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विकट परिस्थतियों में भी ढूंढ़ ली जीने की राह

मांडऱ : नि:शक्त होने के बावजूद कुछ लोगों का हौसला प्रशंसा के लायक होता है. वो अपनी हिम्मत के बल पर ही विकट परिस्थिति में भी अपने जीने की राह ढूंढ़ लेते हैं. कुछ इसी तरह के लोगों में से है मांडर के सोसई गांव में रहनेवाला विश्वा उरांव. दोनों पैरों से नि:शक्त होने के […]

मांडऱ : नि:शक्त होने के बावजूद कुछ लोगों का हौसला प्रशंसा के लायक होता है. वो अपनी हिम्मत के बल पर ही विकट परिस्थिति में भी अपने जीने की राह ढूंढ़ लेते हैं. कुछ इसी तरह के लोगों में से है मांडर के सोसई गांव में रहनेवाला विश्वा उरांव.

दोनों पैरों से नि:शक्त होने के बावजूद विश्वा ने कभी भी जिंदगी में हार नहीं मानी. मांडर कॉलेज में बीए पार्ट टू में पढ़ने के साथ वह अपनी ट्राइसाइकिल का इस्तेमाल दुकान के रूप में भी करता है.

विश्वा ने बताया कि उसकी शादी हो चुकी है. एक बच्च भी है. परिवार की जिम्मेवारी उठाने के लिए वह अपनी ट्राइसाइकिल में बीड़ी, सिगरेट, बिस्कुट समेत अन्य खाने पीने का सामान बेचता है. इससे होनेवाली आमदनी से परिवार का भरण पोषण हो जाता है. विश्वा पढ़-लिख कर शिक्षक बनना चाहता है.

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