राजधानी का जल स्तर दिन प्रतिदिन नीचे जा रहा है. जल स्तर के नीचे जाने से एक ओर जहां मोहल्लों के कुएं, चापानल व बोरिंग सूखने लगे हैं. वहीं दूसरी आेर कई बहुमंजिली इमारतों की डीप बोरिंग भी सूख गयी है. जल संकट से प्रभावित मोहल्लों में रांची नगर निगम टैंकर से जलापूर्ति कर रहा है. निगम के अनुसार,आने वाले दिनों में जल संकट की यह स्थिति और विकराल होगी.
रांची: रांची नगर निगम की स्वास्थ्य शाखा के अधिकारियों की मानें, तो पिछले वर्ष रांची नगर निगम द्वारा गरमी के दिनों में 208 जगहों पर टैंकर से पानी बांटा जाता था. परंतु इस वर्ष अब तक 285 मोहल्ले को जल संकट के रूप में चिह्नित किया जा चुका है. इस प्रकार से इस वर्ष 77 नये मोहल्ले जल संकट ग्रस्त के रूप में चिह्नित किये जा चुके हैं. निगम के अधिकारियों की मानें, तो अभी तो अप्रैल माह में यह स्थिति है. मई व जून माह में जल संकट से त्रस्त मोहल्लों की सूची में और वृद्धि हो सकती है.
निगम के चार वार्ड ड्राइ जोन में तब्दील
रांची नगर निगम का वार्ड नंबर 29, 30, 31 व 37 का इलाका पूरी तरह से ड्राइ जाेन में आ गया है. इन वार्डों में रांची नगर निगम की ओर से लगाये गये सभी चापाकल डेड हो चुके हैं. हर चार घर में से एक घर की बोरिंग भी जवाब दे चुकी है.
दूसरी ओर गरमी में लोगाें को पेयजल के लिए परेशान न होना पड़े, इसके लिए रांची नगर निगम की ओर से मिनी एचवाइडीटी लगाये गये़ परंतु लोगों को यहां पर भी पानी भरने के लिए दिन भर कतार में खड़ा हाेना पड़ता है.
गोंदा डैम में आज से मिट्टी कटाई
पेयजल और स्वच्छता विभाग के अधिकारियों की हुई बैठक
रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास की ओर से राजधानी के दो जलाशयों को गहरा करने के निर्देश के बाद पेयजल और स्वच्छता विभाग के अधिकारियों की रविवार को बैठक हुई. इसमें तय किया गया कि गोंदा जलाशय को गहरा करने का काम सोमवार 18 अप्रैल से शुरू हो जायेगा. हटिया डैम में भी मिट्टी कटाई का काम मंगलवार तक शुरू कर दिया जायेगा. विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह ने अवर प्रमंडल हटिया और गोंदा के कार्यपालक अभियंताओं को मुख्यमंत्री के निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया. उन्होंने कहा कि दोनों प्रमंडल 25 अप्रैल तक शेष कार्यों की योजना बना कर विभाग को दें. गोंदा डैम में मिट्टी कटाई को लेकर सर्वेक्षण करने का भी आदेश दिया गया है. वहीं, हटिया डैम में भी मिट्टी के वर्तमान स्तर और 25 मई तक मिट्टी कटाई के स्तर की मापी करते हुए रिपोर्ट बनाने का निर्देश दिया गया है. विभाग के स्तर पर अभियंता प्रमुख के स्तर से मिट्टी कटाई से संबंधित आदेश सोमवार तक जारी कर दिया जायेगा.
फिलहाल योजना आकार से 25 प्रतिशत तक की राशि खर्च की जायेगी. इसके लिए संबंधित कार्यपालक अभियंताओं को कहा गया है कि वे अधिक से अधिक संख्या में पोकलैन लगा कर मिट्टी कटाई शुरू करें. मिट्टी की ढुलाई को लेकर भी बैठक में चर्चा की गयी. यह तय किया गया कि जो सरकारी विभाग मिट्टी ले जाना चाहते हैं, वे संबंधित कार्यपालक अभियंता से संपर्क कर लें.
वहीं ईंट भट्ठा मालिक से भी मिट्टी लेने का अनुरोध किया जायेगा. हटिया डैम से निकलनेवाली मिट्टी को झारखंड हाइकोर्ट और विधानसभा बना रहे कांट्रैक्टर को लेने का अनुरोध विभाग के स्तर पर किया जायेगा. यदि कोई नहीं आता है, तो दोनों डैम से निकलनेवाली मिट्टी और कचरे को पास में ही डंप कर दिया जायेगा. बैठक में अभियंता प्रमुख, मुख्य अभियंता पीएमयू, मुख्य अभियंता मुख्यालय, गोंदा और हटिया प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता और अन्य मौजूद थे.
12 में से 10 तालाब सूखे, मछली पर आफत
रांची : डोरंडा मत्स्य विभाग के 12 तालाब में से लगभग 10 तालाब सूख गये हैं. सिर्फ दो तालाब में ही पानी बचा है. इसके सहारे किसी तरह अन्य तालाब की मछलियों को बचा कर रखा गया है. यदि 10-12 दिन में बारिश नहीं हुई या फिर पानी का कोई दूसरा विकल्प नहीं ढूंढा गया, तो मछलियों को बचाना मुश्किल हो सकता है. विभाग में कार्यरत लोगों का कहना है कि पहले कभी ऐसी स्थिति नहीं हुई थी. पिछले चार-पांच सालों से कम हो रही बारिश के कारण यह हाल हुआ है. इस बार स्थिति अौर भी खराब है़ समय से पहले तालाब सूख गये हैं. किसी तरह बटम तालाब से पानी लेकर इन दोनों तालाबों को सूखने से बचाया गया है. कर्मियों का कहना है कि पहले यहां का जल स्रोत काफी अच्छा था़ अब स्थिति पहले जैसे नहीं है. भूमिगत जल का स्तर भी नीचे चला गया है. इस कारण परेशानी हो रही है. सिर्फ बरसात का पानी ही एक मात्र सहारा रह गया है. जल स्तर कम होने से यहां पर्यटकों का आना भी कम हो गया है. मालूम हो कि पानी रहने से पर्यटक भी काफी संख्या में तालाब व मछलियों को देखने के लिए यहां आते थे.
बारिश का पानी लाने के लिए सुरंग बनायी गयी
इस बार विभाग ने अपने स्तर से सड़क का पानी तालाब में लाने का प्रयास किया है.इसके लिए सड़क से लेकर तालाब तक एक सुरंग बनायी गयी है, जिसके सहारे बरसात के दिनों में सड़क पर बहनेवाला पानी सीधे इस तालाब में जायेगा. एक तालाब भरने के बाद दूसरे तालाब में स्वत: जल चला जायेगा़ हालांकि पहली बार ऐसा प्रयोग किया गया है़ देखना होगा कि यह कितना सफल होता है.