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टैक्स रिटर्न्स : टैक्स स्लैब वही, हाउस रेंट में छूट बढ़ी

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने तीसरे आम बजट में इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है. कमजोर और मध्य वर्ग का खयाल तो रखा है, मगर अमीरों से ज्यादा टैक्स वसूलने का इंतजाम भी किया है. वेतनभोगी नाराज हो सकते हैं, क्योंकि 1 अप्रैल 2016 से इंप्लॉयमेंट प्रोविडेंट फंड में उनके […]

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने तीसरे आम बजट में इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है. कमजोर और मध्य वर्ग का खयाल तो रखा है, मगर अमीरों से ज्यादा टैक्स वसूलने का इंतजाम भी किया है. वेतनभोगी नाराज हो सकते हैं, क्योंकि 1 अप्रैल 2016 से इंप्लॉयमेंट प्रोविडेंट फंड में उनके योगदान से जो राशि जमा होगी, उसका कुछ हिस्सा निकाले जाने पर टैक्स लगेगा.

जेटली ने कहा है कि सरकार ने कर प्रशासन सुधार समिति की कई सिफारिशों को पहले ही स्वीकार कर लिया है. उन्होंने बजट 2016-17 में न्यायमूर्ति ईश्वर समिति की कई सिफारिशों को स्वीकार करने के प्रस्ताव के साथ करों की बहुलता, इससे जुड़े प्रतिकूल असर और संग्रह की लागत घटाने के लिए विभिन्न मंत्रालयों द्वारा लागू किये गये उन 13 उपकरों को समाप्त करने का प्रस्ताव किया है.

छोटे करदाताओं को मिली राहत

रांची : बजट 2016 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है. यानी बजट 2016 में करदाताओं को कोई राहत नहीं दी गयी है. इसका मतलब है कि आपकी आय पर टैक्स पहले की दर से ही कटता रहेगा. हालांकि, बजट में वित्त मंत्री ने छोटे करदाताओं को राहत दी है. बजट में हाउस रेंट की छूट बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दी गयी है जबकि पहले ये 24000 रुपये थी. वही 5 लाख रुपये तक की आय पर 3000 रुपये तक की अतिरिक्त टैक्स छूट दी गयी है.

इसके साथ ही 35 लाख रुपये के होम लोन पर 50000 रु की अतिरिक्त छूट देने का ऐलान भी वित्त मंत्री ने किया है. इसके अलावा दो करोड़ रुपये के टर्नओवर पर टैक्स कम किया गया है. वित्त मंत्री ने 1 करोड़ रुपये सालाना से ज्यादा आय वाले लोगों पर टैक्स का भार बढ़ाया है. एक करोड़ रुपये सालाना से ज्यादा आय वाले लोगों की आय पर सरचार्ज 12 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया है. फिलहाल के टैक्स स्लैब के हिसाब से 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है. 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. वहीं 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर 20 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.

प्रभात पैनल

बजट के गणित को आप आसानी से समझ सकें इसलिए प्रभात खबर ने शहर के जाने-माने चार्टर्ड अकाउंटेंट िवनोद कुमार बंका, अरविंद मोदी और संजय वाधवा (बायें से दायें) की मदद से यह पन्ना तैयार िकया है.

यह बजट कर प्रावधानों के अनुसार आशानुरूप नहीं है मगर अन्य क्षेत्रों में काफी उत्सावर्धक है. जैसे शिक्षण संस्था को विश्वस्तरीय बनाना उद्यमिता को बढावा देना. ये कदम मेक इन इंडिया को सफलीभूत करने का स्वागत योग्य कदम है. आज के कॉस्ट ऑफ लिविंग और इनफ्लेशन को देखते हुए आम लोगों के लिए न्यूनतम कर योग्य राशि, व अन्य छूट में बदलाव अपेक्षित था.

संतुलित और सराहनीय बजट है. मैं इसे दस में छह अंक देता हूं. सरकार कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं लागू करेगी, जो हमारी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी साबित होगी.उच्च शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवा के सुधार के लिए काफी फंड दिया गया है, जो एक सराहनीय कदम है. वैश्विक स्थिति के अनुरूप अच्छे कदम लिए गये हैं. जीएसटी देश िहत में जल्द से जल्द लागु िकया जाना चािहए.

87 ए की सीमा के बजाए आयकर छूट की सीमा बढ़ाना अधिक लुभावना होता. ग्रामीण एवं कृषि विकास पर ध्यान, मूलभूत संरचना पर निवेश बढ़ाना, सस्ती दवाई उपलब्ध कराना, डिजिटाइजेशन सराहनीय है. जीएसटी लागू नहीं होना दुखदायी है. एमेनेस्टी स्कीम में 45% का कर दायरा उम्मीदों पर पानी फेर सकता है.

मैं इसे दस में साढ़े छह अंक देता हूं.

