रांची : वन विभाग अपना बांस बरबाद कर रहा है और बाहरी लोगों से बांस खरीद रहा है. प्रधान महालेखाकार ने चतरा वन प्रमंडल के ऑडिट के बाद सरकार को भेजी गयी अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चतरा उत्तरी वन प्रमंडल के ऑडिट में 45 लाख रुपये के बांस के बरबाद होने की बात पकड़ में आयी. इस वन प्रमंडल में ‘बंबू मिशन’ के तहत 2008-09 में 50 हेक्टयर में बांस लगाये गये थे. 2009-10 में भी 50 हेक्टयर में बांस लगाये गये थे. स्वीकृत योजना के तहत 625 बांस प्रति हेक्टयर की दर से लगाना था. बांस को तैयार होने में चार साल का समय लगता है. इसके बाद ही इसे काटने का प्रावधान है. चार साल में बांस नहीं काटने पर वह बेकार हो जाता है.
ऑडिट में पाया गया कि इस वन प्रमंडल ने 2008-10 में 100 हेक्टर में लगाये गये बांस नहीं काटे गये. 60 प्रतिशत के सरवाइवल रेट के हिसाब से 100 हेक्टर में 56250 बांस काटे जाने चाहिए थे. लेकिन वन विभाग ने इसकी कटाई नहीं की. इससे बांस बेकार हो गये. दूसरी तरफ चतरा के ही दक्षिणी वन प्रमंडल ने सड़क के किनारे पौधा लगाने की योजना में बाहरी व्यक्तियों से बांस खरीदा. ऑडिट में पाया गया कि 2013-14 में चतरा फारेस्ट रेंज ने 1400, टंडवा ने 1000, पीरी ने 12000 बंबू गेबियन खरीदे. इसके अलावा मेसर्स पवन कुमार से एक बार 9.60 लाख और दूसरी बार 32 लाख रुपये का बांस खरीदा, वह भी बिना टेंडर के.