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आठ-आठ साल से रांची में जमे हैं जेई
रांची : भवन निर्माण विभाग के कनीय अभियंता लगातार रांची में ही जमे हैं. हर बार उनके तबादले की बात होती है, लेकिन वे रांची में रुक जाते हैं. वे रांची में ही इस डिविजन से उस डिविजन में बने रहने में सफलता हासिल कर लेते हैं. इसका नतीजा है कि कोई आठ, तो कोई […]
रांची : भवन निर्माण विभाग के कनीय अभियंता लगातार रांची में ही जमे हैं. हर बार उनके तबादले की बात होती है, लेकिन वे रांची में रुक जाते हैं. वे रांची में ही इस डिविजन से उस डिविजन में बने रहने में सफलता हासिल कर लेते हैं. इसका नतीजा है कि कोई आठ, तो कोई 10 साल से भी यहीं जमे हुए हैं.
जानकारी के मुताबिक, संजीव कुमार सिंह करीब 10 साल से यहीं पदस्थापित हैं. इस बार भी वह रांची में ही रह गये. सुदर्शन सिंह, राजू किस्पोट्टा, सुनील कुमार राय को भी इसमें सफलता मिल गयी. वे करीब आठ-आठ साल से यहीं हैं. सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि वरुण कांति घोष राज्य गठन के बाद से ही यहीं हैं. इस बार फिर वह रांची डिविजन वन से टू में चले गये. कुछ इंजीनियर तो साल-दो साल के लिए बाहर गये, फिर वापस रांची में ही आकर जम गये. अनिल कुमार राज्य गठन के बाद से रांची में ही थे. बीच में एक-दो साल के लिए बाहर गये, लेकिन फिर वापस यहीं आकर चार साल से हैं.
क्या कहता है नियम
नियम के मुताबिक, एक डिविजन में कनीय अभियंताअों को तीन साल व एक अंचल में छह साल से ज्यादा नहीं रखना है. पर यहां डिविजन बदली के नाम पर रांची में ही रखा जाता है.
कुछ के नाम, जो रांची में जमे हैं
इंजीनियर का नाम कितने साल से हैं
वरुण कांति घोष 15 साल
संजीव कुमार सिंह 10 साल
सुदर्शन सिंह आठ साल
सुनील कुमार राय आठ साल
राजू किस्पोट्टा आठ साल
अनिल कुमार चार साल
जय नंदन चार साल
अशोक मंडल छह साल
सुधीर प्रसाद तीन साल से ज्यादा
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