प्रैक्टिकल रूप से धरातल पर काम करना ही होगा. अस्पतालों, क्लिनिक आदि के जैविकीय कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन करना जरूरी है. यह काफी खतरनाक होता है. खंडपीठ ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, नगर आयुक्त व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को बायो मेडिकल कचरे के उठाव व निष्पादन का मॉडल तैयार करने के लिए बैठक कर निर्णय लेने का निर्देश दिया. वह मॉडल ऐसा हो, जो हमेशा चलता रहे. यह भी कहा कि इसके लिए जरूरत हो, तो चंडीगढ़, हैदराबाद आदि शहरों में लागू मेडिकल कचरे के डिस्पोजल सिस्टम का अध्ययन कर उसका लाभ उठाया जा सकता है.
लिये गये निर्णयों से कोर्ट को अवगत कराया जाये. 15 दिनों के अंदर विस्तृत रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 मार्च की तिथि निर्धारित की. राज्य सरकार की अोर से अधिवक्ता राजेश शंकर ने पक्ष रखा. मालूम हो कि प्रार्थी झारखंड ह्युमैन राइट्स कांफ्रेंस की अोर से जनहित याचिका दायर कर मेडिकल कचरे के उचित निष्पादन के लिए सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया है.