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बेहतर बजट है, राज्य का होगा विकास

रघुवर सरकार द्वारा पेश िकये गये वित्तीय वर्ष 2015-16 के बजट को अर्थशास्त्रियों ने भी ठीक-ठाक बताया है़ कहा है कि सरकार का बजट और भी बेहतर हो सकता था़ अर्थशास्त्रियों के अनुसार बजट को यदि समय पर पूरा किया जाये, तो इससे जनमानस को लाभ मिलेगा. बजट में समय को भी ध्यान में रखना […]

रघुवर सरकार द्वारा पेश िकये गये वित्तीय वर्ष 2015-16 के बजट को अर्थशास्त्रियों ने भी ठीक-ठाक बताया है़ कहा है कि सरकार का बजट और भी बेहतर हो सकता था़ अर्थशास्त्रियों के अनुसार बजट को यदि समय पर पूरा किया जाये, तो इससे जनमानस को लाभ मिलेगा. बजट में समय को भी ध्यान में रखना था. इस बजट में किसानों के प्रति सहानुभूति दिखायी गयी है, जो अच्छी बात है. शिक्षा को भी बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है. महिलाओं के लिए भी कई प्रावधान तय किये गये हैं. युवाओं के लिए प्रशिक्षण योजना चलाने की घोषणा भी सराहनीय है. वहीं महिलाओं के विकास एवं कल्याण पर इसका अनुकूल एवं दूरगामी प्रभाव पड़ेगा.

पर्यावरण, भूमि अधिग्रहण व विस्थापितों के लिए खास नहीं

रमेश शरण

झारखंड के बजट में लगभग सभी विभागों में पिछले वर्ष की तुलना में राशि में बढ़ोत्तरी की गयी है. यह अच्छी बात है. उच्च व तकनीकी शिक्षा, स्कूली शिक्षा, ग्रामीण विकास व कृषि जैसे क्षेत्र में सरकार ने ध्यान दिया है, लेकिन जिस हिसाब से राशि में बढ़ोत्तरी की गयी है, इसकी उपयोगिता का सदुपयोग होना चाहिए. सरकार ने भारी-भरकम बजट तो पेश किया, लेकिन इन सभी विभागों के लिए मॉनिटरिंग का क्या पैमाना तय किया है. जब तक सही ढंग से मॉनिटरिंग नहीं होगी, योजनाएं धरातल पर नहीं उतरेंगी. सरकार ने मॉनिटरिंग के लिए क्या मैकेनिज्म अपनाया, इसका कहीं भी उल्लेख नहीं है.

पिछले वर्ष की राशि पर गौर करें तो, पिछले आठ-नौ माह में खर्च का प्रतिशत काफी कम रहा, जो लगभग 30 से 35 प्रतिशत रहा. लेकिन अगले दो-तीन माह में ही खर्च का प्रतिशत लगभग 80 तक पहुंच गया. यह कैसे हुआ, जांच का विषय है. लेकिन, राशि का जब तक समय रहते उपयोग नहीं होगा, योजनाएं धरी रह जायेंगी. सरकार को इस अोर ध्यान देना चाहिए. इस बजट में झारखंड के लिए वर्तमान में समय सबसे तेजी से उभर कर आ रही समस्या पर्यावरण की है. इस अोर सरकार का फोकस कम रहा है. पर्यावरण के संतुलन के लिए सरकार को अलग से बजट में प्रावधान रखने की आवश्यकता थी. जितने भी थ्रस्ट एरिया हैं, उस अोर अौर ध्यान देने की आवश्यकता है. झारखंड में वर्तमान में पानी की समस्या भी तेजी से उभर कर सामने आयी है. पानी के स्टोरेज के लिए क्या कदम उठाये गये, बजट में इस अोर भी ध्यान देने की आवश्यकता थी. इसी प्रकार झारखंड में भूमि अधिग्रहण अौर विस्थापन की समस्या भी है. यदि सरकार बड़े-बड़े उद्योगों को झारखंड में लाना चाहती है, तो भूमि अधिग्रहण के लिए सरकार के पास क्या योजना है. यदि अधिग्रहण कर भी लिया गया, तो विस्थापन के लिए सरकार की कोई खास योजना नजर नहीं आ रही है. विकास परिषद का गठन सरकार ने किया, लेकिन इसकी क्या स्थिति है, कभी सरकार ने इस अोर गौर भी किया या नहीं. अब तक कितनी बैठकें हुईं. परिषद का पूर्ण गठन हुआ या नहीं. किसानों के लिए योजनाएं तो दिखीं, लेकिन उन्हें मुआवजा सहित अनुदान से मिलनेवाली राशि या उपकरण कितनी सरलता से उन्हें मिले, इस अोर भी ध्यान देना होगा. रोजगार के कितने अवसर पैदा किये जा रहे हैं, यह भी जरूरी है. मेक इन इंडिया में जैसा ग्रोथ हो रहा है, इसी तरह स्किल का ग्रोथ भी जरूरी है. स्वरोजगार की अोर युवाअों को किस प्रकार प्रेरित करेंगे, इसका भी ख्याल रखना होगा, क्योंकि सब को रोजगार देना संभव नहीं है.

