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एंथ्रेक्स से दहशत: सिमडेगा में गंभीर हो सकती है स्थिति, आज जायेंगे क्षेत्रीय निदेशक
रांची: एंथ्रेक्स से मौत के मामले जांच करने के लिए गत 26 मार्च को पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के क्षेत्रीय निदेशक डॉ एपी सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने सिमडेगा का दौरा किया. सोमवार (चार अप्रैल) को भी निदेशक डॉ सिंह के नेतृत्व में एक टीम वहां जा रही है. एक साल पहले […]
रांची: एंथ्रेक्स से मौत के मामले जांच करने के लिए गत 26 मार्च को पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के क्षेत्रीय निदेशक डॉ एपी सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने सिमडेगा का दौरा किया. सोमवार (चार अप्रैल) को भी निदेशक डॉ सिंह के नेतृत्व में एक टीम वहां जा रही है.
एक साल पहले भी सिमडेगा में एंथ्रेक्स की पुष्टि हुई थी. तब सात लोगों की मौत भी हुई थी. पांच मवेशी भी मरे थे. तत्कालीन मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने स्थिति का जायजा लिया था और रांची स्थित पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान ने वहां विशेष अभियान चलाया था.पशु चिकित्सकों का मनना है कि जिले में एंथ्रेक्स कभी भी गंभीर रूप ले सकता है, क्योंकि इसके बैक्टीरिया को पूरी तरह नष्ट करना संभव नहीं है. डॉ एपी सिंह ने कहा कि लोगों को जागरूक करना होगा कि वे मरे हुए जानवरों को काटें नहीं. उनके मांस का सेवन न करें. बार-बार मना करने के बावजूद कहीं मांस खाने के लिए, तो कहीं जानवरों के चमड़े के लिए मरे हुए जानवरों को काटा जाता है. अब तक जितने लोगों की एंथ्रेक्स से मौत हुई है, उसमें अधिसंख्य युवा और अधेड़ हैं. सभी मृतक वहां गये थे, जहां जानवर काटा जा रहा था.
क्यों होता है एंथ्रेक्स
एंथ्रेक्स के बैक्टीरिया जानवरों में पाये जाते हैं. जानवर के मरने के बाद उन्हें काटे जाने के दौरान एंथ्रेक्स के बैक्टीरिया निकलते हैं और हवा के संपर्क में आने पर तेजी से फैलते हैं. यदि इनसान के शरीर में कहीं कटा हो और वह व्यक्ति मरे जानवर को काटने के दौरान वहां मौजूद हो, तो बैक्टीरिया इनसान के शरीर में प्रवेश कर जाता है. सांस के जरिये भी यह बैक्टीरिया इनसान के शरीर में प्रवेश करता है. मरे हुए जानवर के मांस को कच्चा या कम पका कर खाने से भी इनसान इस बीमारी से ग्रसित हो जाता है. इसका कोई इलाज नहीं है. इससे मौत हो जाती है.
एंथ्रेक्स का पहला मामला सिमडेगा में
दिसंबर, 2014 में आदमी में एंथ्रेक्स फैलने की पहली सूचना सिमडेगा से ही मिली थी. जानवरों में एंथ्रेक्स होने की सूचना वर्ष 2007 से राज्य को मिल रही है. इससे करीब 100 से अधिक जानवरों की मौत की पुष्टि जांच रिपोर्ट के आधार पर हुई है.
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