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राकेश आस्थान बने सीबीआइ के अपर निदेशक

राकेश आस्थान बने सीबीआइ के अपर निदेशक नयी दिल्ली . केंद्र सरकार ने गुजरात कैडर के 1984 बैच के आइपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को सीबीआइ का अपर निदेशक नियुक्त किया है. केंद्रीय कार्मिक एवं पेंशन मंत्रालय (डीओपीटी) ने बुधवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षतावाली कैबिनेट की नियुक्ति […]

राकेश आस्थान बने सीबीआइ के अपर निदेशक नयी दिल्ली . केंद्र सरकार ने गुजरात कैडर के 1984 बैच के आइपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को सीबीआइ का अपर निदेशक नियुक्त किया है. केंद्रीय कार्मिक एवं पेंशन मंत्रालय (डीओपीटी) ने बुधवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षतावाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने सीबीआइ में दर्जन भर से अधिक वरीय अधिकारियों की पोस्टिंग की है. सरकार के इस कदम से सीबीआइ में अधिकारियों की कमी काफी हद तक दूर हो सकती है़ समिति ने सीबीआइ में संयुक्त निदेशक स्तर के चार अधिकारियों की भी नियुक्ति की है. इनमें 1985 बैच के आइपीएस अधिकारी विनीत विनायक (सिक्किम कैडर), एवाइवी कृष्ष्णा (असम कैडर), साई मनोहर (मप्र कैडर) और 1986 बैच के एम नागेश्वर राव (ओड़िशा कैडर) शामिल हैं. सभी की नियुक्ति पांच साल की लिए की गयी है़ समिति ने संयुक्त सचिव आरपी अग्रवाल को एक साल का अवधि विस्तार दिया है़ कौन हैं राकेश अस्थाना राकेश अस्थाना ने नेतरहाट स्कूल से 1971 में मैट्रिक की परीक्षा पास की़ इनके पिता एचआर अस्थाना नेतरहाट स्कूल में भौतिकी के शिक्षक थे. स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई रांची और आगरा में की. 1984 में पहले ही प्रयास में आइपीएस अधिकारी बने़ वह धनबाद में सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के एसपी रह चुके हैं. रांची में वह डीआइजी के पद पर थे़ राकेश अस्थाना का नाम कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार अधिकारियों की सूची में खास तौर से शामिल रहा है. अस्थाना की कार्यदक्षता को ध्यान में रखते हुए उन्हें बहुचर्चित पशुपालन घोटाले के कई महत्वपूर्ण मामलों की जांच का जिम्मा दिया गया था. उन्होंने लालू प्रसाद के खिलाफ 1996 में चार्जशीट दायर किया. 1997 में श्री अस्थाना के समय ही लालू प्रसाद पहली बार गिरफ्तार हुए. धनबाद में खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) के महानिदेशक को घूस लेते पकड़ा था. यह उस समय तक पूरे देश में अपने तरीके का पहला मामला था, जब महानिदेशक स्तर के अधिकारी सीबीआइ गिरफ्त में आये थे. 1990 में अहमदाबाद के संवेदनशील इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा होने लगी. वर्ष 1991 में उनकी पाटन में पोस्टिंग की गयी. वहां उन्होंने मामले को शांत कराया. बड़ोदरा में वह पुलिस कमीश्नर रहे. अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को हुए बम ब्लास्ट की जांच का जिम्मा राकेश अस्थाना को ही दिया गया था. उन्होंने मात्र 22 दिनों में ही केस को सॉल्व कर दिया. सिमी के कई सदस्य पकड़े गये. आसाराम बापू व उनके बेटे नारायण साईं के मामले में भी श्री अस्थाना ने जांच की. फरार चल रहे नारायण साईं को हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर पर पकड़ा था. उनके जीवन में गोधरा कांड एक बड़ी चुनौती थी. 26 जुलाई 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में 50 कार सेवक मारे गये थे. इसके बाद सांप्रदायिक हिंसा होने लगी. इसमें 1200 लोग मारे गये. इसमें श्री अस्थाना में काफी मेहनत कर मामले को शांत कराया.

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