लेखक अर्थशास्त्री हैं

सत्ता पक्ष ने सराहा, विपक्ष ने कहा, आंकड़ों का खेल

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शुक्रवार को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए बजट पेश किया. एक तरफ सत्ता पक्ष के लोगों ने बजट की प्रशंसा की. वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने कहा कि बजट में आंकड़ों के खेल से जनता को दिग्भ्रमित करने का काम किया गया है. बजट महज आश्वासनों का पुलिंदा है.

सत्ता पक्ष

जनता पर नये कर का प्रस्ताव नहीं : राधाकृष्ण किशोर

भाजपा विधायक राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि रघुवर सरकार की ओर से शानदार बजट पेश किया गया है. सरकार ने जनता पर किसी नये कर का प्रस्ताव नहीं दिया है. वहीं राजस्व में वृद्धि करने की बात कही गयी है. सरकार ने योजना मद में 37 हजार करोड़ और गैर योजना मद में 26 हजार करोड़ का प्रावधान किया है. यह सरकार की सकारात्मक सोच को दर्शाता है. बजट में ग्रामीण क्षेत्र, कृषि, ऊर्जा और शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है.

आधारभूत संरचना पर विशेष जोर : अनंत ओझा

भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा कि बजट में आधारभूत संरचनाओं के विकास पर विशेष जोर दिया गया है. साहेबगंज में गंगा नदी पर चार लेन पुल निर्माण की स्वीकृति दी गयी है. वहीं पीएमजीएसवाइ के तहत 4500 किलोमीटर ग्रामीण पथों की स्वीकृति दी गयी है. वहीं उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 200 किमी सड़क का निर्माण कराया जायेगा. इसी प्रकार सभी क्षेत्रों में विकास पर ध्यान दिया गया है.

महिलाओं के लिए सराहनीय कदम : विमला प्रधान

भाजपा विधायक विमला प्रधान ने कहा कि सरकार ने महिलाओं के लिए जेंडर बजट पेश कर सराहनीय कदम उठाया है. पुलिसकमिर्यों की नियुक्ति में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही गयी है. वहीं कई जिलों में कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास का निर्माण कराया जा रहा है.

शिक्षा हब बनाने की पहल सरानीय : गंगोत्री कुजूर

भाजपा विधायक गंगोत्री कुजूर ने कहा कि सरकार ने शिक्षा के विकास को लेकर बजट में कई प्रावधान किये हैं. सरकार शिक्षा हब बनाने की पहल कर रही है. माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति छह माह में करने की बात कही गयी है. वहीं सरकारी विद्यालयों के आधारभूत संरचनाओं मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाये गये हैं.

जन आकांक्षाओं का है यह बजट : रवींद्र राय

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रवींद्र राय ने कहा कि यह बजट विकासोन्मुख और जनआकांक्षाओं के अनुरूप है. बजट गांव-गरीब, किसान, मजदूर और युवाओं को समर्पित है. पर्यटन और उद्योग के विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया गया है.