सर्विस टैक्स नियमावली में महत्वपूर्ण बदलाव

रांची : सेवा कर के िनयमों में काफी बदलाव िकये गये हैं िजनमें मुख्य रूप से ये बदलाव प्रस्तावित हैं

ब्याज को 30 तथा 24 प्रतिशत से घटा कर 24 एवं 15 प्रतिशत किया गया.

कृषि कल्याण सेस लेवी

01 जून, 2016 से सभी प्रकार की सेवाएं जिनपर सेवा कर दिया जाना है, 0.50 प्रतिशत कृषि कल्याण सेस लागू होगा.

निगेटिव लिस्ट में शामिल सेवाएं : इन सेवाओं पर कोई सेवा कर नहीं

रिवर्स चार्ज बेसिस के आधार पर सरकारी संगठनों से सेवा प्राप्त करने वाली व्यापारिक संगठन जिनके टर्नओवर राशि दस लाख या इससे कम है,

हवाईअड्डा, बंदरगाह, रेलवे, मोनो रेल, सरकारी भवन आदि के निर्माण संबंधी सेवाओं को सेवा कर से बाहर किया गया.

पानी आपूर्ति, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन तथा झुग्गी का विकास.

स्वीकृति प्राप्त कम दर के आवासीय योजनाएं जिनमें, बड़े शहरों में तीस वर्गमीटर तथा छोटे शहरों में 60 वर्गमीटर शामिल है, को सेवा कर से छूट.

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत परियोजनाओं को सेवा कर से छूट.

भारतीय प्रबंधन संस्थान के दो वर्षीय व पांच वर्षी पोस्टग्रेजुएट कार्यक्रमों को सेवा कर से छूट.

सेवाएं जिन पर टैक्स नोटिफाई की गयी तारीख से प्रभावी होंगे

म्यूचुअल फंड एजेंट

चिट फंड एजेंट

लॉटरी एजेंट

वरीय अधिवक्ताओं की सेवाएं

लंबित केसों की संख्या को कम करने के लिए 11 नये एपेलेट ट्रिब्यूनल की स्थापना

सर्विस टैक्स नियमावली में महत्वपूर्ण बदलाव

सेनवैट क्रेडिट नियमावली में महत्वपूर्ण बदलाव

अप्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना 2016 की अधिसूचना के तहत आयुक्त (अपील) के समक्ष सभी लंबित मामले केसमाधान के लिए कर अदायगी पर, ब्याज सहित तथा 25 फीसदी जुर्माना के साथ प्रस्तुत किये गये हैं.

टैक्स प्रक्रिया को सरल बनाने और इससे जुड़े विवादों के कम करने की पहल

आयकर कानूनों को सरल बनाने के लिए जस्टिस ईश्वर समिति की कई सिफारिशें मानने और लंबित मामलों की जल्द सुनवाई के लिए टैक्स ट्रिब्यूनल की 11 नयी शाखाओं के गठन की घोषणा की गई. करों की बहुलता कम करने की दिशा में 13 टैक्स खत्म होंगे.

टैक्स न देने की स्थिति में जुर्माना लगाने के लिए एक नयी ग्रेडिंग व्यवस्था लाने की बात की. विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने की दिशा में आयकर अधिनियम में उपबंधित त्वरित अवमूल्यन को एक अप्रैल 2017 से अधिकतम 40% तक सीमित कर दिया जायेगा. अनुसंधान कार्य हेतु कटौतियों के लाभ एक अप्रैल, 2017 से अधिकतम 150% और एक अप्रैल 2020 से अधिकतम 100%तक कर दिए जायेंगे.

िवभिन्न कर प्रावधानों का िवश्लेषण

80 जेजेए पर िमलनेवाली छूट (जो मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को प्राप्त होती थी) का दायरा बढ़ा.

व्यवसािययों की प्रिजेंिटव टैक्स की सीमा एक करोड़ से बढ़ाकर दो करोड़ की गयी.

प्रिजेंिटव टैक्स की नये स्कीम में पेशेवर (इंजीनियर, डॉक्टर, वकील, आिर्कटेक्ट एवं अन्य) को पहली बार शािमल िकया गया.

10 लाख से ज्यादा महंगी कारों पर 1% की स्रोत पर कटौती एवं 2 लाख से अिधक मूल्य वाली वस्तुओं एवं सेवाओं की नकद खरीद पर 2% की स्रोत पर कटौती.

अिधनियम 194 सी के अंतर्गत सीमा 75 हजार से बढ़ाकर 1 लाख कर दी गयी है, तथा 194 एच में सीमा 5 हजार से 15 हजार कर दी गयी है और उसके अंतर्गत टीडीएस की दर 10 से 5% की गयी है.

