खूंटी, सिमडेगा व चाईबासा में पिपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ), चतरा, लातेहार व पलामू में तृतीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी), गुमला, लोहरदगा, लातेहार व पलामू में झारखंड जन मुक्ति परिषद (जेजेएमपी) जैसे संगठन तेजी से मजबूत हुए हैं. इसके अलावा झारखंड प्रस्तुति कमेटी (जेपीसी), एसजेएमएम, रिवोल्यूशनरी कम्यूनिस्ट सेंटर (आरसीसी) जैसे संगठनों की गतिविधियां भी जारी है. स्थिति यह बन गयी है कि माओवादियों के कमजोर होने का फायदा आम लोगों, ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों व व्यवसायियों को नहीं मिला है. वे पहले से अधिक परेशान और आतंकित हैं.
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जहां कमजोर हुए माओवादी वहां खड़े हुए दूसरे संगठन
रांची:राज्य के जिन इलाकों में भाकपा माओवादी संगठन कमजोर पड़ा है, वहां दूसरे छोटे उग्रवादी संगठनों ने मजबूती से पैर पसार लिया है़ हालांकि इन इलाकों में पुलिस की उपस्थिति भी मजबूत हुई है़ इन इलाकों में कुछ छोटे संगठन अपने-आप खड़े हो गये हैं. आरोप लगते रहे हैं िक इनमें से कुछ को पुलिस […]
रांची:राज्य के जिन इलाकों में भाकपा माओवादी संगठन कमजोर पड़ा है, वहां दूसरे छोटे उग्रवादी संगठनों ने मजबूती से पैर पसार लिया है़ हालांकि इन इलाकों में पुलिस की उपस्थिति भी मजबूत हुई है़ इन इलाकों में कुछ छोटे संगठन अपने-आप खड़े हो गये हैं. आरोप लगते रहे हैं िक इनमें से कुछ को पुलिस व अन्य सरकारी एजेंसियों (विधानसभा में भी सरकार पर ऐसे आरोप लगे हैं) ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग कर खड़ा िकया.
छोटे उग्रवादी संगठन माओवादियों से अधिक लेवी की वसूली कर रहे हैं. आम लोगों पर जुल्म भी बढ़ा है. इस कारण लोगों के डर और परेशानी खत्म नहीं हो पाये हैं.
आर्थिक रूप से मजबूत हुए संगठन : हाल के वर्षों में माओवादियों की तरह इन उग्रवादी संगठनों की घटनाओं में भी कमी आयी है़ लेकिन ये अभी भी अपने इलाकों में मजबूत स्थिति में हैं. आंकड़े के मुताबिक टीपीसी ने पिछले तीन सालों में 148, पीएलएफआइ ने 256, जेजेएमपी ने 31, जेपीसी ने 28, एसजेएमएम ने 13 और आरसीसी ने दो घटनाओं को अंजाम दिया है. लेवी की वसूली कर टीपीसी, पीएलएफआइ और जेजेएमपी संगठन आर्थिक रूप से भी मजबूत हुए हैं. क्षेत्र के उद्योग व व्यवसाय में इन संगठनों के सदस्यों की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है. टीपीसी और पीएलएफआइ ने तो सत्ता में भी अपनी पहुंच बना ली है.
टंडवा में हर माह करोड़ों की वसूली : चतरा के टंडवा-पिपरवार इलाके में कभी भाकपा माओवादी का वर्चस्व था. अब इस इलाके में टीपीसी संगठन का दबदबा है. सरकार ने इस संगठन को भी प्रतिबंधित कर रखा है. आम्रपाली और मगध कोलियरी शुरू होने के बाद इस क्षेत्र से सबसे अधिक लेवी वसूली जाने लगी़ इस इलाके में ट्रांसपोर्टरों से प्रति टन 265 रुपये की वसूली की जाती है. राशि मजदूरों के नाम पर कमेटी वसूलती है. लेकिन इसका अधिकतर हिस्सा टीपीसी संगठन को मिलता है. हाल ही में पुलिस ने 1.49 करोड़ रुपये बरामद किये थे. इससे पहले लेवी के 22 लाख रुपये बरामद किये गये थे. मार्च 2015 में पुलिस ने टीपीसी के बिंदू गंझू को गिरफ्तार किया था. तब पुलिस ने उसके बैंक एकाउंट को फ्रीज किया था, जिसमें दो करोड़ रुपये से अधिक जमा था. इन दोनों कोयला परियोजनाओं में काम कौन करेगा, यह जंगल के लोग ही तय करते हैं. अन्य विकास योजनाओं से भी संगठन द्वारा लेवी की वसूली की जाती है.
गुमला-सिमडेगा में पीएलएफआइ का वर्चस्व
गुमला और सिमडेगा जिले में उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ का वर्चस्व हो गया है. हालांकि 2014 के बाद शुरू हुए पुलिस के अभियान से संगठन कमजोर हुआ है़ लेकिन आज भी इस संगठन को लेवी दिये बिना दोनों जिलों में कोई काम नहीं कर सकता़ इस संगठन के पास अत्याधुनिक हथियार है. हाल ही में सिमडेगा में पुलिस ने इस संगठन के दो उग्रवादियों को मार गिराया था. मुठभेड़ के बाद पुलिस को एक एके-47 हथियार मिले थे.
गुमला, लोहरदगा व लातेहार में जेजेएमपी का आतंक
गुमला, लोहरदगा और लातेहार जिले में भाकपा माओवादी के बाद अब जेजेएमपी ने आतंक कायम कर रखा है. यह संगठन भाकपा माओवादी का विरोधी है. दोनों संगठन के बीच मुठभेड़ की कई घटनाएं हुई हैं. इस कारण इन तीनों जिलों में ठेकेदारों, व्यवसायियों व आम लोग ज्यादा परेशान हैं. ठेकेदार व व्यवसायी से दोनों संगठन के लोग लेवी मांगते हैं.
किस संगठन ने कितनी घटनाओं को अंजाम दिया
संगठन 2013 2014 2015
टीपीसी 70 26 42
पीएलएफआइ 129 75 52
जेजेएमपी 11 07 13
जेपीसी 10 09 09
एसजेएमएम 04 05 04
आरसीसी 02 00 00
किस संगठन का कहां दबदबा
पीएलएफआइ
गुमला, खूंटी, सिमडेगा
टीपीसी
चतरा, लातेहार व पलामू
जेजेएमपी
गुमला, लोहरदगा, लातेहार व पलामू
नोट: इनके अलावा जेपीसी, एसजेएमएम, आरसीसी जैसे संगठनों की गतिविधियां भी जारी है
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