गांव व किसानों के लिए विशेष पहल : रामटहल

सांसद रामटहल चौधरी ने कहा कि इस बजट में गांव और किसानों के लिए विशेष पहल की गयी है. लंबित सिंचाई योजनाओं को पूरा करने से किसानों को विशेष लाभ मिलेगा. ग्रामीण सड़कों के साथ पुल-पुलिया का निर्माण वृहत्त पैमाने पर करने की योजना है.

प्रगतिशील बजट : दिनेशानंद

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी ने कहा कि बजट प्रगतिशील और राज्य को विकास की राह पर ले जानेवाला है. आधारभूत संरचनाओं के विकास से बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा.

इस बजट से सरकार की दिशा का पता चलता है

विजय प्रसाद

राज्य व देश चलाने के लिए सिर्फ भावना की जरूरत नहीं होती, इसके लिए सही रणनीति का होना जरूरी है. इसी की कड़ी है हर वर्ष बजट का लेखा-जोखा तय होना. जैसे हम अपने घर को चलाने के लिए आर्थिक नीति बनाते हैं, बिलकुल वैसे ही सरकार देश और राज्य को चलाने के लिए हर वर्ष बजट बनाती है. बजट की अवधारणा हर पहलुओं को ध्यान में रख कर की जाती है. बजट से ही विकास की रफ्तार व दिशा का पता चलता है. वित्तीय वर्ष 2016-17 का बजट शुक्रवार को झारखंड सरकार ने पेश किया. महीनों की मेहनत के बाद तैयार इस बजट का आंकलन करें, तो पहली नजर में यह बजट सकारात्मक लगता है. झारखंड की मूलभूत आवश्यकताओं को देखते हुए इसे तैयार किया गया है. हां, यह कहा जा सकता है कि कुछ अन्य चीजों को भी इसमें शामिल किया जा सकता था, जो नहीं हुआ. इस बजट के ओवरऑल आंकलन से यह पता चलता है कि सरकार काम करना चाहती है, पर काम के तरीके पर सफलता या असफलता होगा. एक कमी जो लगती है, वह यह कि अगर कोई घोषणा हो रही है, तो उससे संबंधित समय सीमा भी तय होनी चाहिए. वरना होता यह है कि समय बीत जाता है, काम नहीं हो पाता है. उदाहरण के तौर पर कहा जा सकता है कि पलामू में वर्ष 2009 में नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई, पर अब तक इसके प्रशासनिक भवन के लिए भूमि उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है. पलामू में मेडिकल कॉलेज की स्थापना का मामला भी लंबित है. पलामू के लोगों के हिसाब से बात करें, तो यहां के लोगों को इस बजट से अपेक्षा थी, लेकिन कुछ खास नहीं मिला. फिर भी अभियंत्रण महाविद्यालय की स्थापना, ग्रामीण बस सेवा की शुरुआत कराने का जो निर्णय लिया गया है, उससे एक बेहतर वातावरण तैयार होगा. समेकित विकास के लिए आवागमन सुविधा का विस्तार भी जरूरी है. जब गांव के लोग सीधे शहर में पहुंचेंगे और गांव तक शहर की पहुंच होगी, तो इसका लाभ मजदूर किसानों को मिलेगा. वैसे सरकार मजदूरों, किसानों व गांव के विकास पर फोकस कर रही है. इसका सही मायने में कितना लाभ मिलेगा, यह कार्य-संस्कृति पर ही निर्भर करेगी. बजट में जो प्रावधान है, उससे यह साफ हो रहा है कि सरकार कार्य करना चाहती है, लेकिन यह वास्तव में कितना सफल होगा, यह कार्य-संस्कृति पर ही निर्भर करेगी. सरकार का फोकस कार्य-संस्कृति में सुधार पर भी होना चाहिए. जरूरी यह है कि बजट में जो भी प्रावधान किया गया है, वह धरातल पर उतरे. यदि ऐसा होता है, तो यह झारखंड और झारखंडवासियों के हित में होगा.

लेखक नीलांबर पीतांबर विवि के परीक्षा नियंत्रक हैं

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