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आठ करोड़ के सामान गायब

रांची: इइएफ, टाटीसिलवे व हाइटेंशन इंसुलेटर फैक्टरी, सामलौंग में गत चार वर्षो से चोरी व लूट हो रही है. मई 2012 में दोनों कारखानों को सील कर दिया गया. इसके बाद से चोरी की घटनाएं और बढ़ी हैं. उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी ने बिजली बिल में सात करोड़ (इइएफ) व 20 करोड़ (हाइटेंशन) बकाये के […]

रांची: इइएफ, टाटीसिलवे व हाइटेंशन इंसुलेटर फैक्टरी, सामलौंग में गत चार वर्षो से चोरी व लूट हो रही है. मई 2012 में दोनों कारखानों को सील कर दिया गया. इसके बाद से चोरी की घटनाएं और बढ़ी हैं.

उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी ने बिजली बिल में सात करोड़ (इइएफ) व 20 करोड़ (हाइटेंशन) बकाये के कारण कंपनी को सील करने का आदेश दिया था. कारखाना प्रबंधन के अनुसार दोनों कारखानों से अब तक आठ करोड़ से अधिक के उपकरण, सामान, स्क्रैप, तांबा व लोहे निकाल लिये गये हैं. सीलबंद कारखाने में घुसना मना है. इसलिए प्रबंधन या कामगार वहां नहीं जा रहे. सुरक्षा गार्ड भी हटा लिये गये हैं. ऐसे में चोर-उच्चकों की चांदी है. दोनों कारखानों की चहारदीवारी कई जगह टूट गयी है. दोनों कारखाने में अब तक हो चुकी अनगिनत चोरी के एवज में टाटीसिलवे व नामकुम थाने में करीब पांच प्राथमिकी दर्ज है. इइएफ टाटीसिलवे कारखाना थाने से महज सौ मीटर की दूरी पर है. उधर, सीलबंद होने के बाद से हाइटेंशन फैक्टरी के स्टोर में रखे करीब एक करोड़ रुपये का माल गायब है. यहां चोरों ने इंसुलेटर की ढुलाई के लिए बनी लोहे की पटरी भी बेच दी है. गौरतलब है कि उक्त दोनों कारखाना अभी भी बिहार सरकार के अधीन हैं. संपत्ति व देनदारियों का बंटवारा न होने के कारण झारखंड को इनका मालिकाना हक नहीं मिला है.

अपनों से भी तबाह इइएफ
इइएफ को तो अपनों ने भी लूटा है. यहां बढ़िया माल व उपकरण कबाड़ के भाव बेच दिये गये. स्क्रैप के नाम पर कारखाने में रखे सौ केवीए के 14 नये ट्रांसफारमर मात्र नौ हजार रुपये में स्क्रैप ठेकेदार को दे दिये गये. स्क्रैप बेचने के लिए बनी कमेटी के ही एक सदस्य ने खुलासा किया था कि कुछ लोगों ने सात करोड़ से अधिक के स्क्रैप का मूल्यांकन सिर्फ 2.42 करोड़ करवा लिया. इसके बाद 50 स्टील अलमारी सहित 500 केवीए के दो ट्रांसफारमर, 20 एचपी का एक कंप्रेशर व एटलस कंपनी की एक अन्य चालू हालत वाली मशीन, जो करीब 16 लाख मूल्य की थी, को सिर्फ 2.5 लाख में बूटी मोड के एक कबाड़ी को दे दिया गया. यह बिना वजह नहीं है कि बाद में टाटीसिलवे व आसपास कबाड़ी की तीन-चार नयी दुकानें खुल गयी हैं.

बिजली बोर्ड व जिला प्रशासन जिम्मेवार
कारखाने में हो रही लगातार चोरी के लिए बिजली बोर्ड व जिला प्रशासन भी जिम्मेवार हैं. सीलबंद करते वक्त न तो कारखाने के अंदर विभिन्न स्टॉक की सीजर लिस्ट बनायी गयी और न ही कारखाने के लिए सुरक्षा के इंतजाम किये गये. दोनों कारखाने के संयुक्त महाप्रबंधक जयकांत साह के अनुसार एक तरह से बंदूक की नोक पर तालाबंदी की गयी थी. जरूरी कागजात तक नहीं निकालने दिया गया. वहीं सुरक्षा व चोरी संबंधी कई चिट्ठी देने के बाद भी बिजली बोर्ड व जिला पुलिस ने अपेक्षित कदम नहीं उठाया है.

कारखाने से सात-आठ करोड़ के माल की चोरी जरूर हुई होगी, पर इसका सही आकलन तो कारखाना खुलने के बाद ही लगाया जा सकता है. पर इसमें दो राय नहीं कि करोड़ों के माल की चोरी हो गयी है. मशीनें तक उखाड़ लेने की सूचना है. हम असहाय हैं. अब कोर्ट की शरण में जाने की सोच रहे हैं. इइएफ में स्क्रैप के नाम पर हुए खेल की बात तो मैं भी सुनता हूं, लेकिन यह सब मेरे कार्यकाल से पहले का है, इसलिए इस पर कुछ नहीं बोल सकता.
जयकांत साह, महाप्रबंधक इइएफ व हाइटेंशन फैक्टरी

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