गया. जबकि 25 अप्रैल को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हर हाल में 26 अप्रैल की कैबिनेट में इसे लाने का आदेश दिया था.
बताया गया कि कैबिनेट के अधिकारियों ने यह कह कर प्रस्ताव वापस कर दिया कि इसमें प्राधिकार का बॉयलॉज नहीं है. जबकि उद्योग विभाग का कहना था कि प्राधिकार का गठन नयी उद्योग नीति व सिंगल विंडो एक्ट के तहत किया जा रहा है. यह कोई संस्था नहीं है जिसके लिए बॉयलॉज बनाया जाये. बॉयलॉज के विवाद की वजह से एक सप्ताह तक यह प्रस्ताव लंबित रहा.
समाप्त हो जायेंगे रियाडा, बियाडा, आयडा और एसपीयाडा : सरकार ने झारखंड स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी की गठन करने जा रही है. राज्य में इस समय चार औद्योगिक विकास प्राधिकार हैं. जिसमें रियाडा, बियाडा, आयडा और एसपीयाडा शामिल है. इन चारों को समाप्त कर एक राज्य स्तरीय औद्योगिक विकास प्राधिकार बनाया जा रहा है. जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे. इसमें सचिव स्तर के एक अधिकारी एमडी होंगे, फिर बोर्ड अॉफ डायरेक्टर्स का गठन भी किया जायेगाा. जिसमें पांच निदेशक होंगे. जिन्हें सीइओ का पद मिलेगा. इन पांचों में तीन पद मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर भरे जायेंगे. मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर नियुक्त सीइओ को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त होगा और राज्यमंत्री के अनुरूप देय सुविधाएं उन्हें मिलेंगी. दो सीइओ में एक उद्योग निदेशक होंगे.
और एक उद्योग के विशेषज्ञ होंगे.उद्यमियों को उद्योग लगाने के लिए अब अलग-अलग प्राधिकारों में आवेदन नहीं देना होगा. बल्कि राज्य स्तर पर ही एक ही जगह आवेदन देना होगा फिर उनके लिए प्लॉट का आवंटन किया जायेगा.
आज की कैबिनेट में आ सकता है प्रस्ताव
उद्योग विभाग के सूत्रों ने बताया कि सोमवार को दोबारा प्रस्ताव भेज दिया गया है. तीन मई को होनेवाली कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव आ सकता है. कैबिनेट ने जिस बात पर आपत्ति जतायी थी, उसका जवाब दे दिया गया है कि प्राधिकार के लिए बॉयलॉज नहीं बनता है. प्राधिकार के प्रस्ताव को कैबिनेट भेजे जाने के पूर्व वित्त विभाग, विधि विभाग और कार्मिक विभाग से मंजूरी ले ली गयी थी. केवल गलतफहमी की वजह से पिछले सप्ताह यह प्रस्ताव नहीं आ सका.