एसडीओ ने इस मामले में अंचलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी है. माझी की शिकायत पर एसडीओ की अदालत में भी जमीन पर जबरन निर्माण से संबंधित एक मामला विचाराधीन है. इस मामले में सिर्फ तारीख ही दी जा रही है. दूसरी तरफ माझी की जमीन पर निर्माण कार्य जारी है. माझी की जमीन पर इससे पहले भी सरकारी योजना शुरू करने की कोशिश की गयी थी.
पर कानूनी लड़ाई में माझी की जीत हुई थी और लघु सिंचाई की योजनाओं के लिए माझी की जमीन हस्तांतरित नहीं की जा सकी थी. वर्ष 1978-79 में सरकार ने लघु सिंचाई की योजनाओं के लिए विभाग को हस्तांतरित करने का फैसला किया था. इस फैसले पर माझी ने आपत्ति जताते हुए उपायुक्त की अदालत में याचिका दायर की थी. मामले (83-ए-78/89)की जांच-पड़ताल और सुनवाई के बाद उपायुक्त ने यह पाया था कि जमीन बागेश्वर माझी की है. उपायुक्त की अदालत के आदेश के बाद सरकार ने माझी की जमीन लघु सिंचाई की योजनाओं के लिए जल संसाधन विभाग को हस्तांतरित करने के अपने फैसले काे वापस ले लिया था.