रांची: 15 साल बाद झारखंड पुलिस एक्ट का प्रारूप तैयार हो गया है. शनिवार को मुख्य सचिव के सामने प्रजेंटेशन के बाद इसे अंतिम रूप दे दिया जायेगा. चालू विधानसभा सत्र में ही पास कराये जाने की संभावना है. इस एक्ट के लागू हो जाने के बाद डीजीपी की पोस्टिंग कम से कम दो साल के लिए होगी. बिना किसी गंभीर आरोप के इससे पहले सरकार डीजीपी को नहीं बदलेगी. पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों का ट्रांसफर भी नये एक्ट के तहत सिर्फ बोर्ड ही कर सकेगा.
झारखंड पुलिस एक्ट को वर्ष 2007 में ही तैयार कर लिया गया था. तब के एडीजी जैप मंजरी जारूहार की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने इसे तैयार किया था, लेकिन इसे न तो अंतिम रूप दिया गया और न ही विधानसभा में पास कराया गया. इस कारण अभी तक पुराने बिहार पुलिस एक्ट के तहत ही झारखंड पुलिस का काम चल रहा.
एक्ट का जो प्रारूप तैयार किया गया है, उसमें 1861 में बने पुलिस एक्ट के प्रावधान के अलावा अन्य प्रावधान भी जोड़े गये हैं. साईबर क्राइम के लिए कानून, बैंक फ्रॉड, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में पुलिस ऑर्गेनाइजेशन का स्ट्रक्चर, डीजीपी की नियुक्ति, जिला के एसपी व उससे ऊपर के अधिकारियों के लिए तबादला नीति, तबादला के लिए बोर्ड का गठन, पुलिस के खिलाफ आनेवाली शिकायतों के संबंध में नये प्रावधान लाये गये हैं.
डीजीपी की नियुक्ति
नये पुलिस एक्ट में यह प्रावधान लाया गया है कि डीजीपी की नियुक्ति दो साल के लिए होगी. दो साल से पहले सरकार डीजीपी को हटा सकती है, लेकिन तब जब संबंधित अधिकारी पर भ्रष्टाचार करने, चाल-चलन खराब रहने, निलंबित या बरखास्त होने की स्थिति हो
तबादले के लिए बोर्ड
फिल्ड में तैनात (आइजी से लेकर सिपाही तक) के तबादला का अधिकार बोर्ड को होगा. सिपाही से इंस्पेक्टर तक के पदाधाकारियों के तबादले का अधिकार आइजी रैंक के अफसर की अध्यक्षता में गठित कमेटी को होगा. डीएसपी से लेकर आइजी तक के अफसरों के तबादले का अधिकार पुलिस स्टेबलिस्मेंट बोर्ड को होगा. बोर्ड तबादले की अनुशंसा सरकार से करेगी. सरकार के स्तर से तबादले में हस्तक्षेप किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार को जरूरी कारण बताना होगा.