कर िववाद समाधान योजना लागू करने का प्रस्ताव. 10 लाख तक के कर िववादों में कोई पेनाल्टी नहीं. 10 लाख से अिधक कर िववादों में 25 % पेनाल्टी का प्रावधान िकया गया.

कम आय दर्शाने पर टैक्स का 50% पेनाल्टी. गलत ब्योरा देने पर टैक्स का 200% पेनल्टी.

वेतनभोगी : एक आम व्यक्ति को िमलने वाले कर लाभ की गणना

विवरण िवत्त वर्ष 15-16 िवत्त वर्ष 16-17

वेतन से होने वाली कुल आय 6,75,000.00 6,75,000.00

कटौती : अध्याय छह ए के तहत

80 सी के तहत कटौती 1,50,000.00 1,50,000.00

80 डी के तहत कटौती 25,000.00 25,000.00

कुल कर योग्य आय 5,00,000.00 5,00,000.00

देय आयकर 25,000.00 25,000.00

87 ए के तहत छूट 2,000.00 5,000.00

एजुकेशन सेस (3%) 690.00 600.00

कुल कर देयता 23,690.00 20,600.00

स्वरोजगार : िकरायेदार को िमलनेवाले कर लाभ की गणना

विवरण िवत्त वर्ष 15-16 िवत्त वर्ष 16-17

कुल आय 7,35,000.00 7,35,000.00

कटौती : अध्याय छह ए के तहत

80 सी के तहत कटौती 1,50,000.00 1,50,000.00

80 डी के तहत कटौती 25,000.00 25,000.00

80 जीजीए के तहत कटौती 24,000.00 60,000.00

कुल कर योग्य आय 5,36,000.00 5,00,000.00

देय आयकर 28,600.00 25,000.00

87 ए के तहत छूट ————– 5,000.00

28,600.00 20,000.00

एजुकेशन सेस (3%) 858.00 600.00

कुल कर देयता 29,458.00 20,600.00

भारतीय अर्थव्यवस्था का टर्निंग प्वाइंट

मनमोहन िसंह

तत्कालीन वित्त मंत्री

1991 इस लिहाज से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए टर्निंग प्वाइंट था िक उसी दौरान भारत ने खुली अर्थव्यवस्था की नीति अपनायी. तब इसका भारी विरोध हुआ था. आिर्थक उदारीकरण ने जो पटरी िबछायी, देश की अर्थव्यवस्था की गाड़ी उसी पर बाद के दौर में भी चलती रही. इसके 25 साल पूरे हो चुके हैं. ऐसे में इसका पुनरावलोकन…

आर्थिक उदारीकरण के 25वें साल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2016-17 का आम बजट पेश किया है. मगर, 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव के कार्यकाल में वित्त मंत्री डॉ मनमोहन िसंह द्वारा पेश किया गया आम बजट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए टर्निंग प्वाइंट था.

24 जुलाई, 1991 को तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ मनमोहन िसंह ने आम बजट पेश किया, उसके पहले सरकार को देश की डगमगाई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई कड़े और निर्णायक कदम उठाने पड़े.

जिस समय पीवी नरसिम्हाराव प्रधानमंत्री बने, उस वक्त उनके सामने घरेलू और वैश्विक आर्थिक संकट सामने खड़ा था. जीडीपी पर 23 फीसदी और आंतरिक सार्वजनिक ऋण पर 55 फीसदी विदेशी कर्ज का भार था. खाड़ी देशों में चल रहे युद्ध के कारण 2,500 करोड़ के मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट हुई थी. राजकोषीय घाटा जीडीपी के आठ फीसदी और चालू खाता घाटा 2.5 फीसदी तक पहुंच गया था.

ऐसे में आम बजट पेश करना टेढ़ी खीर थी. तभी वित्त मंत्री डॉ मनमोहन िसंह ने रुपये का अवमूल्यन शुरू कर दिया. पहली पर रुपये का नौ फीसदी और 11 फीसदी तक अवमूल्यन किया गया. बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड के हाथों पुनर्खरीद की शर्त पर 20 सोना बेचा गया. वित्त मंत्री मनमोहन िसंह के प्रयास से जब देश के पास कुछ मुद्रा आयी, तो आम बजट पेश किया गया. इसमें भी सरकार ने अनेक आर्थिक सुधार किये.

बदलाव का दौर 1991-1994

1991

भारत ने विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड व यूनाइटेड बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड से कर्ज लिया

1993

रिजर्व बैंक ने 10 निजी बैंकों के लाइसेंस जारी किये

पंचवर्षीय टैक्स हॉलीडे तकनीक पार्क के लिए आमंत्रित

1992

आयात पर लगे प्रतिबंध को हटाया गया

मुख्य आयात-निर्यात नियंत्रक को बदला गया

1994

मुंबई में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना

राष्ट्रीयकृत बैंकों को पंूजी बाजार में उतारा गया

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