इस वर्ष भी बजट सत्र में माननीय के लिए उपहारों की व्यवस्था थी़ एक-एक माननीय को तीन सफारी कंपनी की सूटकेस, लैपटॉप और पर्सनल -ऑफिसियल किस्म के दो बैग, एक ट्रॉली बैग, एक कलाई घड़ी और स्वास्थ्य विभाग द्वारा ब्लड प्रेशर-शुगर नापने की मशीन मिली़ श्रम विभाग ने विधायकों को पेड़ा बांटे. अनुदान मांग पर चर्चा के दौरान वित्त विभाग से लेकर उद्योग, स्वास्थ्य, पेयजल, श्रम विभाग सहित कई विभागों ने विधायकों को गिफ्ट दिये़ विधायकों, उनके निजी सहायकों से मिली जानकारी के अनुसार बजट सत्र में 16 लाख रुपये मूल्य से ज्यादा के उपहार बांटे गये़ एक ओर एनडीए ने बिहार विधानमंडल में बजट सत्र के दौरान उपहार लौटा दिये, वहीं झारखंड में एनडीए (सत्तारुढ़ पार्टी) की ओर से उपहारों की बौछार की जा रही है. हालांकि झारखंड में भी कुछ विधायकों ने शुरू से ही उपहार बांटे जाने की परंपरा का विरोध किया है़.
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बिहार में गिफ्ट ठुकराया, झारखंड में कर रहे बौछार
रांची : बजट सत्र के दौरान झारखंड में विधायकों को अलग-अलग विभागों द्वारा गिफ्ट देने की परंपरा रही है़ राज्य गठन के बाद से ही विधायकों को मोबाइल, कलाई घड़ी से लेकर ट्रॉली बैग तक मिलता रहा है़ पिछले 15 वर्षों में औसतन 10 से 15 लाख रुपये का उपहार हर बजट सत्र में बंटता […]
रांची : बजट सत्र के दौरान झारखंड में विधायकों को अलग-अलग विभागों द्वारा गिफ्ट देने की परंपरा रही है़ राज्य गठन के बाद से ही विधायकों को मोबाइल, कलाई घड़ी से लेकर ट्रॉली बैग तक मिलता रहा है़ पिछले 15 वर्षों में औसतन 10 से 15 लाख रुपये का उपहार हर बजट सत्र में बंटता रहा है़.
इस वर्ष भी बजट सत्र में माननीय के लिए उपहारों की व्यवस्था थी़ एक-एक माननीय को तीन सफारी कंपनी की सूटकेस, लैपटॉप और पर्सनल -ऑफिसियल किस्म के दो बैग, एक ट्रॉली बैग, एक कलाई घड़ी और स्वास्थ्य विभाग द्वारा ब्लड प्रेशर-शुगर नापने की मशीन मिली़ श्रम विभाग ने विधायकों को पेड़ा बांटे. अनुदान मांग पर चर्चा के दौरान वित्त विभाग से लेकर उद्योग, स्वास्थ्य, पेयजल, श्रम विभाग सहित कई विभागों ने विधायकों को गिफ्ट दिये़ विधायकों, उनके निजी सहायकों से मिली जानकारी के अनुसार बजट सत्र में 16 लाख रुपये मूल्य से ज्यादा के उपहार बांटे गये़ एक ओर एनडीए ने बिहार विधानमंडल में बजट सत्र के दौरान उपहार लौटा दिये, वहीं झारखंड में एनडीए (सत्तारुढ़ पार्टी) की ओर से उपहारों की बौछार की जा रही है. हालांकि झारखंड में भी कुछ विधायकों ने शुरू से ही उपहार बांटे जाने की परंपरा का विरोध किया है़.
भोज की भी व्यवस्था : बजट सत्र के दौरान सरकार द्वारा विधायकों को भोज भी दिया जाता है़ स्पीकर द्वारा भी भोज के आयोजन करने की परंपरा रही है़.
विभागों के पास उपहार खरीदने के लिए बजट नहीं
विभागोें के पास विधानसभा में गिफ्ट बांटने के लिए अलग से कोई बजटीय प्रावधान नहीं है़ विभागों द्वारा सामान्यत: कंटीजेंसी फंड से इस तरह के उपहारों की खरीद की जाती है़ कंटीजेंसी फंड का प्रावधान कार्यालय को सुचारू रूप से चलाने के लिए जरूरी सामग्री की खरीद के लिए किया जाता है़ इस फंड में विभागों के पास निश्चित राशि रहती है़.
महेंद्र सिंह करते रहे विरोध विनोद ने भी नहीं लिया था
विधायकों को विभागों द्वारा किसी तरह का भी उपहार दिये जाने का माले से विधायक रहे स्व महेंद्र सिंह ने भी विरोध किया था़ उन्होंने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा था कि माननीयों के लिए यह परंपरा सही नहीं है़ बगोदर से माले के पूर्व विधायक विनोद सिंह ने भी कभी गिफ्ट नहीं लिया़ पूर्व विधायक विनोद सिंह इस बाबत कहते हैं कि जिस चीज का बजट में प्रावधान ही नहीं है, उसे कैसे स्वीकार किया जा सकता है़ केवल विधायकों को खुश करने के लिए सौगात दी जाती है़ राज्य में बजट का पैसा खर्च नहीं होता है़ बजट में गरीबों के लिए जो प्रावधान हैं, वो पूरा नहीं होते है़ं यह एक किस्म की अनैतिक राजनीति काे बढ़ावा देता है़
वित्त सचिव लक्ष्मी सिंह ने किया था विरोध
राज्य गठन के तुरंत बाद पहले बजट सत्र मेें गिफ्ट देने के मामले पर प्रशासनिक अधिकारियों और मंत्रियों के बीच मतभेद था़ तत्कालीन वित्त सचिव लक्ष्मी सिंह ने इसका विरोध किया था़ तत्कालीन मुख्य सचिव वीएस दुबे भी उपहार देने के पक्ष में नहीं थे़ इस मामले में अधिकारियों और मंत्रियों में टकराव तक हो गया था़ अधिकारियों की टिप्पणी के बावजूद उपहार बांटे गये.
शुभेंदू ने एक बार की थी अनोखी पहल
स्वास्थ्य विभाग ने एकबार विधायकों को बजट सत्र के दौरान क्षेत्र के लोगों को दवाइयां, इलाज के खर्च के रूप में कूपन की व्यवस्था की थी़ विभागीय सचिव शुभेंदू ने अनोखा प्रयोग किया था़ उपहार के बदले विधायकों को कूपन देने का उद्देश्य था कि वे क्षेत्र की जनता की जरूरत पूरा कर सकेे़ं माले के पूर्व विधायक विनोद सिंह ने बताया कि विभाग का यह बेहतर प्रयास था़ इस कूपन को हमने स्वीकार किया था़ विभागीय स्तर से ऐसी ही पहल होनी चाहिए़
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