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प्लस टू स्कूलों में नहीं हैं जनजातीय भाषा के शिक्षक

रांची : राज्य में मैट्रिक व इंटरमीडिट स्तर पर जनजातीय भाषा की पढ़ाई होती है, लेकिन प्लस टू स्कूलों में जनजातीय भाषा के शिक्षक नहीं है़ राज्य गठन के 15 वर्ष बाद भी पद सृजन करने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गयी है. जनजातीय भाषा के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक भी नहीं है़ स्कूलों […]

रांची : राज्य में मैट्रिक व इंटरमीडिट स्तर पर जनजातीय भाषा की पढ़ाई होती है, लेकिन प्लस टू स्कूलों में जनजातीय भाषा के शिक्षक नहीं है़ राज्य गठन के 15 वर्ष बाद भी पद सृजन करने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गयी है. जनजातीय भाषा के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक भी नहीं है़ स्कूलों में हो, मुंडारी, संताली, उरांव, पंचपरगनिया, नागपुरी, कुरमाली व खोरठा की पढ़ाई होती है़.

प्लस टू स्कूल के अलावा उच्च विद्यालयों में भी जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों की कमी है़ राज्य भी जब भी उवि में शिक्षकों की नियुक्ति हुई, जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों के पद रिक्त रहे गये़ राज्य के सभी उवि में भी जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों के पद तक नहीं है़ राज्य के एक भी प्राजेक्ट विद्यालय व राजकीय विद्यालय में जनजातीय भाषा के शिक्षक नहीं है़ं इन विद्यालयों में पद सृजित नहीं किये गये है़ं .

अब तक मात्र राजकीयकृत व अपग्रेड उवि में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विषय में शिक्षक की नियुक्ति हुई है़ राज्य में लगभग 1300 अपग्रेड उवि है, इसमें मात्र 338 अपग्रेड उवि में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति हुई है़ इंटर कॉलेजों में भी इन विषय के शिक्षकों की कमी है़ इंटर कॉलेजों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों के दूसरे पद सृजन का प्रस्ताव शिक्षा विभाग में लंबित है़ स्कूल के अलावा विश्विवद्यालय में भी जनजातीय भाषा के शिक्षकों की कमी है़

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