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‘आप’ से राहुल तो सीखेंगे, प्रदेश कांग्रेस नहीं

रांची: चार राज्यों के चुनाव परिणाम से कांग्रेस पस्त है. देश भर में कांग्रेस के खिलाफ लहर है. देश की राजधानी दिल्ली में कांग्रेस का खूंटा उखड़ गया. कांग्रेस के तारणहार और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी कह रहे हैं : आम आदमी पार्टी (आप) से सीखूंगा. राहुल गांधी आप से राजनीतिक संस्कार सीखना […]

रांची: चार राज्यों के चुनाव परिणाम से कांग्रेस पस्त है. देश भर में कांग्रेस के खिलाफ लहर है. देश की राजधानी दिल्ली में कांग्रेस का खूंटा उखड़ गया. कांग्रेस के तारणहार और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी कह रहे हैं : आम आदमी पार्टी (आप) से सीखूंगा. राहुल गांधी आप से राजनीतिक संस्कार सीखना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस के लिए आप की राजनीतिक राह पकड़नी मुश्किल है.

झारखंड में कांग्रेस की राजनीतिक धारा अलग है. यहां संगठन सबक लेने वाला नहीं है. यहां भाई-भतीजा वाद, अनुशासनहीनता और राजनीति में कमाने-खाने वालों की बड़ी जमात है. ऐसे में राहुल के लिए संगठन को रास्ते पर लाना आसान नहीं होगा. संगठन के अंदर पदों के लिए लॉबिंग होती है. चुनाव में टिकट के लिए हवा-हवाई नेता आगे रहते हैं. दिल्ली दौड़ लगाने वाले नेता टिकट पा जाते हैं.

सभी नेता, वर्कर नहीं
प्रदेश कांग्रेस में सभी नेता हैं. पद लेने के लिए मारा-मारी होती है. पार्टी के अंदर कार्यकर्ता नहीं है. जमीनी स्तर पर काम करने वालों का टोटा है. जिला से लेकर प्रदेश तक बैठकों का दौर तो खूब चलता है, लेकिन नेता मैदान में नहीं रहते हैं. प्रदेश कमेटी में सबको जगह चाहिए. पार्टी के अंदर समर्पित कार्यकर्ता नहीं दिखते हैं. पार्टी के कार्यकर्ता अलग-अलग नेताओं के खेमे में बंटे हैं.

बड़े मामलों में पार्टी में नहीं होती कार्रवाई
पार्टी के अंदर बड़े मामलों में कार्रवाई नहीं होती. कांग्रेस भवन में दो गुटों में दिनदहाड़े गोली चली, लेकिन किसी पर कार्रवाई नहीं हुई. अनुशासन तोड़ने वाले एक खेमा को मंत्री पद भी मिला. प्रभारी बीके हरि प्रसाद के सामने गोली चली, लेकिन प्रभारी ने भी मामले पर परदा डालने का काम किया. जमशेदपुर उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गयी. गुटबाजी में चुनाव हार गये. पार्टी की ओर से जांच कमेटी बनी. कांग्रेस जमशेदपुर चुनाव में हार का कारण आज तक नहीं खोज पायी.

जयंती मनाने में व्यस्त नेता
कांग्रेस मुख्यालय में हर दिन नेताओं का मजमा जुटता है. राजधानी में कांग्रेस के नेता जयंती-पुण्य तिथि मनाने में व्यस्त रहते हैं. नेताओं को प्रदेश की ओर से कोई विशेष टास्क नहीं है. विधायक व पूर्व विधायक अपने-अपने क्षेत्र में जमे रहते हैं. चुनाव में अपनी सीट बचाने के लिए नेताओं को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है.

नेताओं के रिश्तेदार हावी
प्रदेश संगठन में नेताओं के रिश्तेदार हावी है. पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने अपने बेटे-रिश्तेदारों को राजनीतिक विरासत सौंपने के लिए जमीन बना रहे हैं. वर्तमान सरकार में भी कई मंत्रियों के बेटे प्रभावी भूमिका में हैं. चुनाव के समय नेता अपने रिश्तेदारों के लिए लॉबिंग करते हैं.

क्या है राहुल फॉर्मूला
संगठन में पैरवी पुत्रों को जगह नहीं दी जायेगी.

जमीनी स्तर पर काम करने वालों को संगठन में जगह दी जायेगी.

संगठन लोकतांत्रिक तरीके से बनेगा, चुनाव कराये जायेंगे.

दिल्ली की चक्कर लगाने वाले नेता, हवा-हवाई नेताओं को जगह नहीं दी जायेगी.

टिकट बंटवारे में कार्यकर्ताओं की राय चलेगी, लॉबिंग से टिकट नहीं मिलेगा.

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